MP Police Ghotala: मध्य प्रदेश में पुलिसकर्मियों ने किया बड़ा घोटाला, फर्जी मेडिकल बिल बना 76 लाख रुपये उठाए

तीनों आरोपियों ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर विभिन्न बीमारियों के फर्जी मेडिकल बिल पेश किए थे। इन बिलों की राशि असामान्य रूप से अधिक थी, जिससे शक की सुई इनकी तरफ मुड़ गई।
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MP Police Ghotala: भोपाल। मध्यमप्रदेश के पुलिस मुख्यालय में एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसमें तीन पुलिसकर्मियों पर 76 लाख रुपये के फर्जी मेडिकल बिलों के भुगतान का आरोप लगा है। यह तीनों पुलिसकर्मी, जिनमें एक सूबेदार, एक सब-इंस्पेक्टर और एक असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर शामिल हैं, लेखा शाखा में काम करते थे। इन्होंने खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को बीमार बताकर सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया। यह धोखाधड़ी वित्तीय वर्ष 2022 से 2024 के दौरान हुई।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

संचालक ट्रेजरी द्वारा पुलिस मुख्यालय को भेजे गए एक पत्र से इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। इस पत्र में बताया गया था कि तीन पुलिसकर्मियों के खातों में मेडिकल बिल के मद में अत्यधिक भुगतान ट्रांसफर हुआ है। इसके बाद पुलिस मुख्यालय की लेखा शाखा ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू की। जांच में यह पाया गया कि सूबेदार नीरज कुमार, सब-इंस्पेक्टर हरिहर सोनी और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर हर्ष वानखेड़े ने फर्जी मेडिकल बिल तैयार कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया।

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ऐसे हुआ फर्जी मेडिकल बिलों का खेल

तीनों आरोपियों ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर विभिन्न बीमारियों के फर्जी मेडिकल बिल पेश किए थे। इन बिलों की राशि असामान्य रूप से अधिक थी, जिससे शक की सुई इनकी तरफ मुड़ गई। और जब जांच की गई, तो यह पाया गया कि इन्होंने 'प्रो-लॉन्ग सर्टिफिकेट' का भी गलत इस्तेमाल किया था, जो गंभीर बीमारियों के लिए सिविल सर्जन द्वारा जारी किया जाता है। सिविल सर्जन से जब इसकी पुष्टि की गई, तो यह सामने आया कि उन्होंने इन तीनों पुलिसकर्मियों को केवल दो सर्टिफिकेट जारी किए थे, जबकि बाकी सभी सर्टिफिकेट फर्जी (MP Police Ghotala) थे।

पुलिस कार्रवाई के बाद गिरफ्तारी

मामले के उजागर होने के बाद एडीजी अनिल कुमार ने बताया कि गोपनीय जांच शुरू की गई। आरोपियों को लेखा शाखा से हटा दिया गया और 8 जनवरी को उन्हें निलंबित (MP Police Ghotala) कर दिया गया। इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 318, 319, 336, 338 और 340 के तहत मामला दर्ज किया गया, जिनमें 14 साल तक की सजा का प्रावधान है।

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गबन की अलग-अलग राशि

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि तीनों पुलिसकर्मियों ने अलग-अलग रकम का गबन किया है। हर्ष वानखेड़े के खाते में 35 लाख रुपये, हरिहर सोनी के खाते में 24 लाख रुपये और नीरज कुमार के खाते में 17 लाख रुपये की राशि ट्रांसफर हुई थी, जिससे कुल मिलाकर लगभग 76 लाख रुपये का घोटाला सामने आया।

एसीपी ने दी यह जानकारी

एसीपी जहांगीराबाद सुरभि मीणा ने बताया कि लेखा शाखा की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी (MP Police Ghotala) का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या इस घोटाले में और लोग भी शामिल हैं। इसके अलावा, सिविल सर्जन से भी पूछताछ की जा सकती है, ताकि पूरे मामले का पर्दाफाश किया जा सके। इस घोटाले के खुलासे ने पुलिस विभाग को हिला दिया है और अब इस मामले में गहरी जांच की जा रही है। यह घोटाला एक उदाहरण बन गया है कि कैसे भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं, और यह पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा सबक है।

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