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कलयुगी बेटों की करतूत, जमीन के टुकड़े लेकर कलेजे के टुकड़ों ने मां को जिंदगी से किया बेदखल

Mother Petition Jabalpur High Court जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ में 4 बेटों द्वारा मां का भरण-पोषण नहीं करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है...
12:53 PM Sep 11, 2024 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

Mother Petition Jabalpur High Court जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ में 4 बेटों द्वारा मां का भरण-पोषण नहीं करने का गंभीर मामला सामने आया है। इस मामले में जस्टिस ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की है कि मां एक साथ चार बेटों को पाल लेती है, लेकिन 4 बेटे मिलकर बुजुर्ग मां का पालन नहीं कर पाते, ये चिंताजनक है।

कलयुगी बेटों को हाईकोर्ट से फटकार

दरअसल पूरा मामला नरसिंहपुर के गाडरवारा में रहने वाली बुजुर्ग मां और उसके 4 जवान कलयुगी बेटों से जुड़ा है। नरसिंहपुर के अपर कलेक्टर कोर्ट में बुजुर्ग मां ने भरण पोषण के लिए आवेदन किया था। बुजुर्ग मां की प्रार्थना सुनने के बाद एडीएम कोर्ट ने चारों बेटों को हर माह मां के भरण पोषण के लिए 2-2 हजार रुपए देने के आदेश दिए। इससे पहले एसडीएम गाडरवारा कोर्ट में भी यह मामला गया था, जहां एसडीएम ने सभी बेटों को 12 हजार रुपए प्रतिमाह देने के निर्देश दिए।

एडीएम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बेटा पहुंचा हाईकोर्ट

वहीं, भरण-पोषण के लिए एडीएम कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ एक बेटे ने जबलपुर स्थित मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की और कोर्ट में कहा कि, उसे मां ने कोई संपत्ति नहीं दी। इसलिए वह भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी नहीं है। हाईकोर्ट जस्टिस जी. एस. अहलूवालिया की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में जब बेटे का यह जवाब आया तो जस्टिस ने क्लास लगा दी और कहा कि बच्चे द्वारा माता-पिता को गुजारा भत्ता देने का सवाल इस पर निर्भर नहीं करता कि उन्होंने बच्चों को कितनी संपत्ति दी।

कलयुगी बेटों पर चला कोर्ट का डंडा!

इसके साथ ही जी. एस. अहलूवालिया ने कहा, "बच्चों का ये कर्तव्य है वे माता-पिता का भरण-पोषण करें। याचिकाकर्ता भूमि के असमान वितरण से व्यथित है, तो सिविल मुकदमा करने का उपाय है, लेकिन भरण-पोषण देने के दायित्व से नहीं भाग सकता।"  इसके साथ ही एसडीएम कोर्ट ट्रिब्यूनल के आदेश एवं एडीएम के संशोधित आदेश को बहाल रखते हुए मां को 8 हजार रुपए यानी चारों बेटों को 2-2 हजार रुपए देने के आदेश को यथावत रखने का आदेश दिया है।

मां ने भी बेटों के खिलाफ कोर्ट में दिया आवेदन

गाडरवाना निवासी एक बुजुर्ग मां ने अपने चारों बेटों के खिलाफ हाईकोर्ट में आवेदन दिया। एक बेटे की याचिका पर सुनवाई के दौरान मां ने चारों बेटों के रवैये और खुद के सामने भरण पोषण के संकट को देखते हुए हाईकोर्ट में आवेदन देकर गुहार लगाई। सुनवाई के दौरान लाचार मां ने कहा कि उसके पास जितनी भी जमीन थी, यहां तक की उसकी खरीदी हुई जमीन भी चारों बेटों को इस आश्वासन पर बांट दी कि वह सभी उसका ख्याल रखेंगे, भरण-पोषण करेंगे। लेकिन, जमीन मिलने के बाद चारों बेटे उसकी सुध नहीं ली ले रहे। ऐसे में बुजुर्ग मां के सामने जीवन यापन बड़ी चुनौती बन गई है।

बेटों ने की आदेश की अनदेखी

बेटों की इन्हीं हरकतों से परेशान होकर बुजुर्ग लाचार मां ने साल 2023 में एसडीएम गाडरवारा कोर्ट में आवेदन दिया था, जिस पर उनके द्वारा 12 हजार रुपए फिर एडीएम ने संशोधित आदेश में 8 हजार रुपए प्रत्येक बेटे के लिए 2-2 हजार रुपए हर माह देने का आदेश दिया, लेकिन चारों बेटों ने इस आदेश की अनदेखी की है।

मां के दर्द के आगे बेटे की याचिका खारिज

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस जी. एस. अहलूवालिया की सिंगल बेंच में मां और बेटे दोनों पक्षों (Mother Petition Against 4 Sons) की ओर से उनके वकील ने अपने अपने तर्क रखे, जिस पर जस्टिस अहलूवालिया ने लाचार मां को राहत देते हुए कहा कि बुजुर्ग मां जो उम्र के कारण दिनों दिन शिथिल हो रही है, उसका भरण पोषण बेटों की जिम्मेदारी और कर्तव्य है।

बेटों की याचिका खारिज

जीवन यापन की बढ़ती लागत और मुद्रा स्फीति पर विचार करने के साथ जस्टिस जी. एस. अहलूवालिया ने मां के लिए 8 हजार रुपए गुजारा भत्ता को जरूरी ठहराया। कोर्ट ने सभी 4 बेटों को हर माह 2-2 हजार रुपए अर्थात हर माह 8 हजार रुपए मां को देने का आदेश देते हुए बेटे की याचिका खारिज कर दी। अब कलयुगी बेटों को हर माह 8 रुपए देने होंगे।

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