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ग्वालियर चंबल संभाग के 846 स्कूल 31 मार्च को हो जाएंगे बंद, संकट में इन छात्रों का भविष्य, जानिए क्या है पूरा मामला?

Gwalior Chambal Division Schools ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों के 846 प्राइवेट स्कूल आगामी शिक्षण सत्र से बंद हो सकते हैं। इसका कारण इन स्कूलों ने अभी तक मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया...
03:00 PM Mar 07, 2025 IST | Amit Jha

Gwalior Chambal Division Schools ग्वालियर: मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के 8 जिलों के 846 प्राइवेट स्कूल आगामी शिक्षण सत्र से बंद हो सकते हैं। इसका कारण इन स्कूलों ने अभी तक मान्यता नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है। इनमें ग्वालियर के 171 स्कूल भी शामिल हैं। ऐसी स्थिति का कारण मान्यता नियम में बदलाव होना है। जिस कारण अब यह स्कूल, विभाग के तय पैमानों वर्तमान में सरकार व स्कूल संचालकों के बीच समझौते में समझौते के आसार खत्म हो चुके हैं।

ग्वालियर चंबल संभाग के 846 स्कूल 31 मार्च को हो जाएंगे बंद!

यदि कोई रास्ता नहीं निकला तो नुकसान पालक-छात्र दोनों को होगा। लेट फीस के साथ आवेदन करने की अंतिम तारीख भी शुक्रवार (Gwalior Chambal Division Schools) को खत्म हो गई। हालांकि तारीख बढ़ने की संभावना है। वर्तमान समय में ग्वालियर चंबल संभाग में  846 प्राइवेट स्कूल हैं। ग्वालियर में मौजूद निजी स्कूलों में 1.83 लाख छात्र अध्ययनरत हैं। जिले के 1,337 स्कूलों में से 1127 स्कूलों को मान्यता के लिए आवेदन करना था, लेकिन 956 स्कूलों ने ही आवेदन किया। इनमें भी कुछ ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने अपने दस्तावेज के साथ आवेदन कर दिए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश स्कूल अभी भी आवेदन नहीं कर पाए हैं।

जानिए भविष्य में किस तरह की परेशानी होने वाली है

  1. बता दें कि आने वाले समय में किस तरह की परेशानी पेश आ सकती है। दरअसल, घाटीगांव में सारथी नाम से 2 स्कूल है। दोनों में 200 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि इन स्कूलों में 20 स्टाफ तैनात हैं। गांव में स्कूल होने के चलते रजिस्टर्ड किरायानामा नहीं बन पा रहा है। ऐसे में स्कूल बंद होने से छात्र एवं पालकों को परेशानी होगी।
  2. वहीं, जागृति नगर में जागृति पब्लिक स्कूल 1992 से संचालित है। इसमें वर्तमान समय में 75 छात्र अध्ययनरत हैं। रजिस्टर्ड किरायानामा नहीं बनने के चलते आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा द्रोणाचार्य स्कूल के संचालकों का कहना है कि वे 80 छात्रों को फ्री शिक्षा देते हैं। नए नियमों में खर्च बढ़ने से आवेदन नहीं किया है।

संभाग में स्कूल और मान्यता के लिए आवेदन करने की स्थिति

आंकड़ों के अनुसार, इस संभाग के विभिन्न जिलों में कितने आवेदन होने और कितने आवेदन दिए गए हैं वो कुछ इस प्रकार है। ग्वालियर जिले में 1127 आवेदन होने थे लेकिन 171 दिए गए हैं। मुरैना में 728 आवेदन होने थे, लेकिन 187 दिए गए हैं। श्योपुर में 157 आवेदन निर्धारित किए गए थे, लेकिन 28 आए हैं। शिवपुरी में 470 आवेदन आने थे, लेकिन 84 आए हैं। दतिया में 248 आवेदन आने थे, लेकिन 62 आए हैं। भिंड में 619 आवेदन आने थे, लेकिन 158 आए हैं। गुना में 560 आवेदन आने थे 181 आए हैं। वहीं, अशोकनगर में 277 आवेदन आने थे, लेकिन जिले में 25 ही आवेदन आए हैं।

अब आने वाले समय में हो सकती है ये परेशानी!

  1. बता दें कि, मान्यता के अभाव में आरटीई में भर्ती छात्रों को फ्री शिक्षा नहीं मिलेगी। इसके अलावा स्कूल बंद हुए तो आरटीई के छात्रों को फीस देकर पढ़ना होगा।
  2. इस वर्ष जिले में 2018 बच्चों का आरटीई में एडमिशन हुआ है। उन्हें फीस, ड्रेस, पुस्तकें आदि का खर्च खुद वहन करना होगा। ऐसे में इन बच्चों की स्कूली पढ़ाई छूट सकती है।
  3. जिले के 200 स्कूल बंद होने पर 20 हजार छात्रों को दूसरे स्कूलों में एडमिशन लेना होगा, जिससे उन्हें मोटी फीस देने के अलावा अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
  4. ऐसा होने से ग्रामीण इलाकों के स्कूल ज्यादा संकट में आएंगे, जिनका पट्टे की जमीन पर निर्माण है। स्कूल बंद होने से इनमें कार्यरत हजारों स्टाफ बेरोजगार हो जाएंगे।

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का क्या कहना है?

वहीं, इस पूरे मामले में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के कहना है, "हमारा संगठन नए नियमों का विरोध कर रहा है, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं हैं। जो स्कूल कई साल पहले से चल रहे हैं, उन्हें नए नियमों के दायरे से बाहर रखना चाहिए। विभाग द्वारा किराए का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट, एफडीआर और मान्यता फीस को काफी बढ़ा दिया है। छोटे स्कूल इसे सहन नहीं कर पाएंगे। हमारी मान्यता है कि हायर सेकेण्डरी की तरह ही 8वीं तक के स्कूलों की मान्यता दी जानी चाहिए"

स्कूल बंद होने से इन छात्रों को आएगी परेशानी

वहीं, डीपीसी का कहना है, "लेट फीस के साथ आवेदन करने की तारीख भी अब निकल चुकी है। हालांकि ड्रॉप की समस्या तो नहीं आएगी। बंद स्कूलों के स्टूडेंट्स आसपास के ही विद्यालयों में प्रवेश ले सकेंगे, लेकिन जिन छात्रों का प्रवेश आरटीई के तहत हुआ है, उनको लेकर दिक्कत है। क्योंकि इन छात्रों का ट्रांसफर नहीं होता है।"

(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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