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Kukru Hill Station: बैतूल के कुकरू में है कॉफी बागान, कॉफी के साथ-साथ यहां की सुंदरता भी है विख्यात

Kukru Hill Station: बैतूल। मध्य प्रदेश का बैतूल जिला अपने एकमात्र कॉफी बागान के लिए सुप्रसिद्ध है। बैतूल के कुकरू में स्थित इस कॉफी बागान की पहचान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी, क्योंकि कुकरू के कॉफी बीन्स दुनिया के बेहतरीन...
03:03 PM Sep 04, 2024 IST | Manoj Deshmukh

Kukru Hill Station: बैतूल। मध्य प्रदेश का बैतूल जिला अपने एकमात्र कॉफी बागान के लिए सुप्रसिद्ध है। बैतूल के कुकरू में स्थित इस कॉफी बागान की पहचान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी, क्योंकि कुकरू के कॉफी बीन्स दुनिया के बेहतरीन कॉफी बीन्स में से एक हैं। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो दुनिया जल्द मध्य प्रदेश यानी कुकरू की कॉफी पिएगी।

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के प्रसिद्ध है कुकरू

जिला मुख्यालय से 93 किलोमीटर दूर भैंसदेही मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर समुद्र सतह से 3 हजार 668 फीट की ऊंचाई पर बसे कुकरू की हसीन वादियां (Kukru Hill Station) यहां आने वाले पर्यटकों के मन को लुभाती हैं। पहाड़ों का सौंदर्य, भोड़िया कुंड की पहाड़ियों के समीप सूर्यास्त का दृश्य, दिलकश मंजर पॉइंट का नजारा और बुच पॉइंट देखने के लिए यहां पर्यटक आते हैं। बैतूल जिले का पचमढ़ी कहा जाने वाला कुकरू क्षेत्र अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए भी विख्यात है। यहां पर्यटक कॉफी बागान के साथ-साथ इसकी सुंदरता भी देखने आते हैं।

अंग्रेज महिला ने रखी थी कुकरू में कॉफी बागान की नींव

कुकरू के पहाड़ों में कॉफी उद्यान लगाए जाने से प्रदेश में कुकरू की एक अलग पहचान है। कुकरू कॉफी बागान की स्थापना लगभग 80 साल पहले हुई थी। कुकरू में सन 1906 में अंग्रेजों ने विश्राम गृह बनाया था। इसी विश्राम गृह के आस-पास एक अंग्रेज महिला मिस फ्लोरेंस हैंड्रिक्स ने सन 1944 में 160 एकड़ खेती में कॉफी उद्यान लगाया था। वे यहां के कॉफी बीन्स को ब्रिटेन भेजती थीं। यहां तब से लेकर आज तक बेस्ट क्वालिटी की कॉफी उत्पादित हो रही है। देश के गिने-चुने प्रांतों में ही उत्तम किस्म की कॉफी की खेती होती है।

भैंसदेही तहसील के कुकरू में उत्तम किस्म की अरेबिका नामक कॉफी का उद्यान है। इससे कुकुरू की मप्र में एक अलग पहचान है। दरअसल, बैतूल का जिला प्रशासन अब इन कॉफी बीन्स को विदेशों तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर चुका है। इन बीन्स को विदेश भेजने से पहले लैब में टेस्ट कराया गया। अब इसकी टेस्ट रिपोर्ट आ गई है। ये लैब टेस्ट रिपोर्ट बताती है कि कुकरू की कॉफी बीन्स दुनिया में धाक जमा सकती है, इसके बीन्स शानदार हैं। साथ ही कुकरू का ये बागान मध्य प्रदेश और मध्य भारत में एकलौता कॉफी उत्पादक क्षेत्र है। यहां आज भी चार हेक्टेयर क्षेत्र में कॉफी उत्पादन हो रहा है।

विदेशों तक पहुंचेगी कुकरु की कॉफी बीन्स

मौजूदा समय में वन विभाग की देखरेख में कुकरू कॉफी बागान से सालाना 10 क्विंटल से अधिक कॉफी उत्पादित की जा रही है। आसपास निर्माण कार्यों के चलते ये बागान (Kukru Coffee Garden) अब चार हेक्टेयर में सिमट चुका है। लेकिन मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विभाग इस दुर्लभ कॉफी बागान को दोबारा गुलजार करने में जुट गया है। वह इसकी पहचान का दायरा बढ़ाने जा रहा है।

बैतूल, दक्षिण वन मंडल की डीएफओ विजयानंतम टीआर बताते हैं कि कुकरू कॉफी बीन्स के लैब टेस्ट से पता चला है कि ये बीन्स देश की उम्दा कॉफी बीन्स में से है। कुछ प्रक्रियाओं के बाद ये एक्सपोर्ट क्वालिटी के लायक बन जाएगी। कुछ विदेशी कम्पनियों ने भी इस कॉफी बागान को लेकर रुचि दिखाई है। यहां की कॉफी अगर विदेश तक पहुंच गई तो न सिर्फ ये स्थानीय लोगों के लिए बल्कि मध्य प्रदेश के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी। वहीं इसमें अब एक नए नवाचार करने का प्रयास भी किया जा रहा है कुकरू में जो किसान है उनकी खेती में भी कॉफी बागान शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें सर्वे किया जा रहा है खेतों का।

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