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Simhastha 2028: सिंहस्थ 2028 मेला क्षेत्र में सहयोग करें किसान, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने की चर्चा

Simhastha 2028: उज्जैन। सिंहस्थ महापर्व 2028 की तैयारियों को लेकर एक ओर जहां शासन-प्रशासन तैयारी में लगा हुआ है, वहीं कुछ लोगों द्वारा किसानों को भड़काकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र को लेकर बनाए गए उज्जैन विकास प्राधिकरण प्लान पर भ्रमित किया...
01:32 PM Mar 12, 2025 IST | Pushpendra

Simhastha 2028: उज्जैन। सिंहस्थ महापर्व 2028 की तैयारियों को लेकर एक ओर जहां शासन-प्रशासन तैयारी में लगा हुआ है, वहीं कुछ लोगों द्वारा किसानों को भड़काकर सिंहस्थ मेला क्षेत्र को लेकर बनाए गए उज्जैन विकास प्राधिकरण प्लान पर भ्रमित किया जा रहा है। पिछले दिनो उज्जैन आए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष मां मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने भगवान महाकालेश्वर का पूजन किया। फिर उज्जैन के प्रमुख साधु संतों, महामंडलेश्वर से चर्चा के बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से सिंहस्थ महाकुंभ 2028 की तैयारी की जानकारी ली।

उज्जैन का होगा विकास

मेला क्षेत्र में पक्की सड़के, सीवरेज नल की लाइन डल जाने से आने वाले समय में उनकी जमीनों के उपयोग में ही आएगी। साथ ही जमीनों के भाव भी उनके अनुसार हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि सिंहस्थ महाकुंभ के बाद मेला क्षेत्र के स्थाई स्वरूप के होने से कई संत महंतों, महामंडलेश्वरों के आश्रम आदि बनने से उज्जैन का आर्थिक विकास भी होगा। जिस प्रकार से महाकाल महालोक बनने के बाद उज्जैन में श्रद्धालुओं की जो संख्या बड़ी, उससे विभिन्न प्रकार के रोजगार शुरू हो गए। ऐसा ही मेला क्षेत्र के स्थाई स्वरूप के होने से भी होगा।

किसानों को होगा फायदा

जिस प्रकार से हरिद्वार में वर्ष भर श्रद्धालु बने रहते हैं। वह स्थिति भी जल्दी ही उज्जैन में आएगी। इससे ना केवल किसानों को फायदा होगा बल्कि शहर के विभिन्न व्यापारी वर्ग को भी लाभ होगा। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने किसानों कहा कि सरकार उन्हें मुआवजा भी दे रही है। इसको लेकर भी उनकी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से चर्चा हुई है। उन्होंने भी साधु संतों और अखाड़ा परिषद को बताया कि किसानों का अहित नहीं होने दिया जा रहा है। जबकि, जो जमीन ली जाए उसका मुआवजा देंगे जो नियम अनुसार है।

किसान संगठनों से किया आग्रह

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने सभी किसान संगठनों से आग्रह किया कि वह किसी भी प्रकार के आंदोलन, जलसा, प्रदर्शन से पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों से बैठकर चर्चा करें और मेला क्षेत्र में निर्माण कार्य आदि शुरू होने दें। उज्जैन आध्यात्मिक और हरिद्वार की तर्ज पर धार्मिक नगरी स्थाई स्वरूप की बने इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने ही मध्य प्रदेश सरकार से पूर्व में मांग की थी। परिषद की मांग पर ही मेला क्षेत्र में कार्य हो रहा है। साथ ही आखड़ा परिषद अध्यक्ष ने कहा कि किसानों ने चर्चा के दौरान जो कुछ बिंदु बताएं हैं, उस पर भी विचार कर प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की जाएगी।

(उज्जैन से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)

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