Damoh district hospital: दमोह जिला अस्पताल में 5 महिलाओं की मौत का जिम्मेदार कौन, एक ही दिन हुआ था ऑपरेशन
Damoh district hospital News दमोह: मध्य प्रदेश के दमोह जिला अस्पताल में लापरवाही और मानवता को शर्मशार करने वाली घटना सामने आई है। अस्पताल में पांच गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन ऑपरेशन के बाद एक ही तरीके से मौत के बाद हड़कंप मच गया है।पांचों मृतकों के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने के आरोप लगा रहे हैं।
4 जुलाई को हुआ था ऑपरेशन
जानकारी के अनुसार दमोह जिला अस्पताल में 4 जुलाई को जिन गर्भवती महिलाओं के सिजेरियन ऑपरेशन हुए उनमें एक दो नहीं बल्कि सभी को यूरिन रुकने और इन्फेक्शन की शिकायत हुई। चौंकाने वाली बात यह है कि एक के बाद एक पांचों महिलाओं की मौत हो गई है। ऑपरेशन के महाज 20 दिन के भीतर पांचों महिलाओं की जान चली गई। 20 दिन के अंदर ही नवजात बच्चों के सिर से मां का आंचल छीन गया।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मृत महिलाओं के परिजनों ने जिला अस्पताल पर इलाज में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही परिजनों ने दोषियों के खिलाफ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से कार्रवाई की मांग की है। परिजनों की भारी नाराजगी को देखते हुए दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर ने इसे बड़ी लापरवाही मानकर जांच का आश्वासन दिया है। कलेक्टर ने एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट के बाद कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
दमोह के बकायन गांव के सचिन चौरसिया की पत्नी लक्ष्मी चौरसिया हाईकोर्ट जबलपुर में पदस्थ थीं अच्छी भली खुशी खुशी जिला अस्पताल दमोह में नॉर्मल डिलीवरी के लिए आईं थी, रात होते होते कहा गया सीजर होगा बच्चा अच्छा रहा पर चार पांच घंटे बाद तेज दर्द हुआ और चंद मिनट में लक्ष्मी की सांसे थम गई। लक्ष्मी के पति सचिन बताते हैं,अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही के चलते उनकी पत्नी की मौत हो गई।
इन्होंने ऑपरेशन के बाद तोड़ा दम
जानकारी के मुताबिक, दमोह के हिंडोरिया गांव की निशा परवीन का पहला बच्चा होना था। सिजेरियन तक सब ठीक था। ऑपरेशन से बच्चा हुआ और मिठाइयां बांटी गईं। लेकिन, ऑपरेशन के बाद निशा की यूरीन रूक गई। ऑक्टरों ने किडनी फेल बता दिया। निशा की गंभीर हालत देखते हुए जबलपुर मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस शुरू हुआ। 18 दिन के बाद निशा परवीन की मौत हो गई।
दमोह के हटा की हुमा का भी सिजेरियन से पहला बच्चा हुआ। बच्चा होने के बाद हुमा के परिजनों ने ने मिठाई बांटकर खुशियां मनाई। ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने बताया कि हुमा की किडनी फेल होने से यूरिन रुक गई है। गंभीर हालत में दमोह से जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। जबलपुर में डायलिसिस होते रहे। 20 दिन के बाद हुमा की भी मौत हो गई। निशा की तरह हुमा के परिजन भी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
दमोह के पटेरा नया गांव की हर्षना कोरी का भी सिजेरियन से पहला बच्चा हुआ। ऑपरेशन के चंद घंटों में ही हर्षना की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद फौरन हर्षना को दमोह के आईसीयू में एडमिट किया गया। इलाज के दौरान हर्षना की भी मौत हो गई। हर्षना की मौत से परिवार में मातम का माहौल है।
ज्वाइन डायरेक्टर हेल्थ को जांच करने के निर्देश
4 जुलाई को हुए जिला अस्पताल दमोह के इन सभी मामलों में यूरिन रुकने और डायलिसिस के बाद मौत की बात सामने आई है। अब तक पांच मौत के आंकड़े तो सबके सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। अब देखना यह है कि आखिर किसकी लापरवाही से पांच नवजात शिशुओं के सिर से मां का आंचल छिन गया है। हालांकि इस खबर से प्रशासन भी सकते हैं। फिलहाल, दमोह कलेक्टर ने जांच के लिए ज्वाइन डायरेक्टर हेल्थ को निर्देश देते हुए अस्पताल एवं क्षेत्र का दौरा कर शोकॉज नोटिस जारी कर दिए हैं।
(दमोह- विवेक सेन)
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