Jabalpur High Court News: हाईकोर्ट में आया अनोखा मामला! 2 साल पहले मरे हुए व्यक्ति से मिल कर तहसीलदार ने कर डाला जबरदस्त कारनामा

Jabalpur High Court News: जबलपुर। सरकारी दफ्तर में बैठक अधिकारी और बाबू कैसे कैसे कारनामें करते हैं, ये अब तक आपने सुना ही होगा। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला आया है, जहां जमीन की सीलिंग से जुड़े एक...
jabalpur high court news  हाईकोर्ट में आया अनोखा मामला  2 साल पहले मरे हुए व्यक्ति से मिल कर तहसीलदार ने कर डाला जबरदस्त कारनामा

Jabalpur High Court News: जबलपुर। सरकारी दफ्तर में बैठक अधिकारी और बाबू कैसे कैसे कारनामें करते हैं, ये अब तक आपने सुना ही होगा। लेकिन जबलपुर हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला आया है, जहां जमीन की सीलिंग से जुड़े एक मामले में गोरखपुर सर्किल के तत्कालीन तहसीलदार ने 2 साल पहले मर चुके व्यक्ति को न केवल कागजों में जिंदा कर दिया, बल्कि उसी मरे हुये व्यक्ति से जमीन का कब्जा (Jabalpur High Court News) भी सरकार के पक्ष में करवा लिया।

परिजनों ने हाईकोर्ट में की अपील

हैरान करने वाले इस मामले का खुलासा मृतक व्यक्ति के परिजनों को कई सालों बाद पता चला तो तहसीलदार की कारगुजारी को हाईकोर्ट में रिट अपील के जरिये चुनौती दी गई। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डबल बैंच में सुनवाई के दौरान सरकारी सिस्टम की खामी पर नाराजगी जताते हुये गढ़ा सर्किल के तहसीलदार, नगर निगम आयुक्त और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जबाव तलब किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर 2024 को नियत की गई है।

यह है पूरा मामला

दरअसल ये मामला 15 जुलाई 1989 का है, जो गढ़ा बीटी तिराहा क्षेत्र निवासी कंधीलाल सिंघरा से जुड़ा है। कंधीलाल जिस जमीन में घर बनाकर रहते थे और खेती किसानी करते थे, उस जमीन के लिए 1989 में सरकार ने सीलिंग की कार्रवाई की। लेकिन इसमें हैरानी की बात ये कि गढ़ा सर्किल के तहसीलदार ने कंधीलाल से जमीन का कब्जा सरकार के पक्ष में कराने के लिये दफ्तर में बैठे-बैठे ही दो साल पहले मर चुके कंधीलाल को जिंदा बताकर 15 जुलाई 1989 को कंधी लाल की मौजूदगी में उससे कब्जा लेकर उक्त जमीन को सरप्लस घोषित कर दिया।

तहसीलदार के गड़बड़झाले का पता लगते ही कोर्ट पहुंचे परिजन

कंधीलाल की मौत के बाद सरकार ने उनकी जमीन को सीलिंग (Jabalpur High Court News) की बताकर कब्जा कर बेदखल कर दिया। पिता की मौत के सदमे के बीच जब कंधीलाल के बेटे को इस बात का पता चला कि उनकी जमीन को तहसीलदार ने गोलमाल करके कब्जाया है तो वह इसकी पतासाजी में जुट गये और वकील दिनेश उपाध्याय के जरिये इसकी जानकारी जुटाई। परिजनों ने वकील के जरिये तहसीलदार के 1989 के उस आदेश की कॉपी हासिल की, जिसमें तत्कालीन तहसीलदार ने उनके पिता कंधीलाल की मौजूदगी में उसके उनकी जमीन पर शासन का कब्जा किया।

परिजनों ने इससे पहले साल 2015 में भी हाईकोर्ट की शरण ली थी। परन्तु उस वक्त उनके पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं था, जिससे शासन के आदेश और कार्रवाई को एक पक्षीय ठहराया जाये, लेकिन जब तहसीलदार के आदेश की कॉपी उनके हाथ लगी तो उन्होंने उस आदेश को आधार बनाकर हाईकोर्ट में रिट अपील दायर की और कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद जाग उठी।

तत्कालीन तहसीलदार की गड़बड़ी का ऐसे हुआ खुलासा

तत्कालीन तहसीलदार की गड़बड़ी का खुलासा 15 जुलाई 1989 को जारी किये गये उस आदेश से हुआ, जिसमें तहसीलदार ने आदेश में साफ साफ लिखा था कि कंधीलाल से सीलिंग की जमीन कब्जाने के लिये कंधीलाल को पहले नोटिस दिये गये। जब नोटिस का जबाव नहीं मिला तो उसके घर पहुंचकर उसके हस्ताक्षर करने कहा गया, लेकिन उसने किसी भी सरकारी कागज पर हस्ताक्षर करने से साफ इंनकार कर दिया। लिहाजा एक पक्षीय कार्रवाई कर जमीन पर शासन का कब्जा ले लिया गया।

इस तरह मिला दो साल पहले मरे हुए व्यक्ति से तहसीलदार

यहां सबसे जबरदस्त बात यही है कि जब फरवरी 1987 में कंधीलाल की मौत हो चुकी थी, तो तहसीलदार ने 15 जुलाई 1989 को कंधीलाल से कैसे मुलाकात कर ली और कैसे उसके हस्ताक्षर करने से इनकार करने पर एक तरफा सीलिंग की जमीन को शासन के पक्ष में कब्जा करने का आदेश भी जारी कर दिया। मसलन तहसीलदार की इस गड़बड़ी का खुलासा खुद उसके ही आदेश से हुआ, जिसमें उसने 2 साल पहले मर चुके व्यक्ति से न केवल मिलने की बात कबूल की, बल्कि आदेश में उल्लेखित भी किया।

हाईकोर्ट ने इस मामले में मध्यप्रदेश सरकार के साथ साथ गढ़ा सर्किल के तहसीलदार और नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी कर 1989 का रिकॉर्ड तलब किया और आगामी सुनवाई 10 अक्टूबर 2024 को इस मामले में पुनः सुनवाई की तारीख नियत की है।

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