Gwalior Bhumafia News: एमपी में माफी औकाफ मंदिरों की जमीनों पर भूमाफिया का कब्जा, सीएम से लगाई गुहार तो हरकत में आए कलेक्टर
Gwalior Bhumafia News: ग्वालियर। मध्य प्रदेश में माफी औकाफ मंदिरों की जमीन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है। अकेले ग्वालियर जिले के 20 से ज्यादा मंदिरों की हजारों बीघा जमीन को माफिया ने खुर्दबुर्द कर बेच दिया है या फिर उन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। मंदिरों के पुजारी और ट्रस्टियों ने अब मध्य प्रदेश के नए मुखिया मोहन यादव से गुहार लगाई है। इस मामले पर ग्वालियर-चंबल संभाग के कलेक्टर्स भी एक्शन में हैं। उन्होनें सर्किल के एसडीएम को ऐसी भूमि चिह्नित करने के आदेश दिए हैं।
इन मंदिरों की जमीन पर किया भूमाफिया ने कब्जा
अभी तक की जानकारी के अनुसार जिन मंदिरों की जमीनों पर कब्जा (Gwalior Bhumafia News) किया गया है, उनमें गंगादास की बड़ी शाला के नाम पर 85 बीघा जमीन है। शिंदे की छावनी स्थित महादेव ट्रस्ट की अलग-अलग पटवारी हलकों में 120 बीघा जमीन है, अम्मा जी महाराज निंबालकर की गोठ के पास लगभग 50 बीघा जमीन है, गजराराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम शहर में लगभग 73 बीघा जमीन है, रामजानकी मंदिर छोटी शाला के नाम पर शहर और आसपास के गांवों में 100 बीघा से ज्यादा जमीन है, नरसिंह मंदिर बेहट के नाम पर लगभग 187 बीघा जमीन है। इन मंदिरों की जमीनों को बचाने के लिए आरटीआई एक्टिविस्ट लेकर मंदिरों के पुजारी और ट्रस्टी भी मैदान में हैं। लेकिन कई शिकायतों के बावजूद भी मंदिरों की जमीनों को मुक्त नही कराया जा सका है।
अधिकतर जमीनों को किया खुर्दबुर्द
धार्मिक, सामाजिक ट्रस्ट, माफी-औकाफ की ग्वालियर शहरों में मौजूद अधिकतर जमीनों को खुर्दबुर्द किया जा चुका है। ट्रस्ट, सरकारी अधिकारी-कर्मचारी और भूमाफिया (Gwalior Bhumafia News) के गठजोड़ ने धर्मस्थलों की जमीनों पर कॉलोनियां बसा दी हैं। जबकि पुरानी धर्मशालाओं के स्वरूप को नियम विरुद्ध खत्म करके या तो होटल बन गए हैं या अन्य व्यावसायिक कामों में उपयोग किया जा रहा है। वहीं कलेक्टर रूचिका चौहान ने कहा कि हमने एसडीएम को मंदिरों की जमीन के कब्जों की जांच के लिए पत्र भेज दिए हैं। जांच के बाद जल्द ही जमीनों से कब्ज़े हटाए जाएंगे।
मंदिरों की जमीनों की निगरानी के लिए बनाया था औकाफ विभाग
आजादी के बाद ग्वालियर जिले के 865 मंदिरों को 4290 हेक्टेयर भूमि दी गई थी। इन जमीनों की निगरानी के लिए माफी औकाफ विभाग बनाया गया है, लेकिन विभाग ने मंदिरों की जमीनों पर ध्यान नहीं दिया। धीरे-धीरे राजस्व विभाग के अमले ने मंदिरों के खसरों में बदलाव कर दिए। 60 से 70 के दशक में जो जमीनें मंदिरों के नाम थीं, वह निजी दर्ज हो गईं। शहरी क्षेत्र की जमीनों में ज्यादा धांधली हुई है। अब देखना ये है कि प्रशासन इस पर किस तरह का एक्शन लेता है।
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