Jagdish Joshila: निमाड़ी भाषा के लिए लड़ रहे हैं पद्यश्री पुरस्कार जीतने वाले जगदीश जोशीला, लिख चुके हैं 56 किताबें और उपन्यास
Jagdish Joshila: खरगोन। केंद्र सरकार ने इस वर्ष के पद्य पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। मध्य प्रदेश के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी इस सम्मानित पुरस्कार के लिए चुना गया है। रविवार की शाम भारत सरकार द्रवारा वर्ष 2025 के लिये घोषित पद्मश्री आवार्ड की सूची में खरगोन जिले के गोगांवा के जगदीश जोशीला को साहित्य के क्षेत्र में और महेश्वर शैली होल्कर को महिला बुनकरों के उत्थान के लिये जोड़ा गया है। साहित्य विशेषकर निमाडी को भाषा का दर्जा देने के लिये संघर्ष करने वाले जगदीश जोशीला के घर खुशी का माहौल है। बधाईयां देने वालों की भीड लगी है।
निमाड़ी भाषा के लिए सतत संघर्षरत हैं जोशीला
साहित्य और निमाडी भाषा के लिये पहली बार खरगोन और निमाड अंचल से पद्मश्री आवार्ड मिलने से लोगो विशेषकर साहित्य से जुडे लोगों में खुशी है। देर रात तक जगदीश जोशीला के गोगांवा स्थित निवास पर बधाई देने वालों की भीड लगी रही। आजादी के बाद से लोक जनपदीय कवियों की बोली पंजाबी, ब्रज, गुजराती, अवधी को तो भाषा का दर्जा मिला है। लेकिन निमाड़ी को भाषा के रूप दर्जा के लिये जोशीला का संघर्ष जारी है। निमाड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार जगदीश जोशीला (Padmshri Awardee Jagdish Joshila) का कहना है कि ये निमाड़ी और निमाड़ का सम्मान है। पद्मश्री मिलने पर निमाड़ी गद्य के जनक के रूप में प्रसिद्ध और अखिल निमाड़ लोक परिषद के संस्थापक 76 वर्षीय जगदीश जोशीला का मानना है की मूल रूप से मेरी जन्मभूमि निमाड़ और निमाड़ी बोली की उपलब्धि है।
अब तक लिख चुके हैं 56 किताबें
जगदीश जोशिला मीडिया से बात करते हुए बताते हैं कि मैं अब तक 56 किताबें लिख चुका हूं। निमाड़ी में दो उपन्यासों सहित 28 पुस्तकें लिखी हैं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी में 28 अन्य पुस्तकें (10 उपन्यास सहित) लिखी है। निमाड़ी व्याकरण और शब्दकोष भी तैयार किया है। संत सिंगाजी पर अपने 778 पेज के शोध उपन्यास के अलावा अहिल्या माता पर दो भागों में उपन्यास लिखा है जिसका अंग्रेजी में भी अनुवाद हो चुका है। जगदीश जोशीला (Jagdish Joshila) ने जननायक टंट्या मामा और आदि शंकराचार्य पर भी उपन्यास लिखे हैं। जगदीश जोशीला को पद्मश्री आवार्ड मिलने की घोषणा पर परिजन, गोगांवा सहित खरगोन और निमाड अंचल में खुशी का माहौल है। परिजन, ग्रामीण पीएम नरेन्द्र मोदी सहित सरकार का आभार मान रहे हैं।
(खरगोन से नरेन्द्र भटोरे की रिपोर्ट)
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