Jiwaji University Vice Chancellor: राज्यपाल ने जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु को किया बर्खास्त, लगे थे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप
Jiwaji University Vice Chancellor ग्वालियर: आखिरकार मध्य प्रदेश की A डबल प्लस का दर्जा प्राप्त जीवाजी यूनिवर्सिटी में तत्काल प्रभाव से धारा 52 लागू करते हुए विवादित कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी (Jiwaji University Vice Chancellor Avinash Tiwari) को हटा दिया गया है। इसके साथ ही डॉ. राज कुमार आचार्य को आगामी आदेश तक जीवाजी यूनिवर्सिटी का कुलगुरु नियुक्त किया गया है। इस संबंध में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने आदेश जारी कर दिए हैं।
जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु बर्खास्त
ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी के विवादित कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी को आखिरकार मंगलवार (18 फरवरी) शाम भोपाल राजभवन से कुलाधिपति (राज्यपाल) मंगू भाई पटेल (Madhya Pradesh Governor Mangu Bhai Patel) ने आदेश जारी कर तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है। अविनाश तिवारी के स्थान पर आगामी आदेश तक पूर्व कुलगुरु अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रीवा, प्राचार्य महात्मा गांधी स्नातकोत्तर कॉलेज, करेली जिला नरसिंहपुर के डॉ. राज कुमार आचार्य को जीवाजी यूनिवर्सिटी का कुलगुरु नियुक्त कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार का खुलासा होने पर मच गया था हड़कंप
बता दें कि, जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा जिला मुरैना के झुंडपुरा स्थित कागजों में पिछले 11 सालों से चल रहे शिव शक्ति कॉलेज को संबद्धता देने का मामला गरमाया हुआ था। भ्रष्टाचार के इस खेल को डॉ. अरुण शर्मा ने उजागर किया था। डॉ. अरुण शर्मा ने इस मामले में सबूत के साथ कई जिम्मेदार अधिकारियों के साथ-साथ EOW में शिकायत थी। जहां EOW ने लंबी जांच के बाद जीवाजी यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रोफेसर अविनाश तिवारी (Jiwaji University Vice Chancellor) सहित 17 प्रोफेसरों के खिलाफ FIR दर्ज की थी। लेकिन, आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने और कुलगुरु द्वारा नैतिकता के आधार पर इस्तीफा नहीं देने के चलते NSUI, ABVP, EC मेंबर (कार्यपरिषद सदस्य) और भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले डॉक्टर अरुण शर्मा ने आंदोलन छेड़ रखा था। विद्यार्थी परिषद ने यूनिवर्सिटी में धारा 52 लगाने और कुलगुरु के इस्तीफा की मांग कर रहे थे।
आखिर क्या कहती है धारा 52?
बता दें कि, मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा-52 के तहत (Madhya Pradesh University Act) राज्य सरकार को यह अधिकार होता है कि वह प्रदेश के किसी विश्वविद्यालय में अव्यवस्था, आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार, विश्वविद्यालय संचालन में लापरवाही आदि पाए जाने पर वह कुलगुरु को बर्खास्त कर सकती है। यह वजह है कि कुलगुरु पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने पर राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया है।
(ग्वालियर से सुयश शर्मा की रिपोर्ट)
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