Gwalior News: सरकारी स्कूल की छत गिरी, 15 मिनट पहले ही बच्चे निकले थे कमरे से बाहर
Gwalior News: ग्वालियर। मध्य प्रदेश के जिला ग्वालियर में कुछ ना कुछ ऐसा होता रहता है कि वह चर्चाओं का विषय बना रहता है फिर चाहे वह राजनीति के क्षेत्र में हो या प्रशासनिक क्षेत्र में। हाल ही में ग्वालियर के एक स्कूल की छत गिर गई। गनीमत यह रही कि उस समय स्कूल में कोई भी मौजूद नहीं था, नहीं तो वहां एक बड़ा हादसा हो जाता। स्कूल की इमारत काफी जर्जर हालत में थी, यही वजह रही की इतना बड़ा हादसा हो गया।
छत गिरने के बाद जारी हुए सर्वे के आदेश
शहर के एक शासकीय प्राथमिक स्कूल की छत गिरने से बड़ा हादसा टल गया। इसको लेकर प्रशासन अलर्ट हो गया है। जिला शिक्षा अधिकारी को शासन की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं कि जिले में जितने भी स्कूल हैं, उनका पूरा सर्वे कराया जाए और जर्जर भवनों की पूरी लिस्ट बनाई जाए। साथ ही यह भी कहा गया है कि जो भवन पुराने और जर्जर हालत में हैं, वहां कोई भी कक्षाएं न लगाई जाए। उसके स्थान पर नजदीकी जो भी सुरक्षित भवन हो वहां बच्चों को पढ़ाया जाए।
कमरे की छत गिरने के 15 मिनट पहले ही बाहर निकले थे बच्चे और स्टाफ
आपको बता दें कि ग्वालियर के चकराम पुरा में एक शासकीय प्राथमिक स्कूल की छत गिर गई। गनीमत यह रही कि घटना होने से पहले स्कूल स्टाफ और बच्चे निकल चुके थे। इस स्कूल में 19 बच्चे पढ़ते हैं जबकि दो अध्यापक पदस्थ हैं। विद्यालय की छुट्टी होने के बाद मात्र 15 मिनट के फैसले से ही भवन के भीतर से अचानक तेज आवाज आई। इसे देखने के लिए जब आसपास के लोग एकत्रित हुए तब पता चला कि भवन की छत गिर चुकी है। बताया जा रहा है कि स्कूल काफी पुराना है और काफी ज्यादा हालत में भी पहुंच चुका था।
100 वर्षों से भी अधिक पुराना है स्कूल भवन
सूत्रों की माने तो यह भवन लगभग 100 साल से भी अधिक पुराना है और इसमें मैप प्राइमरी स्कूल चलाया जा रहा था। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी किए गए थे कि किसी भी प्रकार के अत्यधिक पुराने और जर्जर स्कूलों में विद्यालयों को संचालित ना किया जाए।
घटना होने के बाद एक बार फिर विभाग में तत्काल प्रभाव से एक सर्वे करवा जा रहा है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि जो भी पुराने और जर्जर स्कूल हैं उनके भवनों को छोड़कर वहां के आसपास जो भी सामुदायिक भवन अथवा पंचायत भवन या किसी भी प्रकार का शासकीय भवन होने पर विद्यालय को तत्काल प्रभाव से उनमें ले जाया जाए ताकि किसी भी प्रकार के हादसे की आशंका न रहे। यदि भवन की हालत खराब है तो उसकी मरम्मत के बाद ही उनमें विद्यालय संचालित किए जाएंगे।
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