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Jabalpur Sand Mafia: अब AI रोकेगा अवैध खनन, रेत माफिया-कर्मचारियों के गठजोड़ पर होगा प्रहार

मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा नदी सहित आस-पास की सहायक नदियों से अवैध रेत परिवहन की लगातार मिलने वाली शिकायतों और नाकों में तैनात कर्मचारियों द्वारा रेत माफियाओं से सांठगांठ के आरोपों से निपटने के लिये खनिज विभाग ने अब नई तैयारी की है।
01:05 PM Dec 24, 2024 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

Jabalpur Sand Mafia: जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में नर्मदा नदी सहित आस-पास की सहायक नदियों से अवैध रेत परिवहन की लगातार मिलने वाली शिकायतों और नाकों में तैनात कर्मचारियों द्वारा रेत माफियाओं से सांठगांठ के आरोपों से निपटने के लिये खनिज विभाग ने अब नई तैयारी की है। जबलपुर जिले में रेत का अवैध खनन (Jabalpur Sand Mafia) और परिवहन रोकने के लिए खनिज विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद लेने जा रहा है। इसके लिये जबलपुर की सीमा में तीन ई-नाके तैयार किये गये हैं, जो पूरी तरह एआइ तकनीक से ऑपरेट किये जायेंगे। यहां खनिज विभाग का न तो कर्मचारी होगा, और न ही कोई कम्प्यूटर ऑपरेटर तैनात किया जायेगा।

जनवरी से 3 ई-नाके एआई करेंगे ऑपरेट

जबलपुर में अवैध रेत खनन और परिवहन खनिज विभाग के लिये चुनौती बने हुये थे, लेकिन अब इस पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की निगरानी शुरू होने वाली है। जी हां, जबलपुर में जनवरी माह से तीनों ई-नाकों की शुरूआत होने जा रही है। माईनिंग अधिकारी रत्नेश दीक्षित के मुताबिक चिह्नित स्थलों में दो ई-नाके राष्ट्रीय राजमार्ग के तिलवारा और सिहोरा में जबकि तीसरा एमपीआरडीसी के मुख्य मार्ग पर बनाया जा रहा है, जो दिसम्बर के अंत तक बन कर तैयार हो जायेगा और अगले वर्ष जनवरी से ही इसकी निगरानी एवं संचालन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से शुरू कर दिया जायेगा।

कर्मचारियों-रेत माफियाओं की सांठगांठ का नेटवर्क टूटेगा

खनिज के अवैध खनन एवं परिवहन की जांच के लिये बने नाकों में तैनात कर्मचारियों की रेत माफियाओं (Jabalpur Sand Mafia) की सांठगांठ से वाहन चालक रेत और अन्य खनिजों का अवैध खनन कर शहर की सीमा में प्रवेश करते हैं। सबसे ज्यादा अवैध परिवहन कटंगी, पाटन, अंधमुख, महाराजपुर और चूल्हागोलाई से हो रहा है। इसके अलावा कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध खनन और परिवहन बढ़ा है। यहां सभी वाहनों की जांच नहीं हो पाने से इसका फायदा रेत माफिया से जुड़े लोग उठाते हैं। इतना ही नहीं, कभी उड़नदस्ता या जांच टीम मौके पर पहुंचती भी है तो उसकी सूचना इन्हें कर्मचारियों की सांठगांठ के चलते मिल जाती थी, जिससे दबिश असफल हो जाती है। इस नई तकनीक से कर्मचारियों और रेत माफियाओं की सांठगांठ और सालों से चल रहा उनका नेटवर्क टूटेगा।

एआई की नजर से बचना मुश्किल, बढ़ेगा राजस्व

जिले के तीनों ई-नाकों पर हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगाये गये हैं। उच्च गुणवत्ता वाले इन कैमरों से 24 घंटे निगरानी रखी जायेगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से वाहन मालिकों और खनिज ठेकेदारों की पहचान होगी। इन ई-नाके पर कोई भी अधिकारी-कर्मचारी तैनात नहीं होगा। सारा काम एआई की मदद से किया जायेगा। एआई ही हर वाहन की कुंडली, जबलपुर और भोपाल में वन कमांड सेंटर में भेजेंगे। इसके साथ ही खनन कारोबार से जुड़े लोगों की प्रत्येक जानकारी कंट्रोल रूम प्रभारी से लेकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मोबाइल पर पल-पल अपडेट होती रहेगी। खनिज विभाग की आधुनिक तकनीक और ये प्रयास राजस्व बढ़ोत्तरी में मददगार साबित होंगे। क्योंकि यदि रेत का अवैध खनन (Jabalpur Sand Mafia) और परिवहन रूकेगा तो इसका सीधा असर राजस्व की बढ़ोत्तरी पर दिखेगा और सरकार को रेवेन्यू के रूप में होने वाली घाटे की कई गुना ज्यादा भरपाई होना तय है।

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