हाईकोर्ट का सख्त आदेश- एक माह के भीतर हटाएं भोपाल यूनियन कार्बाइड परिसर का जहरीला कचरा, वरना...
Jabalpur High Court जबलपुर: काल की रात साबित हुई 1984 की भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा अब भी जानलेवा और चिंता का सबब बना हुआ है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड परिसर का जहरीला कचरा (Union Carbide Factory Bhopal) एक माह के भीतर हटाने का अहम आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इसके लिए सभी विभाग हफ्तेभर में संयुक्त बैठक कर सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लें।
4 सप्ताह में कचरा नहीं हटने पर होगी कार्रवाई
भोपाल के आलोक प्रभाव सिंह की ओर से साल 2004 में हाईकोर्ट (MP High Court Strict Order) में याचिका दायर कर कहा गया था कि भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड कंपनी से हुए जहरीले गैस रिसाव में करीब 4000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। वहीं, कार्बाइड कंपनी परिसर में अब भी करीब 350 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पड़ा है, जिसे निष्ट करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की मौत के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई स्वतः संज्ञान लेकर शुरू कर दी है।
आदेश का पालन नहीं होने पर गिरेगी गाज!
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच याचिका पर सुनवाई में आदेश दिए हैं कि भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड की साइट से जहरीला कचरा हटाए जाने के लिए सरकार, संबंधित अधिकारियों और प्रतिवादियों को संयुक्त बैठक कर एक सप्ताह में सभी औपचारिकताएं पूरी करें और एक माह के भीतर जहरीला कचरा हटाएं। इसके साथ ही संबंधित विभागों को स्पष्ट आदेश और चेतावनी दी है कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो संबंधित विभागों के प्रमुख अफसरों पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
6 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
इस पूरे मामले में 6 जनवरी 2025 को अगली सुनवाई होगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि, जहरीले कचरे (Bhopal Union Carbide Factory Poisonous Waste ) को चार सप्ताह में उठाकर नष्ट करने वाले स्थल पर पहुंचाया जाए। ऐसा नहीं करने पर राज्य के मुख्य सचिव और भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं।
केंद्र से मिले 126 करोड़, ठेकेदार को 20% राशि जारी
हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई (Jabalpur High Court) के दौरान केंद्र सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि केंद्र के हिस्से की राशि 126 करोड़ रुपए पहले ही राज्य सरकार को दी जा चुकी है। प्रदेश सरकार ने राशि खर्च नहीं की है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कचरा हटवाने के लिए ठेकेदार को 20 फीसदी राशि का भुगतान किया जा चुका है। संबंधित ठेकेदार ने कोई कार्य शुरू नहीं किया है। सरकार तीन सप्ताह के भीतर प्रक्रिया शुरू कर देगी। वहीं, मध्य प्रदेश प्रदूषण बोर्ड धार के क्षेत्रीय अधिकारी ने बताया कि जहरीले कचरे का विनष्टीकरण पीथमपुर में किया जाना है, जिसके लिए 12 ट्रक उपलब्ध हैं।
हाईकोर्ट ने अधिकारियों की सुस्ती पर जताई चिंता
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डबल बेंच (MP High Court Strict Order) ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा है, "पूर्व में पारित आदेश का अवलोकन करने पर स्पष्ट है कि साल 2004 में दायर याचिका के 20 साल बीतने पर भी प्रतिवादी अभी तक पहले चरण में हैं। वास्तव में यह दुखद स्थिति है, क्योंकि प्लांट साइट से विषाक्त अपशिष्ट को हटाना, एमआईसी और सेविन प्लांट को बंद करना और आसपास की मिट्टी और भूजल में फैले दूषित पदार्थों को हटाना भोपाल शहर की आम जनता की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री साइट की तत्काल सफाई और संबंधित क्षेत्र से पूरे जहरीला कचरे को हटाने और उसे सुरक्षित नष्ट करने के उपाय करें।
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