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Gwalior News: हादसों से सबक नहीं ले रहा शासन-प्रशासन, जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं छात्र

Gwalior News: ग्वालियर। जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग और जिला पंचायत तक के अधिकारियों की उदासीनता के चलते ग्रामीण इलाकों की स्कूल व्यवस्था तो ठप्प थी ही‌ लेकिन इसके साथ ही गाँवों के स्कूलों और आंगनबाड़ियों की जर्जर बिल्डिंगें...
01:34 PM Aug 31, 2024 IST | Suyash Sharma

Gwalior News: ग्वालियर। जिला प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग और जिला पंचायत तक के अधिकारियों की उदासीनता के चलते ग्रामीण इलाकों की स्कूल व्यवस्था तो ठप्प थी ही‌ लेकिन इसके साथ ही गाँवों के स्कूलों और आंगनबाड़ियों की जर्जर बिल्डिंगें भी बच्चों की जान की दुश्मन बनी हुई हैं। ग्वालियर के मिलावली ग्राम पंचायत, सुसैरा ग्राम पंचायत समेत जिले के अधिकांश गांवों में स्कूल और आंगनबाड़ी भवन खस्ताहाल हो चुके हैं। इसके बाद भी अधिकारियों के कानों पर जूं नहीं रेंगता। इसे लेकर भाजपा ग्रामीण के युवा नेता शिवराज यादव ने भी अपनी ही सरकार और प्रशासन पर निशाना साधा है।

खतरे में बच्चों का भविष्य

जब स्कूल की हालत ही बदहाल हों तो बच्चों का भविष्य कैसे सुधरेगा। प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में जर्जर भवन गिरने से कई हादसे देखने को मिले जिसमें मासूमों की जानें गईं। इसके बाद भी यहां पर जर्जर आंगनवाड़ी भवन में काम हो रहा है। सरकार ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा की बातें तो करती है लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। कहीं स्कूल भवन ठीक हैं तो वहां तक जाने का रास्ता बदहाल है। रास्ते दुरुस्त हैं तो स्कूल बिल्डिंग जर्जर और स्कूल भवन ठीक हैं। तो कहीं टीचर ही समय पर नहीं पहुंचते।

ग्रामीण इलाकों में हालात खराब

अहम बात यह है कि शिक्षा व्यवस्था पर करोंड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ग्रामीण इलाकों (Gwalior News) में स्कूली शिक्षा की बातें केवल बातें ही रह जाती हैं। सरकारी दावों को भी ग्रामीण की जनता भली भांति समझती है। इसलिए अब वे भी बच्चों को पढ़ाने के लिए शहर में भेजते हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार का कहना है कि हमने जर्जर स्कूल भवनों की सूची बनाकर शिक्षा विभाग में भेजी है, जल्दी स्कूलों का संधारण किया जाएगा।

वहीं, महिला बाल विकास अधिकारी धीरेन्द्र सिंह जादौन जर्जर आंगनबाड़ी भवनों की बात को स्वीकार करते हैं और कहते हैं कि हम इसका प्रस्ताव ग्राम पंचायतों और संबंधित एजेंसियों को भेजेंगे, जिससे जल्द ही समस्या का निदान हो सके। यह एक ऐसा रटा-रटाया जवाब‌ है जिसे प्रशासन का हर अधिकारी अपने बचाव में कहता नजर आता है लेकिन गांव के बच्चों का इंतजार कब खत्म होगा ये आने वाला वक्त बताएगा?

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