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International Women Day: दिव्यांगता भी नहीं रोक पाई मंजिल, मजबूत इरादों से पाई सफलता

International Women Day: दमोह। जिले के हटा ब्लॉक की महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में सांख्यिकी अन्वेषक के पद पर पदस्थ महिला अधिकारी ने 44 साल की उम्र में अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। उनके हौसलों के आगे दिव्यांगता...
05:52 PM Mar 08, 2025 IST | Pushpendra

International Women Day: दमोह। जिले के हटा ब्लॉक की महिला बाल विकास विभाग कार्यालय में सांख्यिकी अन्वेषक के पद पर पदस्थ महिला अधिकारी ने 44 साल की उम्र में अधिकारी बनने का सपना पूरा किया। उनके हौसलों के आगे दिव्यांगता ने भी हार मान ली और आखिरकार वह इस पद पर पहुंच गईं। सांख्यिकी अन्वेषक संध्या साहू दोनों हाथ और दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। लेकिन, उन्होंने इस दिव्यांगता को अपनी सफलता के आढ़े नहीं आने दिया। लगातार कठोर परिश्रम, परिवार व बच्चों का पूरा सहयोग मिलने के साथ उन्होंने अपनी मंजिल हासिल कर ली।

मजबूर इरादों से पाई सफलता

कहते हैं कि यदि आपके सपनों में उड़ान है और इरादे मजबूत हैं तो आपके जीवन में असफलता कभी नहीं आ सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है 44 वर्षीय संध्या साहू ने। जिन्होंने बचपन से अधिकारी बनने का सपना देखा था और लगातार परिश्रम के बाद उन्होंने एक के बाद एक वह सफलताएं अर्जित की। जो महिलाएं कुछ बड़ा करने का सपना देखती हैं, लेकिन शादी के बाद घर, गृहस्थी में ही उलझ कर रह जाती हैं, उनके लिए संध्या मिसाल हैं। संध्या की इतनी उम्र निकल जाने के बावजूद भी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा किया।

1998 में हुई थी शादी

संध्या साहू बताती है कि साल 1998 में उनकी शादी हटा निवासी महेश साहू से हुई थी। उस समय वह 12वीं की पढ़ाई कर रही थी। पति की साइकिल की दुकान है। बचपन से एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना उन्होंने देखा था। इसलिए कहीं ना कहीं मन में यह बात जरूर उठती थी कि आज नहीं तो कल वह अपने सपने को हकीकत में बदलेंगी। शादी के 16 साल बाद साल 2014 से उन्होंने लगातार परिश्रम करना शुरू कर दिया और 10 साल की मेहनत में चार बड़ी परीक्षाएं पास कर ली। सबसे आखिर में दिसंबर 2024 में महिला बाल विकास विभाग में सांख्यिकी अन्वेषक के पद पर उन्होंने ज्वाइन किया।

इस तरह हासिल की सफलता

संध्या ने बताया कि वह इकोनॉमिक्स से पीजी हैं। 2014 से वह शासकीय सेवाओं में जाने के लिए प्रयास करने लगीं। 2014 में महिला बाल विकास में सुपर वाइजर का पद हासिल किया था। दमोह जिले के तेंदूखेड़ा में ज्वाइन करना था, लेकिन नहीं किया। मन में आया अभी कुछ और बड़ा करना है। 2016 में एमपीपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। 2017 में प्री निकाल लिया लेकिन मैंस नहीं निकला। 2019 में प्री मेंस इंटरव्यू पास कर पद सुरक्षित कर लिया। 2021 में सांख्यिकी अन्वेक्षक पद के लिए व्यापम से परीक्षा दी। अभी तक पांच परीक्षाएं दीं जिसमें चार में पास हुईं।

सबसे बड़ी बात यह है किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। बल्कि बच्चों के साथ पढ़ाई की क्योंकि वह भी पीएससी की तैयारी कर रहे हैं। एमपी पीएससी में अधीनस्थ लेखा सेवा अधिकारी में पांचवीं वेटिंग है। उद्योग विभाग में सहायक संचालक का पद का केस चल रहा था, जो जीत गईं।  संध्या साहू ने बताया जो महिला शादी ओर बच्चों के जन्म के बाद जीवन शैली से संतुष्ट हो जाती है वह भी आगे बढ़ सकती है। मेरा संकल्प अभी पूरा नहीं हुआ है आगे बढ़ना है। इसके पहले उन्होंने लघु उद्योग किया, जिसमें मसाला चक्की और आटा चक्की लगाई। इसमें महिला समूह को बढ़ावा देना चाहती हैं। महिला सशक्तिकरण से मजबूत राष्ट का निर्माण होगा।

(दमोह से विवेक सेन की रिपोर्ट)

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