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नगरीय निकायों के अध्यक्षों को जनता चुनेगी, मोहन सरकार ने ड्राफ्ट किया तैयार, विधानसभा सत्र में लाया जाएगा प्रस्ताव

Mohan Government Decision भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार नगरीय निकाय के चुनावों के पहले नए बदलाव करने जा रही है। 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में नगर परिषद और नगर पालिका अध्यक्ष को सीधे जनता चुनेगी। नगरीय...
04:43 PM Dec 06, 2024 IST | Saraswati Chandra

Mohan Government Decision भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार नगरीय निकाय के चुनावों के पहले नए बदलाव करने जा रही है। 2027 में होने वाले नगरीय निकाय चुनावों में नगर परिषद और नगर पालिका अध्यक्ष को सीधे जनता चुनेगी। नगरीय प्रशासन ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके लिए सरकार नगर पालिका एक्ट में बदलाव (Changes in Municipality Act) करने जा रही है।

नगरीय निकायों के अध्यक्षों को जनता चुनेगी

बता दें कि, इस प्रस्ताव को कैबिनेट में लाया जाएगा। सरकार की मंशा (Mohan Government Decision) है कि प्रदेश के सभी निकायों के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से हो। दूसरी तरफ पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग भी जनपद पंचायत अध्यक्षों के सीधे चुनाव कराने का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। अभी पिछले चुनाव में ये मांग उठी थी कि इनके चुनाव सीधे कराए जाएं, लेकिन 2022 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे हुआ था, नगर पालिका और नगर परिषद् के अध्यक्षों को पार्षदों ने चुना था।

5 साल में नगर पालिका एक्ट में चौथी बार बदलाव

दरअसल, पिछले 5 साल में नगर पालिका एक्ट में ये चौथी बार बदलाव किया जा रहा है। इससे पहले 2019 में कमलनाथ सरकार ने इसमें बदलाव किया और नगर निगम, नगरपालिका का चुनाव पार्षदों द्वारा कराए जाने के लिए नियम में बदलाव किया गया। फिर शिवराज की सरकार आई तो अध्यक्ष के चुनाव के सीधे जनता द्वारा हो और मेयर का तो सीधे ही जनता चुनती थी, लेकिन सियासी पेंच अड़ गए और सरकार को नगरीय निकाय के अध्यक्षों का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से करवाया।

राइट टू रिकॉल फिर लागू होगा

गौर रहे कि, कमलनाथ सरकार ने इनडायरेक्ट प्रणाली से अध्यक्षों के चुनाव (MP Municipal Elections) का जो फैसला लिया, लेकिन राइट टू रिकॉल के प्रावधान को हटा दिया था। राइट टू रिकॉल (Right to recall) के तहत पार्षद ही अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे हटा सकते थे। अध्यक्ष के चुनाव के 2 साल बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता था। इस नियम के के चलते कई नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आए। इनको देखते हुए बीजेपी ने फिर अधिनियम में संशो धन किया, नए संशोधन में 2 साल की जगह 3 साल में अध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है।

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