Kanha Tiger Reserve: कान्हा टाइगर रिजर्व में 2 नन्हे मेहमानों का हुआ स्वागत, रातापानी अभ्यारण से किया गया रेस्क्यू
Kanha Tiger Reserve मंडला: टाइगर प्रेमियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व में गुरुवार को 2 शावकों को लाया गया है। बताया जा रहा है कि इन शावकों (Kanha Tiger Reserve) की उम्र तकरीबन 3-4 महीने की है। इन दोनों बाघ शावकों को रातापानी अभ्यारण्य से रेस्क्यू कर घोरेला स्थित रिवाइल्डिंग सेंटर में रखा जाएगा। यहां इनको अगले दो साल तक रखकर जंगल में छोड़ा जाएगा। टाइगर रिजर्व के लिए सरकार पिछले काफी समय से प्रयास कर रही है।
शावकों की मां की हो गई मृत्यु
बता दें इन दोनों शावकों को रातापानी अभ्यारण्य से रेस्क्यू किया गया। फिलहाल इनकी मेडिकल जांच होने के बाद इन्हें घोरेला स्थित रिवाइल्डिंग सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा। पार्क प्रबंधन के मुताबिक इन दोनों शावकों को समय पर भोजन पानी नहीं मिलने के कारण इनकी स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी। इसके बाद इन्हें वन विहार भोपाल भेजा गया। यहां पर करीब 15 दिनों तक दोनों शावकों को उपचार दिया गया। फिलहाल इनके स्वास्थ्य में काफी सुधार बताया जा रहा है।
#मंडला : वन विहार Bhopal से बाघ के 2 शावकों को Kanha Tiger Reserve में लाया गया। इन शावकों की उम्र करीब 3-4 माह है। इन्हें पार्क के घोरेला स्थित रिवाइल्डिंग सेंटर में रखा जाएगा। जहां इन शावकों को करीब 2 से ढाई वर्ष रखकर वन्य जीवन के लिए प्रशिक्षित करने के बाद जंगल में छोड़ा… pic.twitter.com/gJowHXww5W
— MP First (@MPfirstofficial) May 30, 2024
गर्मी का रखा जाएगा विशेष ध्यान
पिछले काफी दिनों से देशभर में गर्मी का सितम देखने को मिल रहा है। कई सालों बाद इतनी भयंकर गर्मी का असर झेलना पड़ रहा है कि इंसान से लेकर पशु-पक्षियों का गर्मी से हाल बेहाल हो गया है। इन दोनों शावकों का जब रेस्क्यू किया गया तब इनकी स्थिति काफी नाजुक बताई जा रही थी। लेकिन, बेहतर इलाज और आहार मिलने से इनके स्वास्थ्य में काफी सुधार देखने को मिला है। फिलहाल इन्हें गर्मी के बचाने के लिए भी विशेष इंतजाम किए जाएंगे।
दो नन्हें मेहमानों का स्वागत
शावकों की सेहत में हुए सुधार के बाद मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक मप्र भोपाल ने इनके भविष्य को देखते हुए इनको रिवाइल्डिंग के अधीन रखने का निर्णय लिया। जिसके तहत इन्हें कान्हा टाइगर रिजर्व भेजा गया है। शावकों को घोरेला बाघ रिवाइल्डिंग सेंटर में दो से ढाई वर्ष रखकर पूरी देखरेख की जाएगी। उसके बाद शावकों को वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा।
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