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Jabalpur Court News: आदिवासी नेता पर रासुका लगाने वाले कलेक्टर को कोर्ट ने लगाई फटकार, मुआवजा का आदेश

Jabalpur Court News: जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ ने बुरहानपुर कलेक्टर पर गहरी नाराजगी जताई है।
08:21 PM Jan 23, 2025 IST | Pushpendra

Jabalpur Court News: जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ ने बुरहानपुर कलेक्टर पर गहरी नाराजगी जताई है। माननीय हाई कोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने बुरहानपुर कलेक्टर के जिला बदर आदेश को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को 50 हजार का मुआवजा देने का सरकार को निर्देश दिए। माननीय कोर्ट ने कहा कि मुआवजा की राशि के 50 हजार रूपए सरकार चाहे तो कलेक्टर से वसूल सकती है।

शिकायत पर कलेक्टर ने रासुका लगाया था

मामला बुरहानपुर के जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता अंतराम अवासे के खिलाफ कलेक्टर द्वारा राजनीतिक दबाव में राज्य सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत जिला बदर की कार्रवाई से जुड़ा है। दरअसल, अंतराम अवासे जंगल में चल रही अवैध कटाई को लेकर लगातार (Jabalpur Court News) जिला प्रशासन और वन विभाग से शिकायतें की। विरोध में धरना प्रदर्शन किया लेकिन कोई प्रशासन स्तर पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। उलटे राजनीतिक दबाव में जिला प्रशासन ने अंतराम के खिलाफ ही कई मामले दर्ज करने शुरू कर दिए। वनों से जुड़ें इन्हीं मामलों को आधार बनाकर अनंतराम अवासे के खिलाफ बुरहानपुर कलेक्टर के 23 जनवरी 2024 को जिला बदर का आदेश जारी कर दिया था।

कार्रवाई को दी हाईकोर्ट में चुनौती

अंतराम अवाने कलेक्टर के आदेश को इंदौर कमिश्नर कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन, कमिश्नर ने 14 अक्टूबर 2024 को सुनवाई याचिका खारिज कर दी और जिला बदर की सजा को यथावत रखा। लिहाजा पीड़ित ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी। याचिकाकर्ता के वकील काजी फखरुद्दीन ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान बताया कि कलेक्टर ने साल 2018 से 2023 के बीच वन अधिनियम के तहत दर्ज 11 प्रकरणों और 2019 एवं 2023 में दर्ज गंभीर अपराधों को आधार बनाकर राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत रासुका जिला बदर का आदेश जारी किया है। लेकिन, वन अधिनियम के मामले राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 6 के अंतर्गत नहीं आते। वहीं, हाईकोर्ट ने कहा कि केवल आपराधिक प्रकरण दर्ज होना जिला बदर का आधार नहीं बन सकता। कलेक्टर ने गलत तरीके से वन अधिनियम के प्रकरणों को आधार बनाया।

राजनीतिक दबाव में कार्रवाई- हाईकोर्ट

माननीय हाई कोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर राजनीतिक दबाव में आकर ऐसी कार्रवाई की गई तो यह न्याय उचित नहीं है। याचिकाकर्ता की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर और इंदौर कमिश्नर ने बिना उचित विवेक के आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि अंतराम अवासे से सुनवाई के दौरान भी लोक शांति और सुरक्षा को कोई खतरा साबित नहीं हुआ। हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने बुरहानपुर कलेक्टर द्वारा राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 के तहत पारित जिला बदर आदेश को निरस्त कर दिया।

अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि सभी कलेक्टरों की बैठक बुलाकर अधिनियम के सही इरादे और प्रावधानों को समझाया जाए। ताकि, भविष्य में वे बिना उचित समझ या राजनीतिक दबाव में आदेश जारी न करें। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को प्रताड़ना और मुकदमा खर्च के लिए 50,000 रूपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसे सरकार को यह छूट दी है कि वह मुआवजा की राशि कलेक्टर से वसूल सकती है।

(जबलपुर से डॉ. सुरेंद्र कुमार कुशवाहा की रिपोर्ट)

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