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150 से ज्यादा क्रिश्चियन परिवारों को जबरिया बेदखली मामले में HC से बड़ी राहत, जानिए क्या है पूरा मामला?

​​MP Jabalpur High Court Decision जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ (Jabalpur Principal Bench) ने 150 क्रिश्चियन परिवार को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बैंच ने नजूल की...
01:43 PM Mar 09, 2025 IST | Amit Jha

MP Jabalpur High Court Decision जबलपुर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ (Jabalpur Principal Bench) ने 150 क्रिश्चियन परिवार को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बैंच ने नजूल की जमीन पर बने आवासीय संपत्तियों पर बलपूर्वक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। अनावेदकों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।

चर्च की जमीन पर पूर्व में हुए नियम विरुद्ध निर्माण

दरअसल, याचिकाकर्ता छिंदवाड़ा निवासी असीम जोसेफ सहित 3 अन्य व्यक्तियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर (Church land in Jabalpur) कर बताया गया कि साल 1975 में राज्य सरकार ने क्रिश्चियन समाज की समिति लूथरन चर्च को 22 लाख 3515 वर्ग फीट जमीन लीज पर दी थी, जिसमें चर्च, स्कूल, हाॅस्टल और मकान बने हुए हैं। चर्च के बिशप समिति के अध्यक्ष होते हैं और उनके द्वारा लीज की जमीन में नियम विरुद्ध तरीके से निर्माण कराया गया है।

कलेक्टर ने चर्च की जमीन लीज निरस्त की

याचिकाकर्ताओं द्वारा कलेक्टर छिंदवाड़ा से इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आवेदकों की उच्च स्तरीय शिकायत पर बिशप सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ 5 एफआईआर दर्ज हुई और जमीन के कर्मशियल इस्तेमाल पर कलेक्टर ने 3 जनवरी 2025 को लीज निरस्त कर दी। चर्च की समिति को भंग कर एडीएम छिंदवाड़ा को प्रशासक नियुक्त कर चर्चा समिति का अध्यक्षीय दायित्व सौंप दिया। लेकिन प्रशासक द्वारा चर्च की संपत्ति संरक्षित करने प्रयास नहीं किए गए, जिसमें करीब 150 से ज्यादा परिवार निवासरत है, उल्टे उन्हें बेदखल करने की कोशिशें शुरू कर दी गई।

150 से ज्यादा क्रिश्चियन परिवारों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट दिनेश उपाध्याय ने पैरवी करते हुए कहा कि 150 क्रिश्चियन परिवार (Christian families in Jabalpur) जो कई वर्षों से रह रहे हैं, उनके लिए कोई वैकल्पिक इंतजाम किए बिना उन्हें प्रशासन जबरिया हटाने की तैयारी में है। जबकि सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से तर्क दिया गया कि कानूनी प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ता के पास मध्यप्रदेश नजूल भूमि विमोचन निर्देश, 2020 की धारा 145 (1) के अंतर्गत उच्च अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का प्रावधान है।

4 सप्ताह में जवाब तलब

याचिकाकर्ता की तरफ से दलील दी गई कि इस तरह अचानक उन्हें बेदखल (MP Jabalpur High Court Decision) नहीं किया जा सकता है। युगल पीठ ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं को निर्देशित किया है कि वह 2 सप्ताह में संबंधित प्राधिकारी के समक्ष आवेदन पेश करें, जिसका संबंधित प्राधिकारी 6 सप्ताह में अभ्यावेदन का निराकरण करें। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने सुनवाई के दौरान संबंधित अनावेदकों को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है।

(जबलपुर से डाॅ. सुरेन्द्र कुमार कुशवाहा की रिपोर्ट)

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