Bundeli Tarzan: मिट्टी में प्रैक्टिस कर जीतना चाहते हैं ओलंपिक, ताकत इतनी कि ट्रैक्टर खींचते हुए दौड़ लगाते हैं
Bundeli Tarzan: खजुराहो। मध्य प्रदेश में खजुराहो के समीप जटकारा ग्राम के रहने वाले 28 वर्षीय धर्मेंद्र पटेल गांव की देसी मिट्टी में प्रैक्टिस करके एथलीट बनने का सपना देख रहे हैं। इनके अंदर इतनी ताकत है कि यह ट्रैक्टर खींच लेते हैं। हालांकि वर्तमान में वह होटल-रेस्टोरेंट में किचन-हेल्परी तथा अन्य छोटे-मोटे काम करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं। इनका सपना है कि यह देश के लिए मेडल जीत कर लाए। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह संसाधनों की कमी होते हुए भी गांव की देसी मिट्टी में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। क्षेत्र में धर्मेंद्र पटेल को लोग बुंदेली टार्जन और धर्मेंद्र लाइजर के नाम से जानते हैं।
धर्मेंद्र के सपनों की ऐसे हुई शुरुआत
धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि उनका सपना है कि वह आर्मी ज्वाइन करें, जिसके लिए वह कक्षा छठवीं से तैयारी कर रहे हैं, और दसवीं तक इन्होंने पढ़ाई की हुई है। घर की स्थिति खराब होने की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी और तीन बार तक आर्मी सिलेक्शन में अप्लाई किया और रात रात भर जागकर रैली भर्ती में अपना भाग्य अजमाया। पहली बार ग्वालियर में दौड़े तो दूसरे नंबर पर आए, दूसरी बार शिवपुरी में दौड़े तो पहले नंबर पर आए लेकिन सब कुछ क्वालीफाई होने के बाद 1 इंच हाइट कम होने की वजह से बाहर निकाल दिए गए और लगातार निराशा हाथ लगी।
बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज की कहानी सुनी तो हिम्मत जागी
वह बताते हैं कि फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी क्योंकि उन्होंने सुना था कि बड़े-बड़े सेलिब्रेटी भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। कोई 8वीं पास है, कोई 10वीं पास है और वो बढ़िया क्रिकेट खेलते हैं और आज बड़े-बड़े मुकाम पर हैं। ऐसे में उन्होंने भी सोचा कि मैं भी बढ़िया दौडूंगा, ओलंपिक की तैयारी करूंगा। फिर मैने लोगों से पूछा, मोबाइल से जाना कि ओलंपिक की तैयारी कैसे होती है तो पता चला कि हुसैन बोल्ट और मिल्खा सिंह हैं। उन्होंने भी दौड़ में भाग लिया था। यही सब कहानियां सुनी और यूट्यूब पर देखी तो उसी से प्रेरणा मिली और तैयारी करते चले गए और जब मैंने टाइम अपना मिलाया तो मेरी दौड़ 10 सेकंड में 100 मीटर आने लगी, 22 सेकंड में 200 मीटर आने लगी।
एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं धर्मेंद्र
धर्मेंद्र (Bundeli Tarzan) की मां 3 से 4 साल पहले कैंसर की बीमारी के चलते चल बसी। उनके पिता खेती किसानी का काम करते हैं और उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता हैं। धर्मेंद्र की वर्ष 2015 में शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं जिनके साथ वह एक आम गृहस्थ के समान जीवन यापन कर रहे हैं।
सरकार और प्रशासन से चाहते हैं मदद
धर्मेंद्र पटेल का कहना है अगर सरकार उनकी मदद के लिए आगे आए और उन्हें सही मार्गदर्शन मिले, सही प्रशिक्षण मिले तो वो वादा करते हैं कि वह देश के कुछ कर सकते हैं। वह कहते हैं कि मैं देश के लिए ओलंपिक भी खेलूंगा और मेडल भी लेकर आऊंगा। इसके लिए उन्होंने क्षेत्रीय सांसद विष्णु शर्मा और विधायक अरविंद पटेरिया सहित देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी से भी सहयोग की आशा की है।
ये है धर्मेंट की डाइट और दिनचर्या
वह बताते हैं कि सुबह 4:00 बजे उठ जाते हैं और फ्रेश होने के बाद नीम की पत्तियां खाते हैं। इसके बाद दौड़ने जाते हैं, और अन्य एक्सरसाइज करते हैं जिसमें दंड मारना, पुशअप करना, वजन उठाना जैसी एक्टिविटी शामिल हैं और इसके बाद योगा भी करता हूं, और अगर मेरे खान-पान की बात की जाए तो में मूंगफली खाता हूं जिसे गरीबों का काजू कहा जाता है। इसके अलावा धर्मेंद (Bundeli Tarzan) महुआ, चना, दूध, घी, मठ्ठा, दही और घर में बनने वाली हरी सब्जियां जो मिल जाता है, वो खा लेते हैं।
इसलिए खींचते हैं ट्रैक्टर
अपनी तैयारियों के लिए बात करते हुए धर्मेंद्र बताते हैं कि मैं ट्रैक्टर इसलिए खींचता हूं और चेक करता हूं कि मेरे शरीर की ताकत कम न हो क्योंकि मैं जो 100 मीटर दौड़ता हूं तो मैं ट्रैक्टर लेकर भी दौड़ता हूं और ट्रैक्टर का बड़ा टायर जो 70 kg का होता है, उसे बांधकर भी दौड़ता हूं, तो कम से 15 सेकंड में टायर बांधकर दौड़ता हूं।
28 रेस में से 26 जीत चुके हैं, और दंगल में भी आजमा चुके हैं हाथ
धर्मेंद्र बताते हैं कि मैंने खजुराहो, छतरपुर, पन्ना, जटाशंकर (बिजावर) सहित मैने 28 जगह पार्टिसिपेट किया है, जिनमें से बस दो जगहों पर हारा हूं, बाकी सभी जगह पर जीत हासिल की है। स्थानीय क्षेत्र में होने वाले दंगल में भी मैंने भाग लिया है लेकिन मेरा सपना दौड़ने का है तो मैंने सब कुछ छोड़कर अपना फोकस दौड़ने पर रखा है।
हुसैन बोल्ट को मानते हैं भगवान और मिल्खा सिंह को करते हैं फॉलो
अपने सपने के बारे में बात करते हुए धर्मेंद्र (Bundeli Tarzan) कहते हैं कि मैं नहीं कहता कि मैं किसी का रिकॉर्ड तोड़ दूंगा या फिर किसी को पीछे कर दूंगा लेकिन उन्हें मुझे मौका मिलता है तो मैं ओलंपिक खेलना चाहता हूं। वह हुसैन बोल्ट को भगवान मानते हैं, साथ ही मिल्खा सिंह की बातों को भी गांठ बांधकर भी रखे हुए हैं कि उन्होंने एक बार कहा था कि 25 से 30 साल बाद कोई ऐसा बंदा आएगा जो मेरे जैसा यहां दौड़ेगा और सितारे लेकर भारत आएगा। इसलिए वह इस बात पर अड़े हुए हैं कि उन्हें दौड़ने के लिए बुलाया जाए और सरकार उनकी मदद करें, क्योंकि उन्हें पता नहीं कि किस तरह वह ओलंपिक में पहुंच सकते हैं और कैसे इसकी तैयारी करनी है।
(खजुराहो से गौरव मिश्रा की रिपोर्ट)
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