मध्य प्रदेशराजनीतिनेशनलअपराधकाम की बातहमारी जिंदगीधरम करममनोरंजनखेल-कूदवीडियोधंधे की बातपढ़ाई-रोजगारदुनिया

Gwalior Blood Bank: सरकारी अस्पताल में बिना लाइसेंस 14 सालों से चल रहा है “ब्लड बैंक”, जिम्मेदार अधिकारी बेखबर

शहर के जिला अस्पताल मुरार में 14 साल से बिना लाइसेंस के 'ब्लड बैंक' संचालित होता रहा और जिम्मेदार अधिकारी बेखबर सोते रहें।
06:15 PM Feb 09, 2025 IST | Sunil Sharma

Gwalior Blood Bank: ग्वालियर। मध्य प्रदेश में ग्वालियर शहर के सरकारी जिला अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है। यहां शहर के जिला अस्पताल मुरार में 14 साल से बिना लाइसेंस के "ब्लड बैंक" संचालित होता रहा और जिम्मेदार बेखबर सोते रहे। मामला उजागर होने पर अब स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जल्द से जल्द "ब्लड बैंक" के लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी करने की बात कर रहे हैं।

ब्लड बैंक सेंटर प्रभारी ने लिखा पत्र, तब हुआ मामले का खुलासा

ग्वालियर शहर के मुरार स्थित सरकारी जिला अस्पताल में बिना लाइसेंस के 14 साल से ब्लड बैंक संचालित होने का मामला सुर्खियों में है। ब्लड बैंक भी निजी नहीं सरकारी है और स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार बेखबर हैं। दरसल साल 2011 में ही ब्लड बैंक का लाइसेंस खत्म हो चुका था, उसके बाद तमाम खामियों के चलते लाइसेंस रिन्यूअल नहीं हो सका। परंतु ब्लड बैंक लगातार 14 सालों तक संचालित होता रहा। मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब ब्लड बैंक (Gwalior Blood Bank) सेंटर प्रभारी अर्चना छारी ने CMHO को पत्र लिखा, पत्र में कहा गया कि साल 2011 के बाद अब लाइसेंस रिन्यूअल की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है।

सिविल सर्जन ने कहा लाइसेंस प्रक्रिया जल्द पूरी करने की बात

सीएमएचओ को लिखे पत्र में गुजारिश भी की गई है कि लाइसेंस रिन्यूअल होने तक ब्लड बैंक सेंटर के किसी भी स्टाफ को दूसरी जगह पदस्थ न किया जाए। इस बात को भी बताया गया है कि स्टाफ की ड्यूटी ब्लड बैंक सेंटर से हटाकर किसी दूसरी जगह की जाती है तो इस हालत में लाइसेंस रिन्यूअल को लेकर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। मामला उजागर होने पर सिविल सर्जन डॉ. राजेश शर्मा का कहना है कि सामान्य "ब्लड बैंक" अभी चल रहा है। कंपोनेंट ब्लड बैंक को लेकर लाइसेंस रिन्यू होना है। ऐसी स्थिति में जल्द प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

2011 से बिना लाइसेंस चल रहा है ब्लड बैंक

आपको बता दें कि "ब्लड बैंक" संचालन के लिए फूड एवं ड्रग कंट्रोल मंत्रालय भारत सरकार से लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है। ब्लड बैंक का लाइसेंस (Gwalior Blood Bank License) खत्म होने से पहले लाइसेंस को रिन्यू कराने के लिए निर्धारित फीस जमा कर आवेदन किया जाता है। इसके बाद मंत्रालय की टीम "ब्लड बैंक" का निरीक्षण करती है, और अपनी रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को सौंपती है। लाइसेंस जारी करने की अनुशंसा के बाद फूड एवं ड्रग कंट्रोल विभाग भोपाल से लाइसेंस जारी किया जाता है। हैरानी वाली बात यह है कि साल 2011 से जिला अस्पताल का "ब्लड बैंक" का संचालन बिना लाइसेंस के हो रहा था। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ब्लड बैंक में निर्धारित मापदंड के हिसाब से भी स्टाफ की कमी है।

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

यह भी पढ़ें:

MP News: क्या बिना सीएम चेहरे की रणनीति ने बीजेपी को किया सफल, ये हो सकते हैं सीएम के दावेदार?

Sanjeevani Clinic MP: मरीजों के इलाज के लिए खोले गए संजीवनी क्लिनिक खुद हुए बीमार, कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं व्यवस्था नहीं

MP Farmer News: किसानों से सरकार MSP पर नहीं खरीदेगी फसल, अब क्या होगा भारतीय किसान संघ का अगला कदम?

Tags :
blood bank in gwaliorGwalior Blood Bankgwalior city newsGwalior newsMadhya Pradesh Latest NewsMadhya Pradesh NewsMP blood bankmp firstMP First NewsMP Latest NewsMP newsएमपी फर्स्टएमपी फर्स्ट न्यूज़मध्य प्रदेश न्यूज़मध्य प्रदेश लेटेस्ट न्यूज

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article