High Court On Dengue: मध्य प्रदेश में बढ़ा डेंगू का खतरा, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
High Court On Dengue: जबलपुर। हाई कोर्ट की प्रिंसिपल पीठ में प्रदेश में तेजी से फैल रहे डेंगू और इसकी वजह से हो रही मौतों पर चिंता जताते हुए जनहित याचिका दायर की। आईटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट के एक्टिव चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच में सुनवाई हुई। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि जबलपुर, भोपाल सहित समूचे मध्य प्रदेश में नगर निगम और नगर पालिका द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कोर्ट ने इन्हें किया नोटिस जारी
मध्य प्रदेश के जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जैसे महानगर हो या फिर छोटे और मध्यम जिले सभी जगह डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच ने प्रदेश के सभी नगर निगमों को नोटिस जारी कर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए। हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य विभाग, भोपाल और जबलपुर नगर निगम कमिश्नर को अनावेदक बनाया। डेंगू की वजह से आए दिन हो रही मौतों के मामलों को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया और जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रारंभिक नोटिस जारी किए। वहीं, इस मामले में अगली सुनवाई 19 सितंबर 2024 तय की गई है।
आंकड़े बेहद चिंताजनक
प्रदेश के हरदा जिले में रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. विजय बजाज ने स्वास्थ्य विभाग में आरटीआई के तहत डेंगू से जुड़े कई अहम आंकड़े हासिल किए। प्रदेश के सभी जिलों में डेंगू के आंकड़े बेहद चिंताजनक और आम आवाम में बीमारी के चलते खौफ पैदा करने वाले हैं। दायर जनहित याचिका में कहा गया कि प्रदेश के गवर्नमेंट और प्राइवेट हॉस्पिटल डेंगू पीड़ित मरीजों से भरे हुए हैं।
अस्पतालों में डेंगू पीड़ित मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अस्पताल में मरीज को भर्ती करने के लिए पलंग भी कम पड़ने लगे। याचिकाकर्ता के वकील आदित्य संघी ने हाई कोर्ट में राष्ट्रीय जनित रोग नियंत्रण केंद्र की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि साल 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में डेंगू पीड़ितों की संख्या में 50 फीसदी ज्यादा इजाफा हुआ था। वही साल 2024 के मौजूदा हालात भी कम चिंताजनक नहीं हैं।
छिंड़काव के मिले निर्देश
हाई कोर्ट में एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील आदित्य संघी ने दलील दी कि नगर निगम सिर्फ वीआईपी क्षेत्र में फॉगिंग मशीन, कीटनाशक दवा का छिड़काव कर कर्तव्य की इतिश्री कर रही है। निचली और मलिन बस्तियों में तो कीटनाशक दवा का छिड़काव तो बहुत दूर की बात है फागिंग मशीन या मच्छरों के प्रकोप से निपटने के लिए किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
मध्यम और निम्न वर्गीय लोग नगरीय सीमा में केवल टैक्स पेयर से ज्यादा कुछ नहीं हैं। जबकि, अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को जीवन जीने का समान अधिकार देता है। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी वीआईपी इलाकों के अलावा दूसरे क्षेत्र में सिर्फ डीजल डालकर छिड़काव की खानापूर्ति करने में लगे है। ऐसे इलाकों में कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जा रहा है।