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क्या ऐसे आगे बढ़ेगा MP? सर्वे ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर की खोली पोल

Education Level in Govt Schools भोपाल : मजबूत शिक्षा व्यवस्था के दावे करने वाली मोहन सरकार के दावे की पोल एक रिपोर्ट में खुल गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के (Education Level in Govt Schools) सरकारी स्कूलों में...
11:45 AM Jun 14, 2024 IST | Pavan Dwivedee

Education Level in Govt Schools भोपाल : मजबूत शिक्षा व्यवस्था के दावे करने वाली मोहन सरकार के दावे की पोल एक रिपोर्ट में खुल गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश के (Education Level in Govt Schools) सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विधार्थियों की स्थिति बहुत ही खराब है। सरकारी स्कूल की दूसरी कक्षा तक के 66% विद्यार्थी हिंदी और अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर तक नहीं पहचान पाते हैं। जबकि 53% विधार्थी दो अंको की गिनती भी नहीं पहचानते हैं। हालांकि सरकार का यह दावा है कि 2022 की तुलना में इस बार सरकारी स्कूलों में काफी सुधार हुआ है।

सर्वे में 4500 स्कूल शामिल
अंकुर अभियान के (Education Level in Govt Schools) अंतर्गत दूसरी और तीसरी कक्षा में विद्यार्थियों ने क्या सीखा, यह जानने के लिए 52 जिलों के 322 विकासखंडो में 4500 स्कूलों का सर्वे किया गया। जिसमें दूसरी कक्षा के 34,000 और तीसरी कक्षा के 37,000 बच्चों को समावेश किया गया था। इस सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, परंतु 2022 में हुए सर्वे के आधार पर कह सकते हैं कि इन कक्षाओं में काफी सुधार हुआ है।

तीसरी कक्षा के 40% विधार्थियों को 99 तक के अंको का जोड़-घटाव नहीं आता
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दूसरी कक्षा (Education Level in Govt Schools) के 51% विद्यार्थियों को 20 तक की संख्या को घटना नहीं आता जबकि 25% विधार्थियों को दो अंको की संख्या का जोड़ भी नहीं आता है। दूसरी कक्षा के 58% विद्यार्थी तीन शब्दों का वाक्य पढ़ने में असक्षम थे। इसके अलावा 61% विधार्थी 50% वर्णमाला नहीं पढ़ पा रहे थे। तीसरी कक्षा के 40% विधार्थियों को 99 तक के अंको का जोड़-घटाव नहीं आता है। जबकि तीसरी कक्षा के 52% विधार्थी 50% वर्णमाला नहीं लिख पाते हैं। 57% विद्यार्थी न तो वाक्य लिख पाते हैं और न ही उन्हें पढ़ पाते हैं।

"शिक्षा विभाग में रेशनलाइजेशन किया जा रहा है"
शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का इस मामले में कहना है कि "शिक्षा विभाग में रेशनलाइजेशन किया जा रहा है। शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वह बेहतर परफॉर्मेंस दे सके। जहां बच्चे कम और शिक्षक ज्यादा हैं, ऐसे शिक्षकों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर किया जाएगा, ताकि जहां बच्चे ज्यादा है वहां शिक्षक का संतुलन बना रहे। वहीं ट्रेनिंग प्रोग्राम के माध्यम से भी शिक्षकों को तैयार किया जाएगा। कई बार शिक्षकों को किताबी ज्ञान तो होता है, लेकिन व्यावहारिक ज्ञान की कमी के कारण बेहतर परिणाम सामने नहीं आ पाते। इस दिशा में शिक्षा विभाग तेजी के साथ काम करेगा।"

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