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MP Politics: कमलनाथ का नहीं लग रहा एमपी में मन! क्या दिग्विजय फिर संभालेंगे प्रदेश की कमान

MP Politics: भोपाल। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के अंदर से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। यहां कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों अपनी-अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। मगर अब दिग्गी राजा एक बार फिर एक्टिव होते दिखाई दे...
08:26 PM Jun 24, 2024 IST | Yashodan Sharma

MP Politics: भोपाल। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के अंदर से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। यहां कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों अपनी-अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। मगर अब दिग्गी राजा एक बार फिर एक्टिव होते दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस के चाणक्य कहलाने वाले दिग्विजय अब नई नीति के साथ कांग्रेस को मजबूत करने में लग गए हैं।

इस नई रणनीति (MP Politics) के तहत अब कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर नहीं दिखाई देंगे बल्कि घर-घर जाकर लोगों का बीजेपी के प्रति ब्रेन वाश करेंगे। ये सलाह दिग्गी ने कांग्रेस कार्यक्रतओं को दी है।

दिग्विजय सिंह की इस प्लानिंग(MP Politics) से कयास लगाए जा रहे हैं कि वे अब एमपी में सक्रिय होना चाहते हैं। साथ ही अब वे कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं को भी एक करने की कोशिश में हैं। ये सवाल लोगों के मन में इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि दिग्विजय लोकसभा चुनाव हारने के बाद अब प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रमों में सक्रिय हो चले हैं।

2018 में भी दिग्विजय सिंह की रणनीति आई थी काम

2018 में दिग्विजय और शिवराज की नर्मदा सेवा सुर्खियों में रही। जहां शिवराज सिंह ने सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल कर नर्मदा सेवा के जरिए लोगों का दिल जीतना चाहा तो वहीं दिग्विजय सिंह(MP Politics) की यात्रा पैदल यात्रा थी। इस दौरान दिग्गी ने अपनी यात्रा के जरिये 101 विधानसभाओं को कवर किया और पुराने कार्यकर्ताओं को फिर से एक्टिव किया, जिसका असर विधानसभा चुनाव में दिखा।

कार्यकर्ताओं को नर्मदा जल की खिलाई थी सौगंध

दिग्विजय सिंह ने अपनी नर्मदा यात्रा के दौरान लोगों को एकजुट करने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने नर्मदा किनारे की 101 विधानसभाओं(MP Politics) में जो पुराने कार्यकर्ता थे उन्हें एकजुट करने की कोशिश की। उन सभी को नर्मदा जल रखकर सौगंध दिलाई गई कि वे कांग्रेस के लिए वफादारी से काम करेंगे, नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस ने 2018 में सरकार बना ली।

कमलनाथ का एमपी में नहीं लग रहा मन

लोकसभा चुनाव के पहले कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह युवा चेहरा जीतू पटवारी को लाया गया। इससे कमलनाथ की नाराजगी झलकी और अब वे कांग्रेस के कार्यक्रमों में दिखाई नहीं देते। यहां तक कि अमरवाड़ा विधानसभा जो कि कमलनाथ के करीबी कमलेश शाह की कब्जे में थी जब कांग्रेस प्रत्याशी का वहां से पर्चा भरा गया तो कमलनाथ और उनकी बेटी मौजूद नहीं थे।

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