Karila Rangpanchami Fair: रंग पंचमी पर करीला धाम में पहुंचेंगे सीएम, लव-कुश और महर्षि बाल्मीकि की होती है पूजा
Karila Rangpanchami Fair: अशोकनगर। जिले के मुंगावली तहसील अंतर्गत रंगपंचमी पर्व पर लगने वाले इस मेले में माता जानकी करीला धाम पर देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिसमें रंग पंचमी पर्व पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। खास बात इस मेले की यह है कि यह एक मात्र मंदिर ऐसा है, जिसमें महर्षि वाल्मीकि लव-कुश और माता सीता की पूजा की जाती है। वनवास के समय रंग पंचमी पर्व पर लव कुश को जन्म दिया था, तो यहां पर लव कुश के जन्म पर स्वर्ग से आकर अप्सराओं ने नृत्य किया था। आज भी इस मंदिर में भक्तों द्वारा पहुंचकर मन्नत मांगी जाती है। मन्नत पूर्ण होने पर यहां पर नचनारीयों द्वारा नृत्य कराया जाता है।
यहां हुआ था लवकुश का जन्म
दुनिया भर में अनोखा मंदिर है, जहां सीताजी की पूजा भगवान राम के बिना होती है। बताया जाता है कि जब भगवान राम ने सीता मां का त्याग किया था, तो यह वही स्थान है जहां पर महर्षि वाल्मीकि आश्रम में रुकी थीं और लव-कुश का जन्म हुआ था। लव-कुश को महर्षि वाल्मीकि ने युद्ध और संगीत की शिक्षा दी थी। लव-कुश के जन्म का उत्सव मनाने रंग पंचमी पर करीला माता का मंदिर भव्य तरीके से सजाया गया। इसको चलते आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ पड़ा। मान्यता पूरी हो जाने पर यहां पर लगने वाले मेले में प्रति दिन हजारों नत्यांगाओं पूरी रात नगड़ियां की ढाप पर राई नृत्य करती है। इसमें पूरा वातावरण नगड़िया और घुंगरियों से गूंजता रहता है।
साल में एक बार खुलती है महर्षि वाल्मीकि गुफा
साल भर में सिर्फ एक बार महर्षि वाल्मीकि जी की गुफा को खोला जाता है। रंग पंचमी मेले में तीन दिवस का यह मेला शुरू होगा, जिसमें देश भर के श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस स्थान को रामायणकालीन आश्रम माना गया। गुफा की रंग पंचमी पर साफ-सफाई करके घूनी का सामान रखा जाता है। लव-कुश के जन्म दिवस पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु राई, नृत्य और जानकी माता और लव कुश का जन्म दिन मानने पहुंचते हैं। नृत्यागनाओं अपनी राई नृत्य करके माता जानकी से आमजन के द्वारा मन्नत पूरी होने पर राई नृत्य करती हैं।
(अशोकनगर से भारतेंदु बैंस की रिपोर्ट)