श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया, आप भी करें संध्या काल आरती श्रृंगार दर्शन
Mahashivratri Festival: उज्जैन। विश्वप्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में मात्र श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में ही शिव नवरात्रि मनाई जाती है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का यह उत्सव फाल्गुन कृष्ण पंचमी 17 फरवरी से प्रारम्भ हो गया। महाशिवरात्रि महापर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जा रहा है। महाशिवरात्रि पर्व के दूसरे दिन 27 फरवरी 2025 को वर्ष में एक बार दोपहर में भस्म आरती होगी।
भक्तों ने किए परमात्मा के दर्शन
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन हेतु भक्तो का आगमन सतत हो रहा है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति श्रद्धालुओं को कम समय में श्री महाकालेश्वर भगवान के सुखद, सरल दर्शन करवाने हेतु कटिबद्ध है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने मीडिया को बताया कि महाशिवरात्रि को श्री महाकालेश्वर भगवान के मंगल पट भस्मार्ती में प्रात 2:30 बजे खुले।
भक्तों के भस्मारती की ओर बढ़ रहे उत्साह को देखते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रातः चलित भस्मारती में दौरान ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को श्री महाकालेश्वर भगवान की भस्मारती के दर्शन हो सके, इसलिए महाशिवरात्रि महापर्व पर भी बाबा श्री महाकालेश्वर की भस्मारती में बिना पंजीयन के भी पट खुलने से लेकर चलित भस्मारती की व्यवस्था में लगभग 20 हज़ार से अधिक भक्तों ने भस्मार्ती का दर्शन लाभ लिया।
यह पट खुलने की स्थिति
26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि महापर्व पर भस्म आरती के लिए महाकालेश्वर भगवान के मंगल पट सुबह 02:30 बजे खुले। भस्मारती उपरांत 07:30 से 08:15 दद्योदक आरती, 10:30 से 11:15 तक भोग आरती के पश्यात दोपहर 12 बजे से उज्जैन तहसील की ओर से पूजन-अभिषेक किया गया। सायं 04 बजे होल्कर व सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन व सायं पंचामृत पूजन के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर को नित्य संध्या आरती के समान गर्म मीठे दूध का भोग लगाया गया। रात्रि में सायं 08 बजे से 10 बजे तक कोटितीर्थ कुण्ड के तट पर विराजित श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन, सप्तधान्य अर्पण, पुष्प मुकुट श्रृंगार (सेहरा) के उपरान्त आरती की जाएगी। रात्रि 11 बजे से सम्पूर्ण रात्रि भगवान श्री महाकालेश्वर जी का महाअभिषेक व पूजन चलेगा।
पूजन के बाद होंगे मुखारविंद दर्शन
अभिषेक उपरांत भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराकर सप्तधान्य का मुखारविंद धारण कराया जाएगा। इसके बाद सप्तधान्य अर्पित किया जाएगा, जिसमें चावल, खडा मूंग, तिल, मसूर, गेहू, जव, साल, खड़ा उडद सम्मिलित रहेंगे। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वर का श्रृंगार कर पुष्प मुकुट (सेहरा) बांधा जाएगा। भगवान श्री महाकालेश्वर को चंद्र मुकुट, छत्र, त्रिपुंड व अन्य आभूषणों से श्रृंगारित किया जाएगा। भगवान पर न्योछावर नेग स्वरुप चांदी का सिक्का व बिल्वपत्र अर्पित की जाएगी। श्री महाकालेश्वर भगवान की सेहरा आरती की जाएगी व भगवान को विभिन्न मिष्ठान्न, फल, पञ्च मेवा आदि का भोग अर्पित किये जाएंगे। लगभग सुबह 06 बजे सेहरा आरती होगी।
शिव धारण करेंगे सवा मन का पुष्प मुकुट
श्री महाकालेश्वर मंदिर में वर्ष में एक ही बार भगवान महाकाल को सवा मन का पुष्प मुकुट धारण कराया जाता है। साथ ही महाशिवरात्रि पर्व पर लगातार भगवान शिव के दर्शन दर्शनार्थियों के लिए 44 घंटे गर्भगृह के पट खुले रहते हैं। महाशिवरात्रि पर एक एैसा अवसर आता है जिस पर श्री महाकालेश्वर भगवान के पट मंगल नही होते हैं। इस पर्व पर भगवान महाकाल सवा मन का फूलों से सजा मुकुट(सेहरा) धारण करते हैं। सेहरा दर्शन के उपरांत वर्ष में एक बार दिन में 12 बजे होने वाली भस्मार्ती होगी। भस्मार्ती के बाद भोग आरती होगी व शिवनवरात्रि का पारणा किया जाएगा। 27 फरवरी को सायं पूजन, सायं आरती व शयन आरती के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर जी के पट मंगल होंगे।
(उज्जैन से संजय पाटीदार की रिपोर्ट)
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