Ministers in Modi New Cabinet मोदी की नई कैबिनेट में एमपी के कितने चेहरे: शिवराज-सिंधिया के अलावा और तीन नामों की चर्चा
Ministers in Modi New Cabinet भोपाल। नरेंद्र मोदी 9 जून को अपनी तीसरी पारी शुरू कर सकते हैं। 9 जून को मोदी जब शपथ लेंगे उनके साथ कुछ मंत्री भी शपथ लेंगे। अब चर्चा जोरों पर है कि इस बार मोदी के केबिनेट में कौन-कौन से चेहरे होंगे। सबसे बड़ी दावेदारी मध्य प्रदेश की है। हिन्दी पट्टी में सबसे अच्छा प्रदर्शन एमपी भाजपा का रहा है। एमपी में न केवल 29 की 29 सीटें जीतीं बल्कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत भी बहुत पीछे धकेल दिया। अब सबसे बड़ा सवाल है कि मध्यप्रदेश के सांसदों को मोदी कैबिनेट में कितनी जगह मिलती है ?
मोदी के सामने चुनौतियां कई हैं
मोदी के इस तीसरे कार्यकाल में तस्वीर पिछले दो कार्यकाल से बदली हुई है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हमेशा की तरह इस बार मोदी अपने मन से फैसले नहीं ले पाएंगे। उन्हें पहले अपने दोनों सहयोगी दलों टीडीपी और जेडीयू को साथ लेकर चलना है। इसके अलावा गठबंधन के अन्य सहयोगियों को संतुष्ट करना होगा। तब कहीं जाकर बची हुई सीटों पर भाजपा के मंत्रियों को एडजस्ट करना होगा, इसलिए जो स्वाभाविक दावेदार हैं, पहले उन्हें ही वरीयता मिल सकती है।
शिवराज सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत
शिवराज सिंह चौहान भाजपा के सीनियर नेताओं में से एक हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में एमपी से तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शिवराज सिंह चौहान भी मैदान में थे। फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक और ज्योतिरादित्य सिंधिया इन तीनों से बहुत पहले 1991 में ही शिवराज सिंह सांसद बन चुके थे। इस बार वे छठवीं बार लोकसभा में पहुंचे हैं। इस लिहाज से मोदी कैबिनेट में शिवराज की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। शिवराज सिंह की दावेदारी के कई कारण हैं। वे एमपी के चार बार मुख्यमंत्री रहे। एमपी की एक तरफा जीत में लाड़ली बहना स्कीम का भी बड़ा रोल रहा है। सीएम पद नहीं मिलने के बाद भी लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की। पीएम ने भी चुनाव से पहले कहा था कि इस बार मैं शिवराज जी को दिल्ल ले जाना चाहता हूं।
ज्योतिरादित्य के अलावा 3 और दावेदारी
मोदी की कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया का मंत्री बनना भी लगभग तय माना जा रहा है। उनके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का भी दावा मजबूत माना जा रहा है। सिंधिया के प्रभाव वाली ग्वालियर, मुरैना सीटों में भी बीजेपी जीती है। कहा जा रहा है कि संगठन की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया था कि भाजपा ग्वालियर-मुरैना के जिन क्षेत्रों में कमजोर थी उन सीटों पर ज्योतिरादित्य का प्रबाव काम आया। 2019 में सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर कमलनाथ सरकार का तख्ता पलटा था। उसके बाद ही बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई। इसलिए इसबार बी ज्योतिरादित्य की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी हैं मंत्री पद के दावेदार
मध्य प्रदेश की राजनीति में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कद भी बहुत बड़ा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। शर्मा के अध्यक्ष रहते विधानसभा में पार्टी ने 163 सीटें जीतीं। वीडी शर्मा ने खजुराहो में बड़ी जीत हासिल की। वीडी शर्मा का अध्यक्ष पद का कार्यकाल फरवरी 2023 में खत्म हो चुका है। विधानसभा-लोकसभा चुनावों को देखते हुए उन्हें एक्सटेंशन दिया गया था। वीडी शर्मा को लेकर पीएम मोदी ने दमोह की सभा कहा था- ये दिखने में दुबले पतले जरूर हैं, लेकिन इनके नेतृत्व में बीजेपी ने मध्यप्रदेश के चुनावों में इस बार नया इतिहास रच दिया है। इसलिए चर्चा हो रही है कि इस बार मोदी कैबिनेट में वीडी शर्मा को भी जगह मिल सकती है।
एमपी के कुछ औऱ नेताओं को मंत्री पद का इंतजार
मोदी की नई कैबिनेट में मध्य प्रदेश का हिस्सा बड़ा होगा। इतना तो तय है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इसबार मंत्रियों में आठ बार के सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक और 7 बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की भी दावेदारी रहेगी।फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्रीय मंत्री रहे हैं। हालांकि उनकी राह आसान नही दिखती, क्योंकि केंद्रीय मंत्री रहते हुए वो विधायक का चुनाव हार गए थे। इससे उनका रुतबा घटा। यदि किसी और आदिवासी नेता पर एक राय बनी तो कुलस्ते को फिलहाल कैबिनेट से विश्राम दिया जा सकता है।खटीक के बारे में कहा जा रहा है कि पिछले कार्यकाल में खटीक का परफॉर्मेंस बहुत उल्लेखनीय नहीं रहा। यदि दलित कोटे से कोई और नाम सामने आता है तो उन्हें विश्राम दिया सकता है। हालांकि उनके नाम की चर्चा जरूर होगी।
मध्य प्रदेश की महिला सांसदों की भी दावेदारी
एमपी में इस बार 6 महिलाओं ने चुनाव जीता है। इसके अलावा तीन राज्यसभा सांसदों के रूप में कविता पाटीदार और सुमित्रा बाल्मीक और माया नारोलिया पहले से हैं। यदि नए चेहरों को मौका मिला तो एमपी से किसी एक महिला सांसद की दावेदारी मजबूत हो सकती है। इनमें शहडोल से हिमाद्री सिंह, धार से सावित्री ठाकुर, बालाघाट से भारती पारधी, भिंड से संध्या राय, सागर से लता वानखेड़े और रतलाम से अनिता नागर सिंह में से किसी एक को मौका मिल सकता है।
जातीय समीकरण होगा मुख्य आधार
भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा है कि जातिगत समीकरण को देखकर ही महिलाओं में किसी एक का चुनाव होगा। इनमें से हिमाद्री सिंह और संध्या राय दो बार की सांसद हैं वहीं सावित्री ठाकुर 2014 में चुनाव जीती थीं। दूसरी खास बात है कि संध्या राय और सुमित्रा बाल्मीक अनुसूचित जाति वर्ग से हैं। अनिता नागर सिंह चौहान, हिमाद्री सिंह और सावित्री ठाकुर अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं। वहीं लता वानखेड़े, भारती पारधी, माया नारोलिया कविता पाटीदार ओबीसी कोटे से आती हैं। अब देखना होगा कि इन महिलाओं में किसे मंत्री पद के लिए चुना जाता है।
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