Jabalpur City News: हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को दिया नोटिस, पूछा- किस नियम के तहत गणेश उत्सव में लगाई अंडे-मांस विक्रय पर रोक
Jabalpur City News: जबलपुर। सागर कलेक्टर एवं नगर पालिका सीएमओ द्वारा गणेश उत्सव के दौरान अंडा और मीट विक्रय की बिक्री पर पाबंदी लगाने पर हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि आखिर किस नियम के तहत पाबंदी लगाई है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, सागर कलेक्टर और सीएमओ को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 22 अक्टूबर 2024 को नियत की गई है।
प्रशासन ने गणेश उत्सव में अंडे-मांस विक्रय पर लगाई थी रोक
मध्य प्रदेश के सागर जिले के बीना शहर में नगर पालिका सीएमओ और कलेक्टर ने अंडे एवं मीट की बिक्री पर रोक लगाने के लिए सात सितंबर को एक नोटिफिकेशन (Jabalpur City News) जारी किया था। नोटिफिकेशन में गणेश उत्सव के दौरान अंडे और मीट की बिक्री पर पाबंदी का आदेश जारी किया गया और आदेश पर अमल न करने वाले व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई। नगर पालिका सीएमओ के इस आदेश के बाद व्यापारियों को अंडे और मीट की दुकान को मजबूरन बंद रखना पड़ा।
व्यापारियों को उठाना पड़ा आर्थिक नुकसान
स्थानीय व्यापारी वीरेन्द्र अजमानी ने सीएमओ से नोटिफिकेशन में नियम की जानकारी मांगी गई, लेकिन उन्हें अधिकारियों ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। मसलन अधिकारियों ने किस आदेश के तहत उनके कारोबार पर पाबंदी लगाई, इसका कोई जवाब नहीं मिला। वहीं अंडे एवं मांस की दुकान खोलने पर व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई, जिससे विवश होकर व्यापारियों को नॉनवेज कारोबार बंद रखाना पड़ा। इससे व्यापारियों को करीब 10 से 12 दिनों तक कारोबार बंद रखने से भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।
चीफ जस्टिस की डबल बैंच में हुई जनहित याचिका पर सुनवाई
व्यापारी वीरेन्द्र अजमानी ने नगर पालिका सीएमओ और कलेक्टर सागर के आदेश को हाईकोर्ट में जनहित याचिका (Jabalpur City News) दायर कर चुनौती दी। इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव, सागर कलेक्टर और चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि किस नियम के तहत गणेश उत्सव के दौरान बीना में अंडा-मीट की बिक्री प्रतिबंधित की गई। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि इस तरह किसी व्यापार पर रोक लगाने का फरमान जारी करना और आदेश पर अमल नहीं करने पर कार्रवाई का डर दिखाना यह मूलभूत अधिकारों का हनन है।
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