जस्टिस को चिट्ठी भेजकर कैसे मुश्किल में फंसी नर्मदापुरम कलेक्टर? HC ने इन 2 अफसरों को भी फिर ट्रेनिंग लेने को कहा
Justice Angry With Jabalpur Collector: जबलपुर। हाईकोर्ट में एक प्रकरण में तलब किए जाने पर खुद हाजिर न होकर सीधे जस्टिस को चिट्ठी भेजने के मामले में नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीणा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। हाईकोर्ट जस्टिस ने मामले को गंभीर बताते हुये कलेक्टर सोनिया मीणा और उनकी चिट्ठी लेकर पहुंचे अपर कलेक्टर और तहसीलदार पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने तलब किया, कलेक्टर ने चिट्ठी भेज दी
हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम में जमीन से जुड़े एक प्रकरण में कलेक्टर सोनिया मीणा को तलब किया था। मगर कलेक्टर खुद कोर्ट नहीं पहुंचीं। अपर कलेक्टर डी.के.सिंह के हाथों जस्टिस जीएस अहलूवालिया के नाम एक चिट्ठी भेज दी। जस्टिस अहलूवालिया ने इस पर गहरी नाराजगी जताई और कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के माध्यम से ही कोर्ट में रख सकता है। इस तरह सीधे जज को चिट्ठी भेजे जाना स्वीकार्य नहीं है। कलेक्टर ने हाईकोर्ट का मजाक बनाकर रखा है।
कलेक्टर की हरकत से जस्टिस हुए नाराज
इससे पहले कोर्ट रूम में जब डिप्टी एडवोकेट जनरल कलेक्टर की तरफ से बात कर रहे थे, तो अपर कलेक्टर पीछे खड़े होकर जस्टिस कीओर मुखातिब होकर कलेक्टर का लेटर दिखा रहे थे।
इससे जस्टिस अहलूवालिया ने नाराज होकर कहा कि सीधे सस्पेंड करने के निर्देश देता हूं, फिर देखता हूं कैसे CS उसे रिमूव करते हैं ? सुनवाई के दौरान जस्टिस अहलूवालिया ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर नाराजगी जताई।(Justice Angry With Jabalpur Collector)
जस्टिस ने CS को कार्रवाई करने को कहा
सोमवार को जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने खुद कोर्ट न आकर जूनियर अधिकारियों के हाथों सीधे जज को चिट्ठी भेजने को दुस्साहसपूर्ण कदम बताया। इस मामले में जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने मुख्य सचिव (चीफ सेकेट्री) वीणा राणा को आदेश दिए कि नर्मदापुरम कलेक्टर सोनिया मीणा पर एक्शन लें और 30 अगस्त तक रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करें।
हाईकोर्ट ने अपर कलेक्टर और तहसीलदार से मजिस्ट्रेट पावर छीनने के साथ साथ दोनों अफसरों को 6-6 महीने की ट्रेनिंग पर भेजने और प्रशासनिक काम सीखने को भी कहा।
दो भाइयों के विवाद पर सुनवाई कर रही कोर्ट
जिस विवाद की सुनवाई के दौरान यह बात हुई। वो विवाद नर्मदापुरम के प्रदीप और नितिन अग्रवाल के बीच है। हाईकोर्ट ने इनकी जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने के आदेश दिए थे। मगर तहसीलदार ने बंटवारा कर दिया। प्रदीप-नितिन ने अपर कलेक्टर से कहा कि नामांतरण करना है, बंटवारे की प्रक्रिया की जा रही है। मगर उन्होंने सुनवाई नहीं की, तो मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कलेक्टर को मामले की जानकारी के लिए तलब किया। मगर उन्होंने खुद उपस्थित होने की जगह जस्टिस के नाम चिट्ठी भेज दी।
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