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Gwalior High Court News: एमपी हाई कोर्ट का शत्रु भूमि को लेकर बड़ा फैसला, सरकार को दिया झटका

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर कई दशकों से काबिज लोगों को ही जमीन का असली हकदार माना है।
06:10 PM Dec 18, 2024 IST | Suyash Sharma

Gwalior High Court News: ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विभाजन के दौरान पाकिस्तान गए लोगों की जमीन पर कई दशकों से काबिज लोगों को ही जमीन का असली हकदार माना है। हाई कोर्ट ने वर्ष 2009 में दिए गए सरकार के पूर्व फैसले को सही ठहराते हुए विदिशा कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वह कई सालों से जमीन पर काबिज किसानों को जमीन का असली हकदार माने और राजस्व रिकॉर्ड में उनके नाम अंकित करे। खास बात यह है कि विदिशा जिले के गुलाबगंज तहसील के मुंगवारा में ऐसी करीब 100 एकड़ से ज्यादा जमीन है जो शत्रु भूमि मानी जाती है। हालांकि देश के विभाजन के बाद स्थानीय लोगों ने कब्जा कर वहां खेती-बाड़ी शुरू कर दी थी।

2005 के कानून का हवाला देकर किसानों का दावा कर दिया था रद्द

प्रदेश सरकार ने 1990 में इन स्थानीय किसानों को ही जमीन का असली हकदार माना था और उनके नाम जमीन का आवंटन कर दिया था। परंतु इसके खिलाफ सरकार के 2005 के एक आदेश का हवाला देते हुए इन आवंटनों को वर्ष 2012 में रद्द कर दिया था और कहा गया था कि 2009 में जो निष्कांत भूमि यानी शत्रु की जमीन का आवंटन किया गया था, वह कानून 2005 में केंद्र सरकार ने रद्द कर दिया था। इसलिए किसानों को जिस कानून के तहत कृषि भूमि आवंटित की गई थी, उसे रद्द कर दिया गया। इसे लेकर विदिशा जिले के गुलाबगंज तहसील के मुंगवारा गांव के करीब एक दर्जन किसानों ने हाई कोर्ट (Gwalior High Court News) में याचिका दायर की थी।

किसानों के वकील की इस दलील पर हाई कोर्ट ने जताई सहमति

किसानों के अधिवक्ता पवन रघुवंशी ने न्यायालय को बताया कि निरसन कानून 1954 इन प्रभावित किसानों पर लागू नहीं होता क्योंकि यह कार्रवाई पहले से ही प्रचलनशील थी। इसलिए 2012 का सरकार द्वारा दिया गया आदेश अवैध था। हाई कोर्ट ने भी किसानों के अधिवक्ता पवन रघुवंशी की दलील को सही माना और 2012 में निरस्त आवंटन को बहाल करने के निर्देश दिए। एडवोकेट पवन रघुवंशी ने बताया कि विदिशा जिले में करीब निष्कांत भूमि करीब 100 एकड़ है।

एक दर्जन किसानों ने दायर की थी याचिका, फायदा सैकड़ों को होगा

रघुवंशी ने बताया कि जो लोग विभाजन के समय देश छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे इनमें हिंदू और मुसलमान दोनों ही बिरादरी के लोग थे। बाद में स्थानीय लोगों ने इस शत्रु भूमि पर कब्जा कर वहां खेती-बाड़ी शुरू कर दी थी। उनका कहना है कि उनके लगभग एक दर्जन याचिकाकर्ता किसानों की जमीन 8 हेक्टेयर थी जबकि जिले में ऐसी शत्रु भूमि करीब 100 हेक्टेयर है। हाई कोर्ट (Gwalior High Court News) के इस आदेश से अब पूर्व से काबिज किसानों को बड़ी राहत मिली है।

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