Gwalior News: प्रधानमंत्री आवास पाने के लिए वर्षों तक किया संघर्ष, बोरे में आवेदन भरकर पहुंचा युवक
Gwalior News: ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक युवक कलेक्ट्रेट में बोरे भर आवेदन लेकर पहुंचा, जिसे देख हर कोई दंग रह गया। यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। युवक को अपने अधिकार पाने के लिए संघर्ष काफी संघर्ष करना पड़ा। बता दें कि जितेंद्र गोस्वामी सरकार से पक्का मकान चाहते थे। उनके पास प्लाट तो था लेकिन उस पर मकान निर्माण करने में असहाय थे।
इतने चक्कर काटे की भर गया आवेदन
युवक को पीएम आवास की जानकारी लगी तो उसने आवेदन देने स्टार्ट कर दिए। वे कई सालों से हाथ में आवेदन लेकर तहसील, नगर पालिका से लेकर सीएम तक जा चुके थे। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित (Gwalior News) मंगलवार को कलेक्टर से मिला और अपने पीले बोरे और हरे थैले से आवेदनों का पुलिंदा लेकर दिखाया और अपनी आपबीती सुनाई। कलेक्टर ने उन्हें मकान देने का भरोसा दिलाया।
कई जगह लगाई फरियाद
जितेंद्र हाथ में थैला लिए कलेक्ट्रेट में अफसरों से गुहार लगाता रहा लेकिन हर बार सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। जितेन्द्र गोस्वामी मोहना के रहने वाले हैं। नगर परिषद मोहना के वार्ड-7 के निवासी जितेन्द्र गोस्वामी अपनी फरियाद लेकर जब कलेक्ट्रेट पहुंचे तो सभी की नजरें उन्हीं की ओर थी। उन्होंने कलेक्टर अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि पात्रता होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मेरे नाम से आवास मंजूर नहीं हुआ। इसके लिए हमने नगर परिषद व विकासखंड स्तर से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक पर शिकायतें भेजीं। आवेदनों की संख्या इतनी हो गई कि उन्हें शिकायतों का पुलिंदा एक झोला और एक बोरे में लेकर चलना पड़ता है। कई बार के प्रयास किए जाने के बाद भी उसे मकान हासिल करने में सफलता नहीं मिली।
कलेक्टर ने दिया निर्देश
जब कलेक्टर ने इतने सारे आवेदन दिखे तो वे खुद चौंक पड़ीं। उन्होंने जितेंद्र के आवेदन के आधार पर तत्काल ही छानबीन कराई। तब पता चला कि वे पात्र तो है लेकिन तकनीकी कारणों से जितेन्द्र गोस्वामी के लिए आवास मंजूर नहीं हो सका। मोहना जब ग्राम पंचायत थी तब उनका नाम प्रतीक्षा सूची में शामिल था। मोहना के नगर पंचायत बनने के बाद नए सिरे से लक्ष्य और प्राथमिकता क्रम का निर्धारण हुआ। इस वजह से जितेन्द्र के लिए आवास स्वीकृत होने में देरी हुई। कलेक्टर ने प्रधानमंत्री आवास प्लस योजना में उनका नाम शामिल करा दिया। अब जल्द ही जितेन्द्र के खाते में मकान बनाने के लिए पहली किस्त पहुंच जाएगी। बात यह भी है कि इंसान कभी-कभी सिस्टम के आगे बेहद बेबस हो जाता है।
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