Gwalior News: DPR प्रोजेक्ट मंथन में लापरवाही, हाईकोर्ट ने नगर निगम सहित शासन को लगाई फटकार
Gwalior News: ग्वालियर। जिले की एक वक्त जीवनदायनी नदी रही स्वर्ण रेखा नदी का उद्धार साफ पानी बहाने और नाव चलाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर कई योजनाएं बनाई गई, जो अब तक अधूरी रहीं। वहीं, स्वर्णरेखा नदी को पुराने स्वरूप में लाने के लिए हाईकोर्ट में दायर की गई एक जनहित याचिका पर महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वर्णरेखा नदी प्रोजेक्ट की DPR को लेकर असमंजस की तस्वीर पर नगर निगम सहित अन्य प्रशासनिक बॉडी को कड़ी फटकार लगाई। उन्हें साबरमती नदी प्रोजेक्ट का उदाहरण देते हुए आईना दिखाया। मामले की अगली सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह में होगी, जहां शासन को स्टेटस रिपोर्ट पेश करनी होगी।
नगर निगम को दिए थे निर्देश
स्वर्णरेखा नदी का पुराना वैभव लौटाने के लिए पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिए थे। यह कहा गया था कि वह इसकी DPR तैयार कराए। कोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने पहले ग्वालियर के MITS शिक्षण संस्थान से DPR तैयार कराई लेकिन (Gwalior News) उसमें खामियों को देखते हुए भोपाल स्थित मैनिट संस्थान से DPR तैयार कराई गई। ट्रंक लाइन बिछाने को लेकर एक बार फिर भोपाल स्थित मैनिट संस्थान से सत्यापन कराया गया। ऐसे में एक लंबा वक्त बीत जाने के बावजूद सिर्फ DPR वर्क तक ही सीमित रहने ओर धरातल पर काम शुरू नहीं होने साथ ही शासन द्वारा फंड जारी न किए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।
शासन-प्रशासन को फटकार
कोर्ट ने नगर निगम के साथ शासन को फटकार लगाई। याचिकाकर्ता एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया का कहना है कि हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि " इंदौर प्रशासन भीख देने पर FIR जैसी सख्त कार्रवाई कर सकता है तो फिर ग्वालियर का स्थानीय प्रशासन स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी करने वालों पर क्यों करवाई नहीं कर रहा?" साबरमती नदी प्रोजेक्ट देश में मॉडल बना है तो फिर स्वर्ण रेखा नदी अपने पुराने स्वरूप में क्यों नहीं आ पा रही है"। अब इस मामले में अगली सुनवाई फरवरी महीने के दूसरे सप्ताह में होगी। यहां हाईकोर्ट ने नगर निगम के साथ शासन को अगली सुनवाई में वर्क स्टेटस रिपोर्ट के साथ तलब किया।
(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)
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