History of Gwalior and Jhansi ki Rani : रानी लक्ष्मीबाई और ग्वालियर के इतिहास को लेकर भाजपा-कांग्रेस फिर आमने-सामने

History of Gwalior and Jhansi ki Rani: ग्वालियर। ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर  वर्षों से बलिदान मेला का आयोजन होता रहा है। मेले में  उनकी शहादत के किस्सों पर हर साल एक नाटक की प्रस्तुति होती है। नाटक...
history of gwalior and jhansi ki rani   रानी लक्ष्मीबाई और ग्वालियर के इतिहास को लेकर भाजपा कांग्रेस फिर आमने सामने

History of Gwalior and Jhansi ki Rani: ग्वालियर। ग्वालियर में महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि पर  वर्षों से बलिदान मेला का आयोजन होता रहा है। मेले में  उनकी शहादत के किस्सों पर हर साल एक नाटक की प्रस्तुति होती है। नाटक की कहानी सिंधिया परिवार और रानी लक्ष्मीबाई के इर्द-गिर्द घूमती थी। अब नाटक से  सिंधिया राजघराने से जुड़ी कुछ  पंक्तियां गायब हो गई हैं। कांग्रेस ने इसको लेकर भाजपा पर करारा वार किया है। कांग्रेस ने भाजपा पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है।

विवाद के पीछे क्या है पूरी कहानी ?

सन 1857 की क्रांति में अपनी बहादुरी से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर देने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की कहानी हर किसी को रोमांच और जोश से भर देती है। लक्ष्मीबाई की याद में उनकी समाधि स्थल पर पिछले 25 सालों से एक मेला लगता आ रहा है। इस मेले में नाटकों और गीतों के माध्यम से महारानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी के किस्से लोगों को बताई जाती है। ऐसे ही एक नाटक में ग्वालियर राजघराने पर गंभीर आरोप लगाया गया है। इसस नाटक की प्रस्तुति हर साल बलिदान मेले में होती रही है। कहानी में बताया गया था कि किस तरह ग्वालियर के राजा ने लक्ष्मीबाई को धोखा दिया और अंग्रेजों की शरण में चले गए। इस नाटक के उन अंशों को जिनमें ग्वालियर राजघराने पर आरोप लग रहे थे, अब हटा दिया गया है। इसी बात पर कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की कोशिश की है।

प्रदेश की सरकार के सहयोग से लगता मेला

बता दें इस मेले की शुरूआत बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और बीजेपी के नेता जयभान सिंह पवैया ने की थी। अब हर साल 17 और 18 जून को  इसका आयोजन  मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और नगर निगम के सहयोग से किया जाता है।मेले में वीरांगना लक्ष्मीबाई की शहादत पर एक नाटक प्रस्तुत किया जाता था जिसमें उस दौर के सिंधिया राजघराने पर आरोप लगाया जाता था।अब नाटक से ग्वालियर राजघराने और झांसी की रानी से जुड़ी कहानी के विवादित अंश को  गायब कर दिया गया है।

कांग्रेस का भाजपा पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप

गौरतलब है कि यह मेला पिछले 25 सालों से वीरांगना लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर लगता रहा है। उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। बाद में ज्योतिरादित्य भी कांग्रेस में शामिल हो गए। तब भाजपा सिंधिया परिवार पर रानी लक्ष्मीबाई के साथ धोखे का आरोप लगाती थी। अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आ गए हैं तो कांग्रेस भाजपा पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होते ही इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश शुरू हो गई है।

मेले पर विवाद का असर नहीं

बताते चलें कि हर साल महारानी लक्ष्मीबाई की याद में लगने वाला बलिदान मेला वीर रस में सराबोर रहता है। देशभर  के कई जाने-माने कवि यहां वीरता और बहादुरी से जुड़ी कविताओं की प्रस्तुति देते हैं। आज भी यह मेला उसी जोश और उल्लास के साथ आयोजित हो रहा है । बस अंतर इतना ही है कि मेले में सबसे ज्यादा चर्चा महारानी लक्ष्मीबाई के चरित्र से जुड़े जिस नाटक की होती थी उसके कुछ अंश को हटा दिया गया है। लोगों में चर्चा इस बात की हो रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होते ही इतिहास बदल कैसे गया ?

यह भी पढ़ेंः Amarwara By Election: छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में जंग जबरदस्त,भाजपा ने उपचुनाव में उतारे  35 स्टार प्रचारक

यह भी पढ़ेः MP Weather Update: मध्य प्रदेश में मजबूत हुई प्री-मानसून एक्टिविटी, 6 जिलों में भारी बारिश का रेड अलर्ट

Tags :

.