प्रमुख सचिव और जबलपुर नगर निगमायुक्त को अवमानना का नोटिस जारी, जानिए क्या है पूरा मामला?
Jabalpur High Court Notice जबलपुर: मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट बेंच ने पूर्व आदेश की नाफरमानी के मामले में सीनियर आईएएस प्रमुख सचिव गुलशन बामरा और जबलपुर नगर निगम आयुक्त प्रीति यादव एवं नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त आर. पी. मिश्रा और स्वास्थ्य अधिकारी संदीप जायसवाल को अवमानना नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट जस्टिस द्वारिकाधीश की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पीएस से लेकर कमिश्नर सहित सभी चारों अधिकारियों को 4 सप्ताह में अवमानना नोटिस का जवाब पेश करने के आदेश दिए गए हैं। क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पूरा मामला जबलपुर नगर निगम के कर्मचारी की सेवा समाप्ति से जुड़ा हुआ है। बता दें कि, हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर आईएएस गुलशन बामरा और नगर निगम कमिश्नर प्रीति यादव सहित अरिक्ति आयुक्त एवं स्वास्थ्य अधिकारी के रवैये पर नाराजगी जताई है।
गौर रहे कि, जबलपुर नगर निगम में पदस्थ सफाई सुपरवाइजर मनोज कुमार पटेल साल 2010 से 2017 तक लगातार अपनी सेवाएं दे रहा था। साल 2017 में मनोज कुमार पटेल के परिवार में एक महिला ने खुदकुशी (jabalpur Suicide case) कर ली। इस मामले में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मनोज कुमार पटेल को भी पुलिस ने आरोपी बनाकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
परिजन की खुदकुशी में पुलिस कार्रवाई को आधार बनाकर कार्रवाई
पुलिस केस दर्ज होने पर नगर निगम के अधिकारियों ने मनोज पटेल को आरोपी माना और इसे आधार मानकर 25 अगस्त 2017 को मनोज पटेल के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई करते हुए उसे शासकीय सेवा हटाते हुए उसकी सेवाएं समाप्त कर दी। नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सुपरवाइजर की नौकरी से हटाए जाने पर मनोज पटेल ने आदेश को हाईकोर्ट (Jabalpur High Court Notice) में चुनौती दी थी।
अधिकारियों ने 30 दिन में नौकरी बहाल करने का आदेश नहीं माना
जबलपुर हाईकोर्ट में एडवोकेट मोहनलाल शर्मा और शिवम शर्मा ने याचिकाकर्ता मनोज पटेल की ओर से दलील दी थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "महिला की खुदकुशी के मामले में पुलिस की जिस कार्रवाई के आधार पर मनोज पटेल को सुपरवाइजर की नौकरी से हटाया, उस मामले में पुलिस मनोज पटेल को कोर्ट में आरोपी साबित नहीं कर पाई है। कोर्ट ने महिला की खुदकुशी के मामले में मनोज को दोषमुक्त कर दिया है।"
आदेश के बावजूद नहीं गया पदस्थ
वहीं, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील की दलील और कोर्ट में पेश साक्ष्यों को अहम मानते हुए नगर निगम आयुक्त सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को मनोज पटेल को 30 दिन के भीतर फिर से पदस्थ करने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मनोज पटेल को नगर निगम में नौकरी पर वापस नहीं पदस्थ किया गया।
अधिकारियों को कोर्ट ऑफ कंटेम्ट का नोटिस
वहीं, अब हाईकोर्ट के पूर्व में जारी किए गए आदेश की अवमानना पर याचिकाकर्ता की ओर से फिर से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सभी संबंधित अधिकारियों को कोर्ट ऑफ कंटेम्ट का नोटिस (Notice of Contempt of Court) जारी कर 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
ये भी पढ़ें: Flood in Singrauli: खिलौने की तरह कोल माइंस में बह गई बोलेरो गाड़ी, फिर जो हुआ...