Historical Khadi Flag: ग्वालियर में बने राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' का ग्वालियर से क्या है पुराना कनेक्शन, जानें पूरी कहानी...

Historical Khadi Flag: ग्वालियर। राष्ट्रीय पर्व पर आन-बान और शान से लहराता हुआ तिरंगा देखकर हम सभी गर्व महसूस करते हैं। 15 अगस्त देश का सबसे खास दिन होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं जिस तिरंगे को हम सम्मान...
historical khadi flag  ग्वालियर में बने राष्ट्रीय ध्वज  तिरंगा  का ग्वालियर से क्या है पुराना कनेक्शन  जानें पूरी कहानी

Historical Khadi Flag: ग्वालियर। राष्ट्रीय पर्व पर आन-बान और शान से लहराता हुआ तिरंगा देखकर हम सभी गर्व महसूस करते हैं। 15 अगस्त देश का सबसे खास दिन होता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं जिस तिरंगे को हम सम्मान के साथ अपने दिल में बसाए हुए हैं उस राष्ट्रीय ध्वज का ग्वालियर से क्या रिश्ता है? यह रिश्ता इतना अटूट है कि हर राष्ट्रीय पर्व पर हमें चरखा आंदोलन की याद दिलाता है। इस राष्ट्रीय ध्वज को बनाने की भी कुछ शर्तें होती हैं। आइए जानते हैं कि ग्वालियर से इसका ऐतिहासिक रिश्ता क्या है?

यहां से बने राष्ट्रीय ध्वज की अलग पहचान:

ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ में बने ध्वज देश की कई आलीशान इमारतों की शोभा बढ़ाते हैं। यहां से बनने वाला राष्ट्रीय ध्वज दिल्ली से लेकर कई राज्यों की राजधानियों में फहराया जाता है। ग्वालियर का मध्य भारत खादी संघ उत्तर भारत में भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज तैयार करने वाला एकमात्र संगठन है। देश में कर्नाटक के हुबली और महाराष्ट्र के मुंबई में के अलावा ग्वालियर में राष्ट्रीय ध्वज बनाए जाते हैं। संघ के सचिव रमाकांत शर्मा ने बताया कि इन दिनों तेज गति से तिरंगे बनाने का कार्य चल रहा है। इन तिरंगों को बनाने में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जिससे तिरंगे का रंग फीका नहीं पड़ता।

ऐसे तैयार होता है तिरंगा:

बता दें कि तिरंगे के कपड़े के लिए भोपाल के पास सीहोर से कपास लाकर सूत तैयार किया जाता है। फिर सूत से कपड़ा तैयार किया जाता है, जिसकी गुणवत्ता की जांच की जाती है। इसके बाद कपड़े की रंगाई के लिए तीन रंगों की अलग अलग ड्राइंग तैयार की जाती है। ध्वज के साइज के हिसाब से उस पर अशोक चक्र बनाया जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन के समय से शुरू हुए ग्वालियर के मध्य भारत खड़ी संघ में ज्यादातर तीन साइज के झंडे बनाए जाते हैं, जो कि सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और जिलों के अन्य न्यायालयों सहित सचिवालय जैसे भवनों पर फहराए जाते हैं।

जानकारी के तौर पर बता दें कि मध्य भारत खादी संघ की स्थापना 1930 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी। साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला। इसके बाद साल 2016 में ग्वालियर के खादी संघ को बीआइएस से तिरंगा बनाने की अनुमति मिली. संघ ने इस दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन वर्तमान में यह संस्था खादी जगत में मध्य प्रदेश का गौरव मानी जाती है। संघ का प्रमुख उत्पाद हाथ से कटा , हाथ से बना शुद्ध खादी के कपड़े का भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है।

विभिन्न इमारतों पर लहराएंगे ध्वज:

ऐतिहासिक मध्य भारत खादी संघ से 16 राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज सप्लाई किया जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस पर ग्वालियर में बने करीब 15 हजार राष्ट्रीय ध्वज देश की अलग-अलग इमारतों पर फहराए जाएंगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खादी एवं चरखा आंदोलन के आवाहन पर देश में चरखा संघ की स्थापना की गई. इसी दौरान बना ग्वालियर का मध्य भारत खादी संघ आज भी स्वतंत्रता आंदोलन की यादों को जीवंत रूप में भारत का सर सम्मान से ऊंचा कर रहा है।

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