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MP हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल के बेबाक बोल- समाज, प्रशासन, पुलिस और न्यायपालिका पर भी दबाव बनाने की होती है कोशिश

High Court Justice Vivek Agarwal जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल जबलपुर (MP HC Justice Vivek Agarwal) पुलिस कंट्रोल रूम में अभियोजन और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की एससी-एसटी एक्ट कार्यशाला में बड़े ही बेबाक अंदाज में नजर आये। कार्यशाला में...
05:11 PM Jan 12, 2025 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

High Court Justice Vivek Agarwal जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल जबलपुर (MP HC Justice Vivek Agarwal) पुलिस कंट्रोल रूम में अभियोजन और पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की एससी-एसटी एक्ट कार्यशाला में बड़े ही बेबाक अंदाज में नजर आये। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि समाज, प्रशासन, पुलिस, यहां तक कि न्यायपालिका पर भी दबाव बनाने की कोशिश होती है, लेकिन ये उस अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है कि वह उस दबाव का सामना कैसे करे।

समाज में विसंगतियां हैं और अच्छाई भी- जस्टिस विवेक अग्रवाल

हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि समाज में विसंगतियां (Misuse of SC ST Act) हैं और अच्छाई भी है, लेकिन ये आपके ऊपर निर्भर है कि इन विसंगतियों को छानकर सही चीज को सामने कैसे सामने लाया जाए। उन्होंने कहा कि जब भी कोई अपराध घटित होता है, तो उस मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच के साथ-साथ इस बात की भी गहराई से जांच होनी चाहिए की मामला सत्य है या फिर झूठा।

NCRB में MP में अपराधों की संख्या अधिक

हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल कहा, "मध्य प्रदेश पुलिस और प्रशासन इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि यहां के थानों में अपराध सहज तरीके से दर्ज हो जाते हैं। वरना देश में ऐसे कई राज्य हैं जहां अपराध होने के बाद भी रिपोर्ट दर्ज नहीं होती। यही वजह है कि एनसीआरबी के आंकड़ों में मध्य प्रदेश में अपराधों की संख्या अधिक दिखाई देती है, लेकिन यह चिंता की बात नहीं है बल्कि इससे यह स्पष्ट होता है कि मध्य प्रदेश में अपराधों की रिपोर्टिंग सही है।"

महिलाओं से संबंधित अपराधों का हो रहा दुरुपयोग

एसटी-एससी कार्यशाला (ST SC workshop) में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने महिलाओं से संबंधित अपराधों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि ये कहना उचित नहीं है कि महिलाओं से संबंधित अपराध पूरी तरह गलत होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे मामले भी आते हैं, जहां महिलाओं से संबंधित अपराधों का दुरुपयोग होता है। मुआवजा पाने के लिए या फिर किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करने के लिए इसका दुरुपयोग भी होता है। ज्यादातर मामलों में पुलिस की संलिप्तता होती है और इसमें पुलिस अधिकारियों का मार्गदर्शन भी हासिल होता है।

चार्जशीट की वेटिंग संख्या चिंताजनक

इस दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा, "चार्जशीट की वेटिंग संख्या बहुत ज्यादा है और यह एक गंभीर मुद्दा है। कई बार यह देखा जाता है कि चार्जशीट सही जांच न होने के कारण, या फिर यह कहते हुए कि इसमें केस नहीं बनता है, या फिर अन्य धाराओं के तहत मामला बनता है, उसे वापस कर दिया जाता है। यह स्थिति चिंताजनक है और इसे बेहद गंभीरता से समझने की जरूरत है।"

संवेदनशीलता के साथ कार्य संपादन सबसे महत्वपूर्ण

वहीं, इस दौरान एससी-एसटी कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे संचालक अभियोजन बी. एल. प्रजापति ने कहा, "एससी-एसटी एक्ट के मामलों में पुलिस को संवेदनशीलता के साथ कार्य कर मामले को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए। ताकि समय पर न्याय मिल सके।"

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