Mahashivratri 2025: ग्वालियर का अनोखा शिव मंदिर, जहां लगती है अदालत, जज की भूमिका निभाते हैं भगवान भोलेनाथ

Gwalior Magistrate Mahadev ग्वालियर: महाशिवरात्रि को लेकर देश भर के शिव मंदिर गुंजायमान हैं। वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक ऐसा महादेव का मंदिर है जिसे 'मजिस्ट्रेट महादेव' के नाम से जाना जाता है। ग्वालियर अंचल के अलावा...
mahashivratri 2025  ग्वालियर का अनोखा शिव मंदिर  जहां लगती है अदालत  जज की भूमिका निभाते हैं भगवान भोलेनाथ

Gwalior Magistrate Mahadev ग्वालियर: महाशिवरात्रि को लेकर देश भर के शिव मंदिर गुंजायमान हैं। वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक ऐसा महादेव का मंदिर है जिसे 'मजिस्ट्रेट महादेव' के नाम से जाना जाता है। ग्वालियर अंचल के अलावा दूर दराज के लोग किसी आपराधिक घटना को लेकर पुलिस थाने, कोर्ट, कचहरी में जाने से पहले 'मजिस्ट्रेट महादेव' के दरबार में पहुंचते हैं। मान्यता है कि महादेव के दरबार में पंचायत लगाई जाती है और महादेव अपना फैसला सुनाते हैं।

ग्वालियर में मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर

भिंड बॉर्डर से पहले महाराजपुर थाना क्षेत्र की हद में आने वाले गिरगांव में स्थित 'मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर' की ख्याति ग्वालियर चंबल संभाग के अलावा राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है। कहते हैं देवों के देव महादेव के इस प्राचीन मंदिर (Gwalior Magistrate Mahadev) में आए दिन पंचायत की जाती है। पंचायत में महादेव खुद मजिस्ट्रेट होते हैं और पीड़ित व्यक्ति को न्याय देकर दोषी के खिलाफ अपना फैसला सुनाते हैं।

Gwalior Magistrate Mahadev

यहां लगती है भोलेनाथ की अदालत!

मंदिर से जुड़े हुए और स्थानीय लोगों की मानें तो महादेव के इस मंदिर को लेकर लोगों के दिल और दिमाग में बड़ी आस्था है। मान्यता हैं कि यदि किसी ग्रामीण के पशु चोरी हो जाए, या घर में चोरी हो जाए या कोई हत्या या जमीन पर कब्जा करने का मामला हो तो पीड़ित पक्ष पुलिस थाने और न्यायालय में जाने से पहले महादेव के दरबार में पहुंचते हैं। लोगों में ऐसा विश्वास है कि पुलिस और कोर्ट में उन्हें न्याय मिलने में देरी हो सकती है, लेकिन महादेव के दरबार में 5 से 7 दिन के अंदर किसी भी मामले में परिणाम सामने आ जाते हैं। साथ ही दोषियों को सजा मिलती है और पीड़ित को न्याय मिलता है।

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अपराध नहीं स्वीकारने पर होती है अनहोनी!

स्थानी निवासी मायाराम और किलेदार का कहना है कि मंदिर में आते ही दोषी अपनी गलती को स्वीकार कर लेता है। यदि उसने महादेव की सौगंध खाकर अपनी गलती को नहीं स्वीकार तो उसके परिवार में या उसके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है। यही वजह है कि स्थानीय लोग इन्हें न्यायधिपति की तरह हीं मानते हैं। अदालत में जाने से पहले भोलेनाथ की शरण में लोग आते हैं।

काफी प्राचीन है यह मंदिर

मजिस्ट्रेट महादेव मंदिर के इतिहास की बात करें तो स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर लगभग 1100 साल पुराना है। पहले डकैतों और बगियों के मसले मंदिर पर कसम खाकर निपटाए जाते थे। वर्तमान में ग्वालियर अंचल में अब डकैत तो नहीं रहे, लेकिन चोरी हत्या और जमीन पर अवैध कब्जे के मामले जरूर बढ़ गए हैं। ऐसे में मंदिर परिसर में आए दिन लगने वाली पंचायत में लोगों को तत्काल न्याय मिलता है। ऐसी यहां के लोगों की मान्यता है।

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(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)

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