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Holika Dahan 2025: यहां गोलियों की तड़तड़ाहत से होती है होलिका दहन, जानें पूरा मामला

Holika Dahan 2025: विदिशा। पूरे देश में होलिका दहन को खास तरीके से मनाजा जाता है। हर जगह का अपना अलग रिवाज है। विदिशा में यहां होलिका दहन लकड़ियों या मशाल से नहीं, बल्कि बंदूक की गोलियों से निकलने वाली चिंगारी...
05:33 PM Mar 13, 2025 IST | Pushpendra

Holika Dahan 2025: विदिशा। पूरे देश में होलिका दहन को खास तरीके से मनाजा जाता है। हर जगह का अपना अलग रिवाज है। विदिशा में यहां होलिका दहन लकड़ियों या मशाल से नहीं, बल्कि बंदूक की गोलियों से निकलने वाली चिंगारी से किया जाता है। यह अनोखी प्रथा कई सदियों से चली आ रही है। आज भी इसे उसी उत्साह के साथ निभाई जाती है। आइए जानते हैं होली के इस अनोखे परंपरा के बारे में जो विदिशा जिले के सिरोंज में मनाई जाती है।

गोली से जलाई जाती है होली

सिरोंज की इस परंपरा की जड़ें होलकर रियासत से जुड़ी बताई जाती हैं। पहले रावजी की होली के नाम से जानी जाने वाली इस होली में सूखी घास और रुई को इकठ्ठा कर, बंदूक से गोली दागी जाती थी। इससे निकलने वाली चिंगारी से होलिका जलती थी। बाद में होलकर स्टेट के कानूनगो परिवार ने इस परंपरा को जारी रखा और आज भी इसी विधि से होलिका दहन किया जाता है।

रोक लगाने की हुई कोशिश

इस परंपरा को निभाने वाले परिवार के वंशज महेश माथुर हैं। वे बताते हैं कि जब सिरोंज में नवाबी शासन आया था, तब इस (Holika Dahan 2025) पर रोक लगाने की भरसक कोशिश की गई। लेकिन, परंपरा को बनाए रखने के लिए उनके पूर्वजों ने घास के ढेर पर बंदूक से गोली दागकर होली जलाई। इस ऐतिहासिक घटना के बाद यह प्रथा और भी दृढ़ हो गई और तब से लेकर आज तक पीढ़ी दर पीढ़ी इसे निभाया जा रहा है।

सावधानी का विशेष ध्यान

डॉ. प्रशांत चौबे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सिरोंज थाना क्षेत्र के पचकुंइया क्षेत्र में लगभग 100 साल पुरानी एक परंपरा है। इसमें होलिका दहन बर्तल बंदूक से किया जाता है। घास-फूस को होलिका से दूर रखकर पहले बर्तल बंदूक से उसमें आग लगाई जाती है। जब वह जल (Holika Dahan 2025) जाती है, तो उसी आग से होलिका दहन किया जाता है। प्रशासन इस प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरतता है। इसके लिए लाइसेंसी राइफल का उपयोग किया जाता है और किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाव के लिए पुलिस प्रशासन पूरा इंतजाम करता है।

जानिए कौन निभाता है परंपरा

यह परंपरा राजीव माथुर और उनके परिवार द्वारा निभाई जाती है। इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। प्रशासन द्वारा एसडीएम को पहले इसकी सूचना दी जाती है। जिससे कि, परमिशन लेकर सुरक्षा के सभी प्रबंधों के साथ परंपरा का निर्वहन हो सके। इस वर्ष भी यह परंपरा निभाई जाएगी। क्योंकि, स्थानीय लोग इसे लोक परंपरा के रूप में मानते हैं। प्रशासन इस आयोजन में सुरक्षा, परमिशन और विधिकता का पूरा ध्यान रखता है।

(विदिशा से राहुल चिढ़ार की रिपोर्ट)

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