Jabalpur News: कोर्ट ने बलात्कार के मामले को किया खारिज, महिला ने अपनी मर्जी से बनाए थे संबंध
Jabalpur News: कानून इसलिए बनाए जाते हैं ताकि समाज में रहने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा हो सके और उनके प्रति होने वाले अन्याय से उन्हें बचाया जा सके। हालांकि, कई बार कानून के दुरुपयोग भी देखने को मिलते हैं। कानून के दुरुपयोग का एक ऐसा ही मामला जबलपुर से सामने आया है, जहां एक महिला ने आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के बाद पुरुष पर रेप का आरोप लगा दिया। आइए इस पूरे मामले पर एक नजर डालते हैं।
10 साल तक साथ रहे दोनों
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महिला की शिकायत पर एक पुरुष के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया है। इस मामले में कोर्ट ने माना कि दोनों अपनी मर्जी से 10 साल से अधिक समय से रिश्ते में थे। 2 जुलाई के अपने आदेश में जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा कि यह मामला कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग प्रतीत होता है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "महिला और पुरुष दोनों ही पढ़े-लिखे और विवेकशील हैं। उन्होंने अपनी मर्जी से 10 साल से अधिक समय तक शारीरिक संबंध बनाए। याचिका में कहा गया कि पुरुष द्वारा उससे शादी करने से इनकार करने के बाद उनका रिश्ता टूट गया। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि याचिकाकर्ता (पुरुष) के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है।"
कोर्ट ने झूठा माना बलात्कार का मामला
जस्टिस संजय द्विवेदी ने कहा, "मेरे विचार से तथ्यात्मक परिस्थितियों के अनुसार, जैसा कि अभियोक्ता (महिला) ने अपनी शिकायत में और 164 सीआरपीसी के अपने बयान में बताया है, इस मामले को आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार का मामला नहीं माना जा सकता है। यह मामला अभियोजन पक्ष द्वारा कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा कुछ नहीं है।"
अदालत ने कहा, "इस मामले में यहां तक कि आईपीसी की धारा 366 (एक महिला को शादी के लिए मजबूर करने के लिए प्रेरित करना) भी उस व्यक्ति के खिलाफ नहीं बनती है। इसलिए बाद में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 के तहत दर्ज अपराध भी रद्द किए जाने योग्य है।"
2021 में दर्ज हुआ था मामला
आपको बता दें कि नवंबर 2021 में कटनी जिले के महिला थाने में उक्त महिला ने अपने साथी के खिलाफ बलात्कार और अन्य आरोपों के लिए मामला दर्ज करवाया था। बाद में यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया था। आखिरकार कोर्ट ने इस मामले में न्याय संगत फैसला सुनाते हुए न केवल कानून का दुरुपयोग होने से बचाया, बल्कि एक व्यक्ति को कलंक से भी बचा लिया।
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