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MP का वो 'शापित गांव', जहां 400 साल से बच्चे नहीं हुए पैदा! वजह जान रह जाएंगे हैरान

Cursed Village in Rajgarh राजगढ़: यूं ही मध्य प्रदेश को अजब-गजब नहीं कहते। हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले राज्य में ऐसी अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय घटनाएं आपको सुनने को मिल जाएंगी। आज हम आपको ऐसी शापित घटना से...
01:03 PM Aug 20, 2024 IST | Govind Soni

Cursed Village in Rajgarh राजगढ़: यूं ही मध्य प्रदेश को अजब-गजब नहीं कहते। हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले राज्य में ऐसी अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय घटनाएं आपको सुनने को मिल जाएंगी। आज हम आपको ऐसी शापित घटना से रूबरू कराने जा रहे हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में एक ऐसा गांव है, जहां पिछले 400 साल से किसी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। आखिर पूरा मामला क्या है और इसके पीछे जानकारों का क्या कहना है आइए जानते हैं।

400 साल से गांव के बाहर ही जन्म लेते हैं बच्चे

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की नरसिंहगढ़ तहसील में स्थित सांका श्याम जी गांव (Cursed Village in Rajgarh) में 400 से किसी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में स्थित भगवान देवनारायण मंदिर की मान्यता को लेकर गांव की महिलाएं आज भी गांव में बच्चे को जन्म नहीं दे पाती हैं। प्रसव पीड़ा के दौरान महिलाओं को या तो गांव के बाहर हॉस्पिटल ले जाना पड़ता है या फिर गांव के बाहर बच्चे को जन्म देना पड़ता है। हालांकि, आपातकालीन परिस्थिति के लिए प्रसव कराने के लिए गांव के बाहर एक कमरा तैयार कराया गया था जो अब जर्जर स्थिति में है।

18 KM दूरी तय कर ले जाना पड़ता है अस्पताल

एक ओर दशकों से चली आ रही मान्यता को लेकर ग्रामीण गांव के अंदर महिलाओं का प्रसव नहीं कराते हैं, वहीं, दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग की ओर से समुचित व्यवस्था नहीं के चलते ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए 18 किलोमीटर दूर नरसिंहगढ़ अस्पताल ले जाना पड़ता है।

अंधविश्वास या भगवान का वरदान?

जब इस बाबत ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने कहा, "16वीं शताब्दी के लगभग जब देवताओं द्वारा सांका श्याम जी गांव में स्थित एक अद्भुत मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। उसी समय रात्रि में एक महिला ने गेहूं पीसने के लिए घट्टी (चक्की) चला दी। घट्टी चलने से देवताओं का ध्यान भंग हो गया था। इससे देवताओं ने आक्रोशित होकर गांव की महिलाओं को श्राप दिया कि अब से कोई भी महिला गांव में बच्चे को जन्म नहीं दे पाएगी। तब से लेकर आज तक महिलाएं गांव में बच्चे को जन्म नहीं दे पाती हैं।"

गांव में डिलीवरी होने पर अनिष्ट का खतरा

ग्रामीणों के अनुसार, इस प्रकोप से बचने के लिए गांव के बाहर एक कमरे का निर्माण कराया कराया गया है। जहां महिलाएं अपने बच्चों को जन्म देती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव में 10 से 15 बच्चों का जन्म होता है तो उसमें से 8 से 10 लोगों की मौत हो जाती है। अगर महिला की डिलीवरी गांव में होती है तो उसकी या फिर बच्चे की मौत हो जाती या फिर बच्चा दिव्यांग हो जाता है। गांव में महिला की डिलीवरी होने पर अनिष्ट होने का खतरा बना रहता है।

क्या है मान्यता?

वहीं, सांका श्याम जी गांव के लोग इसे अंधविश्वास न मानकर देवनारायण भगवान (Bhagwan Devnarayan Temple) का वरदान मानते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, जब भी किसी महिला ने गांव में ही बच्चे को जन्म देने की कोशिश की, तो बच्चे या तो अपंग पैदा होते हैं या फिर जच्चा-बच्चा को अपनी जान गंवानी पड़ती है। इस गांव में कोई भी मदिरा और मांस का सेवन नहीं करता।

नोट- एमपी फर्स्ट इस तरह की मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। यह स्थानीय ग्रामीणों और उनके बीच वर्षों से चली आ रही मान्यताओं पर आधारित है।

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