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MP में किस मंत्री ने और क्यों कहा, "अब हमारे भैया मोहन भैया", क्या है इस बयान के सियासी मायने?

MP BJP Politics Rakshabandhan program भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के बीच भैया और लड़के-लड़कियों के बीच मामा के नाम से जाने जाते हैं। शिवराज सिंह खुद को भैया और मामा कहलाना ज्यादा पसंद...
03:43 PM Aug 13, 2024 IST | Saraswati Chander

MP BJP Politics Rakshabandhan program भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के बीच भैया और लड़के-लड़कियों के बीच मामा के नाम से जाने जाते हैं। शिवराज सिंह खुद को भैया और मामा कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन अब उनके भैया वाले ताज कैलाश विजयवर्गीय मोहन यादव को देना चाहते हैं। सीएम निवास में नगरीय निकाय की महिला जनप्रतिनिधियों के रक्षाबंधन कार्यक्रम (Rakshabandhan program ) में कैलाश विजयवर्गीय ने ऐलान कर दिया कि अब प्रदेश के भैया मोहन भैया और बहनों के भैया मोहन भैया ही हैं।

कैलाश विजयवर्गीय ने क्यों कहा अब मोहन ही सबके भैया?

दरअसल, सियासी गलियारे में चर्चा बनी रहती है कि शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय के बीच कभी नहीं बनी। गाहे बगाहे समय-समय पर दोनों के बीच तल्खियां साफ नजर आईं। करीब 10 साल बाद कैलाश विजयवर्गीय फिर प्रदेश सरकार में मंत्री बने हैं और वह भी कद्दावर विभाग उनके पास है। ऐसे में मोहन सरकार में मंत्री बने कैलाश विजयवर्गीय ने सबके बीच ऐलान कर दिया है कि अब शिवराज नहीं, बल्कि मोहन यादव (MP CM Mohan Yadav) ही हम सबके भैया हैं। विजयवर्गीय के इस बयान के बाद राजनीतिक हलके में कई तरह की चर्चा होने लगी है।

शिवराज की लोकप्रियता से मोहन यादव भी चिंतित!

प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी शिवराज सिंह से डर लगता है और शिवराज को भी यह कहने में बिल्कुल संकोच नहीं होता कि वह चाहते हैं कि मोहन सरकार अच्छा काम करें और उनके बीच में कोई बाधा ना आए। इसलिए शिवराज सिंह विदिशा छोड़कर प्रदेश में किसी और क्षेत्र का दौरा नहीं करते। क्योंकि शिवराज सिंह नहीं चाहते कि वह प्रदेश के अन्य क्षेत्र में जाएं और वहां उनके नारे लगे और उनकी लोकप्रियता मोहन यादव को खटके। अब देखा जा रहा है कि मोहन यादव भी शिवराज की तरह सोशल इंजीनियरिंग का ताना बाना बुनने में लगे हैं और उसे कॉपी भी कर रहे हैं।

मामा क्यों हैं लोकप्रिय?

शिवराज सिंह चौहान ने अपने सरकारी निवास को "मामा का घर" नाम दिया है। इससे साफ है कि वह भी चाहते हैं कि लोग उन्हें मामा के रूप में जानें। शिवराज सिंह ने प्रदेश की महिलाओं को लाड़ली बहना स्कीम के तहत हर महीने 1250 रुपए देने का ऐलान कर एक मास्टर स्ट्रोक खेला था। इसका नतीजा यह रहा कि प्रदेश में बीजेपी को 163 सीट मिली।

क्या है मोहन भैया सबके भैया के सियासी मायने?

गौर रहे कि, आज भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में जहां भी जाते हैं, वहां महिलाएं उन्हें भैया-भैया कह कर बुलाती हैं। ऐसे में कैलाश विजयवर्गीय ने मंच से सबसे कह दिया है, "अब सबके भैया मोहन भैया, प्रदेश के भैया मोहन भैया।" मंत्री कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya on Mohan Yadav) के इस बयान के सियासी मायने भी निकाले जाने लगे हैं।

क्या सोच समझकर कैलाश विजयवर्गीय ने दिया भैया वाला बयान?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कैलाश विजयवर्गी ने यह बयान (MP BJP Politics) ऐसे ही नहीं दिया है, बल्कि भैया वाला बयान सोच समझ कर दिया है। ताकि लोगों के बीच संदेश जाए कि प्रदेश में यहां शिवराज नहीं बल्कि मोहन की सरकार है और मोहन यादव ही सबके भैया हैं। बहरहाल अब देखना यह है कि आखिर इस बयान के बाद किस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं।

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