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मानव तस्करी मामले में मिशनरी अस्पताल के संचालक के खिलाफ FIR खारिज, जानिए पूरा मामला

Jabalpur High Court on Human Trafficking जबलपुर: मानव तस्करी मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ ने मिशनरी अस्पताल के संचालक के खिलाफ FIR खारिज कर दी है। दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा मसीही समाज के प्रमुख और...
11:08 AM Sep 24, 2024 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

Jabalpur High Court on Human Trafficking जबलपुर: मानव तस्करी मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ ने मिशनरी अस्पताल के संचालक के खिलाफ FIR खारिज कर दी है। दमोह पुलिस अधीक्षक द्वारा मसीही समाज के प्रमुख और मिशनरी अस्पताल के संचालक डॉ. अजय लाल को भगोड़ा कहे जाने के बहुचर्चित मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने मानव तस्करी और जुवेनाइल एक्ट के तहत दमोह के आधारशिला संस्थान प्रमुख डॉ. अजय लाल के खिलाफ दर्ज एफआईआर (Damoh Human Trafficking) खारिज कर दिया है।

इतिहास कुरेदना कानून के खिलाफ- हाईकोर्ट

हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच (Jabalpur High Court on Human Trafficking) ने अपने आदेश में कहा है, "डेढ़ दशक पूर्व का इतिहास कुरेदना न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि उक्त बालकों के अधिकारों का हनन भी है। जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच ने अभिनिर्धारित किया है कि उक्त संस्थान द्वारा दत्तक ग्रहण में दिए गए दोनों बालकों के संदर्भ में जो आरोप FIR में लगाए गए हैं, उन्हें कोर्ट में साबित नहीं किया जा सका है, लिहाजा डॉ. अजय लाल पर अभियोजन द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं।"

मानव तस्करी का कराया गया था केस दर्ज

बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो की ओर से मसीही समाज (Human Trafficking Case Damoh ) के प्रमुख और मिशनरी अस्पताल के संचालक दमोह निवासी डॉ. अजय लाल के खिलाफ 7 अगस्त को दमोह थाना में मानव तस्करी और किशोर न्याय की धारा 80 के तहत शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस मामले में डॉ. अजय लाल पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 2 बालकों को नियम विरुद्ध तरीके से गोद दिया है। इसके बाद नियमानुसार उन बच्चों की निगरानी नहीं की गई है। इस पर दमोह थाना पुलिस द्वारा मानव तस्करी के तहत मामला दर्ज किया था।

FIR को हाईकोर्ट में दी चुनौती

दमोह पुलिस द्वारा डॉ. अजय लाल के खिलाफ मानव तस्करी के तहत दर्ज की गई रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता डॉ. अजय लाल की तरफ से कांग्रेस सांसद एवं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा, शशांक शेखर एवं अधिवक्ता भूपेश तिवारी ने इस केस की पैरवी की। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने दलील दी कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा दुर्भावनापूर्वक और याचिकाकर्ता की सामाजिक छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से एफआईआर दर्ज कराई गई है। डॉ. अजय लाल जो आरोप लगाए, वह निराधार है।

दमोह एसपी के बयान से मचा था बवाल

वहीं, डॉ. अजय लाल को विदेश भाग जाने के दमोह एसपी के बयान पर बवाल (Damoh SP statement) मचने के बाद कांग्रेस नेता, राज्यसभा सांसद एवं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने डॉ. अजय लाल के भारत में होने की तस्दीक करते हुए स्वयं के साथ खड़े होकर वीडियो सोशल मीडिया में जारी किया था। इतना ही नहीं इस मामले में विवेक तन्खा ने हाईकोर्ट में दमोह एसपी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस भी दायर किया है।

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