Gwalior Mela 2024: सियासत की भेंट चढ़ा ग्वालियर का व्यापार मेला, 25 दिसंबर बीता और दुकानें तक नहीं लगी

इस साल ग्वालियर व्यापार मेले की शुरुआत 25 दिसंबर से होनी थी, लेकिन तारीख बीत जाने के बाद भी ये तय नहीं हो पाया है कि अबकी बार मेले का फीता कब काटा जाएगा।
gwalior mela 2024  सियासत की भेंट चढ़ा ग्वालियर का व्यापार मेला  25 दिसंबर बीता और दुकानें तक नहीं लगी

Gwalior Mela 2024: ग्वालियर। एशिया के सबसे बड़े व्यापार मेले के रूप में शुमार ग्वालियर का व्यापार मेला सियासत की भेंट चढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इस साल व्यापार मेले की शुरुआत 25 दिसंबर से होनी थी, लेकिन तारीख बीत जाने के बाद भी ये तय नहीं हो पाया है कि अबकी बार मेले का फीता कब काटा जाएगा।

ग्वालियर मेले के लिए न तो दुकानें लगी और न ही तैयारियां हुईं पूरी

व्यापार मेले को लेकर व्यवस्थाओं के ये हाल हैं कि 25 दिसंबर से शुरू होने वाले ग्वालियर व्यापार मेले में अब तक ना दुकानें लग पाई हैं और ना ही मेंटेनेंस पूरा हो पाया है। मेले के उद्घाटन की तारीख भी निकल गई लेकिन फीता नहीं कट पाया। 25 दिसंबर को ग्वालियर में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद रहे लेकिन मेले के उद्घाटन की चर्चा किसी ने नहीं की। इसके पीछे के कारण यह बताया जा रहा है कि माधव सिंधिया व्यापार मेले (Madhav Scindhia Mela 2024) का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा किया जाएगा और उनका समय अभी तक तय नहीं हो पाया है।

Gwalior Vyapar Mela 2024

बेनतीजा रही जिला अधिकारियों से हुई मीटिंग

टी. आर. रावत, सचिव, ग्वालियर मेला प्राधिकरण ने बताया कि पिछले दो महीनों में संभागीय कमिश्नर ने कई बार जिला अधिकारियों के साथ बैठक की और मेले को सही समय पर लगाने की तैयारी करने को भी कहा। लेकिन अभी तक मेले में ना दुकानें लग पाई हैं और न ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़ी व्यवस्थाएं पूरी हो पाई। पूरे देश में रोड़ टैक्स की छूट के लिए प्रसिद्ध ग्वालियर व्यापार मेले के ऑटोमोबाइल सेक्टर में फिलहाल महज 20 फ़ीसदी शोरूम ही तैयार हुए हैं। मेले के आधे सेक्टर अभी भी खाली पड़े हैं।

कांग्रेस ने लगाया गुटबाजी का आरोप

मेले के उद्घाटन को लेकर कांग्रेस भी गुटबाजी का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का कहना है कि एशिया में अपनी पहचान बनाने वाला ग्वालियर का व्यापार मेला (Gwalior Mela 2024) बड़े नेताओं की गुटबाजी की भेंट चढ गया है। मेले में आने वाले दुकानदार, व्यापारियों के अलावा सैलानियों की रुचि भी कम होती दिखाई दे रही है। ग्वालियर व्यापार मेला हमारे ग्वालियर की पहचान है और यह पहचान नेताओं और अधिकारियों की उदासीनता से धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।

Gwalior Pashu mela

1905 में हुई थी ग्वालियर व्यापार मेले की शुरूआत

ग्वालियर के 117 साल पुराने ऐतिहासिक व्यापार मेले की शुरुआत वर्ष 1905 में सिंधिया रियासत के तत्कालीन राजा माधवराव सिंधिया ने पशु मेले से की थी। लेकिन इस बार मेला प्राधिकरण पशु मेला लगाना ही भूल गया। वर्ष 1905 में शुरू हुआ यह मेला भारत में एक बड़ा व्यापार मेला बना जिसे आज एशिया के सबसे बड़े व्यापार मेले के रूप में जाना जाता है। ग्वालियर अंचल के साथ ही अन्य राज्यों के लोग और उनके साथ-साथ छोटे-बड़े व्यापारी भी ग्वालियर व्यापार मेले (Gwalior Mela 2024) के लगने का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन इस बार मेले के प्रति जिम्मेदारों की उदासीनता साफ दिखाई दे रही है।

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