Kinnar Sammelan Gwalior: ग्वालियर में किन्नरों का अनूठा आयोजन, देशभर के किन्नर भगवान से मांग रहे सबके लिए खुशहाली की दुआ
Kinnar Sammelan Gwalior: ग्वालियर। सभी परिवारों में खुशहाली रहे और सबके यहां किलकारियां गूंजती रहे, इसकी दुआ देने वाले किन्नर वैसे तो हमारे बीच बच्चों के जन्म या विवाह पर नेग लेने आते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में इस समय एक साथ हजारों की संख्या में किन्नर जुटे हैं। इनमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और अटक से लेकर कटक तक, हर उम्र के किन्नर शामिल हैं।
दरअसल इस समय ग्वालियर में अखिल भारतीय किन्नर सम्मेलन चल रहा है। इसके तहत अनेकों धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। इसमें किन्नर माता रानी और वाहेगुरु से सबके लिए खुशहाली की दुआ मांग रहे हैं। यह आयोजन धर्म और जाति के बंधनों से दूर है, इन किन्नरों ने अनेकता में एकता की अनोखी मिसाल दी है।
ग्वालियर में 22 अक्टूबर तक चलेगा राष्ट्रीय किन्नर सम्मेलन
ग्वालियर में अखिल भारतीय किन्नर समाज का राष्ट्रीय सम्मेलन (Kinnar Sammelan Gwalior) चल रहा है। दस दिनों तक चलने वाला यह सम्मेलन 22 अक्टूबर को समाप्त होगा। इसके तहत शहर की सड़कों पर किन्नरों द्वारा निकाली गई कलश यात्रा में देशभर से आए किन्नर शामिल हुए। किन्नर समाज के लोग अपने सिर पर कलश लिए चल रहे थे और उनके गुरु वाहन-बग्गी में बैठकर रास्ते में लोगों का अभिवादन स्वीकार कर आशीर्वाद भी दे रहे थे। सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पंजाब, हरियाणा सहित देश भर से हजारों किन्नर शामिल होने पहुंचे हैं। इस दौरान उनकी कलश यात्रा और किन्नरों की सुंदरता देखते ही बनती है।
करवा चौथ पर महिलाओं के लिए दुआ करता है किन्नर समाज
अपने राष्ट्रीय सम्मेलन में धर्म और जाति के बंधनों को भूलकर किन्नरों ने देश और अपने जजमानों की समृद्धि के लिए हवन- पूजन के साथ शांति पाठ कर भगवान अर्द्धनारीश्वर की आराधना की। साथ ही उनसे सभी के लिए सुख, सौभाग्य और शांति की कामना भी की। करवा चौथ के दिन किन्नर समाज ने देश की सभी सुहागन महिलाओं के सुहाग अमर रहने की दुआएं भी मांगी।
हर वर्ष देश के अलग-अलग हिस्सों में होता है किन्नर सम्मेलन
सम्मेलन (Kinnar Sammelan Gwalior) की मुख्य यजमान मुस्कान किन्नर बताती हैं कि यह आयोजन हर बार देश के अलग-अलग हिस्सों में आयोजित किया जाता है। इस बार इसकी मेजबानी करने का सौभाग्य ग्वालियर वालों को मिला है। इस 10 दिवसीय सम्मेलन में 9 दिन तक गोपनीय पूजा चलती है जबकि बाकी दो दिन में कलश यात्रा और माता की चौकी का आयोजन किया जाता है।
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