Shivpuri News: शिवपुरी में अस्पताल के अंदर नहीं बाहर हुई प्रसूता की डिलीवरी, वजह जान उड़ जाएंगे होश
Shivpuri News: शिवपुरी जिले में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था के कई मामले सामने आ चुके हैं। सरकार द्वारा लाख दावों के बावजूद हालात सुधरने की बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं। बुधवार को जिले की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था का एक ताजा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब एक प्रसूता को अस्पताल कर्मियों ने बगैर इलाज के बाहर निकाल दिया। मजबूरी में प्रसूता की डिलीवरी अस्पताल के बाहर ही हो गई। आइए इस खबर के बारे में और अधिक जानते हैं।
डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने नहीं की प्रसूता की मदद
ये बात आपको सुनने में भले ही अजीब लग रही हो, लेकिन यह सच है। बुधवार को रन्नौद स्वास्थ्य केंद्र के बाहर एक प्रसूता ने खुले आसमान के नीचे नवजात जन्म दिया। इस दौरान अस्पताल में मौजूद डॉक्टर सहित नर्सिंग स्टाफ ने प्रसूता की कोई मदद नहीं की। मजबूरीवश अस्पताल के बाहर परिवार की महिलाओं ने प्रसूता की डिलीवरी करवाई।
नर्सिंग स्टाफ ने प्रसूता को जाने के लिए कहा
इधर इस मुद्दे को लेकर जब अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टरों से बात की गई तो उन्होंने अलग ही बात कह दी। उन्होंने कहा कि प्रसूता को जिला अस्पताल रैफर कर दिया था। प्रसूता को लेने के लिए एम्बुलेंस पहुंच गई थी, लेकिन परिजन उसे लेकर वहां से नहीं गए।
प्रसूता के पति गुड्डन ने बताया कि शंकरपुर की रहने वाली हृदेश को प्रसव पीड़ा के बाद बुधवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया था। अस्पताल आने के बाद प्रसूता को शिवपुरी जिला अस्पताल रैफर कर दिया। हमारे पास न तो पैसों की व्यवस्था थी और न ही इतना समय था कि हम उसे दूसरे अस्पताल ले जा पाते।
रात 9 बजे प्रसूता को तेज प्रसव पीड़ा होने लगी थी। इस पर डॉक्टर सहित नर्सिंग स्टाफ से अस्पताल के भीतर लेकर डिलीवरी कराने की गुहार लगाई गई। तब स्टाफ ने डिलीवरी करने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं नर्सिंग स्टाफ ने थाने में बंद करवाने तक की धमकी दे दी। मजबूरीवश परिवार की महिलाओं को अस्पताल के बाहर ही पत्नी की डिलीवरी करवानी पड़ी।
डॉक्टर ने क्या कहा?
रन्नौद के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर अक्षय शर्मा ने बताया कि प्रसूता को बुधवार की शाम 6 बजे लाया गया था। जांच के दौरान प्रसूता का हीमोग्लोबिन महज 6 ग्राम था। इसके अलावा हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम ही थी। ऐसी स्थिति में डिलीवरी करना घातक हो सकता था। मल्टी ग्रेविडा के साथ गंभीर एनीमिया होने के चलते और गाइडलाइन के तहत प्रसूता को जिला अस्पताल रैफर किया गया था।
प्रसूता को जिला अस्पताल भेजने के लिए 108 एम्बुलेंस भी बुला ली गई थी, लेकिन परिजन प्रसूता को ले जाने को राजी नहीं हुए। एम्बुलेंस करीब एक घंटे प्रसूता को ले जाने के लिए खड़ी रही थी। इसके बाद एम्बुलेंस एक एक्सीडेंट केस को लेने निकल गई। उसी समय अस्पताल में दूसरा डिलीवरी केस आ गया था। जिसमें स्टाफ व्यस्त हो गया था। इसी दौरान बाहर प्रसूता की डिलीवरी हो गई।
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