Digital Arrest Damoh: 2 लाख रूपए ट्रांसफर करने के चंद मिनट पहले पहुंची साइबर टीम, डिजिटल अरेस्ट में जकड़े युवक को ऐसे बचाया!

Digital Arrest Damoh: दमोह में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला सामने आया है। साइबर टीम की सजगता से एक युवक को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा लिया।
digital arrest damoh  2 लाख रूपए ट्रांसफर करने के चंद मिनट पहले पहुंची साइबर टीम  डिजिटल अरेस्ट में जकड़े युवक को ऐसे बचाया

Digital Arrest Damoh: दमोह। जिले में डिजिटल अरेस्ट का पहला मामला सामने आया है। हालांकि, दमोह साइबर सेल टीम की सजगता से एक युवक को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचा लिया और उसके दो लाख रुपए भी बच गए। अस्पताल के ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन के पद पर काम करने वाले अनुपम खरे ने बताया कि शनिवार सुबह करीब 8:30 बजे मेरे मोबाइल कंपनी की तरह दिखने वाले एक नंबर से कंप्यूटराइज कॉल आया। इस पर कहा गया कि मेरी सिम बंद होने वाली है क्योंकि मेरे खिलाफ कंप्लेंट दर्ज है।

फर्जी एफआईआर की कही बात

इसके बाद उसने कहा कि यदि कॉल सेंटर पर बात करना चाहते हो तो शून्य दबाइए। कॉल सेंटर पर एक व्यक्ति से बात हुई जिसने बताया कि मुंबई तिलक नगर पुलिस स्टेशन में मेरे खिलाफ 17 एफआईआर दर्ज हैं, जिसमें पॉर्न वीडियो और मनी लांड्रिंग जैसे कई केस हैं। उसने मेरा आधार कार्ड नंबर बताया और साथ में यह भी बताया कि इस आधार कार्ड नंबर से एक सिम भी निकलवाई गई है। उसने कहा कि आप अपनी शिकायत को तिलक नगर पुलिस स्टेशन में जाकर कीजिए। मैंने कहा मेरे पास उनका कोई नंबर नहीं है तो कॉलर ने कहा कि मैं आपका कॉल मुंबई तिलक नगर पुलिस स्टेशन ट्रांसफर कर रहा हूं।

वीडियो कॉल कर डिजिटल अरेस्ट

कॉल ट्रांसफर हुआ तो मुझे सामने वाले ने बताया कि मैं तिलक नगर चेंबूर पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूं। उसने अपना नाम भी बताया। आरोपी ने कहा कि आपको इस मामले को सॉर्ट आउट करना होगा और इसके लिए मैं आपको वीडियो कॉल लगाऊंगा। आरोपी ने कहा कि वीडियो कॉल आने से पहले वह खुद को एक कमरे में बंद कर ले। इससे इन्वेस्टिगेशन के दौरान किसी तरह का कोई भी डिस्टरबेंस ना हो और डर के मारे मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। वीडियो कॉल आने पर मैंने देखा कि वहां सामने तिलक नगर पुलिस स्टेशन का बोर्ड लगा हुआ था।

वर्दी धारी लोग खड़े हुए थे। फिर आरोपी ने कहा कि आपके खिलाफ 17 मनी लांड्रिंग के केस दर्ज हैं और आपको अरेस्ट किया जाता है। जब तक मुंबई पुलिस आपको वहां जाकर गिरफ्तार नहीं कर लेती आप इसी तरह खुद को कमरे में बंद रखेंगे। इसके बाद उन्होंने मेरे पास एक फोटो भेजी और बताया कि यह दिनेश गोयका है, क्या आप इसे जानते हैं। मैंने कहा मैं इसे नहीं जानता तो उन्होंने कहा कि यह मनी लांड्रिंग केस में गिरफ्तार हुआ है और इसने आपका नाम भी बताया है। उन्होंने मेरे नाम का एक क्रेडिट कार्ड और आधार कार्ड मुझे बताया और कहा कि इस नंबर से आपके ट्रांजैक्शन हुए हैं।

बातों में फंसाकर डराया

मैं डर गया था कि मैंने उनसे कहा कि मैं कभी मुंबई गया ही नहीं। मैंने यह सब नहीं किया। मैं मध्य प्रदेश के शहर का रहने वाला हूं। उन्होंने कहा नहीं आप इस मामले में आरोपी हैं और आपकी इन्वेस्टिगेशन की जाएगी। इसके बाद उन्होंने मेरा अकाउंट नंबर पूछा जैसे ही मैंने अपना अकाउंट नंबर बताया तो उन्होंने कहा कि आपको इस मामले से निपटना है तो आपको दो लाख रूपए लगेंगे।

मैं घबराया हुआ था और इसी समय रूपए ट्रांसफर करने का मूड बना रहा था। तभी दमोह साइबर सेल की टीम मेरे घर पहुंच गई और उन्होंने खिड़की के माध्यम से मुझसे बात कर मुझे भरोसा दिलाया कि मेरे साथ फ्रॉड हो रहा है। वास्तविक पुलिस यहां घर के बाहर मौजूद है। साइबर सेल टीम ने मुझे कन्वेंस किया तब जाकर मैंने दरवाजा खोला और मेरे साथ इतना बड़ा फ्रॉड होने से बच गया।

सूचना मिलते ही 5 मिनट में पीड़ित के घर पहुंच गई साइबर टीम

साइबर सेल टीम प्रभारी अमित गौतम ने बताया कि ब्लड टेस्ट करने के लिए उन्होंने जिला अस्पताल के कर्मचारी अमित आठ्या से संपर्क किया था। जब वह ऑफिस आया था तो मैंने उसे डिजिटल अरेस्ट, साइबर फ्रॉड की जानकारी दी थी। कुछ पंपलेट भी बताए थे। आज सुबह जिला अस्पताल के लैब टेक्नीशियन अनुपम खरे के साथ ही ऐसा ही फ्रॉड हो रहा था। अनुपम के परिजनों ने उसके सहकर्मी अमित को इस बात की जानकारी दी। अमित को संदेह हुआ कि ये डिजिटल अरेस्ट है और उसने तत्काल मुझे इसकी सूचना दे दी।

जैसे ही मुझे जानकारी दी गई मैंने तत्काल अपने एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी को इसकी जानकारी दी। उनके निर्देश के बाद में भी बगैर देरी किए टीम के साथ जबलपुर नाका चौकी प्रभारी आनंद अहिरवार को लेकर महज 5 मिनट में उसके घर वैशाली नगर पहुंच गया। वहां देखा तो दरवाजा बंद करके वह अपने कमरे में किसी से बात कर रहा था। हमने खिड़की से उससे बात की और भरोसा दिलाया कि उसके साथ फ्रॉड हो रहा है। तब जाकर उसने हमारी बात मानी और वह बाहर आ गया। उसने बताया कि वह पैसे ट्रांसफर करने ही वाला था। हमें समय से जानकारी मिली इसलिए उसे बचा लिया गया।

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