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व्यापम केस की सुनवाई से जस्टिस का इनकार, केस दूसरी बेंच में ट्रांसफर करने के आदेश

Vyapam case in Jabalpur High Court जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ के जस्टिस विवेक अग्रवाल की डबल बेंच ने व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस अग्रवाल ने...
10:13 AM Sep 22, 2024 IST | Dr. Surendra Kumar Kushwaha

Vyapam case in Jabalpur High Court जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ के जस्टिस विवेक अग्रवाल की डबल बेंच ने व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस अग्रवाल ने न केवल मामले पर सुनवाई करने से इनकार किया बल्कि केस को अन्य किसी और जस्टिस के अदालत में ट्रांसफर करने के आदेश जारी किया है। आखिर जस्टिस विवेक अग्रवाल की डीबी ने ऐसा क्यों किया, इसकी क्या खास वजह रही, आइए विस्तार से जानते हैं।

छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में 27 लोगों के खिलाफ FIR

दरअसल छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा में 27 लोगों के खिलाफ साल 2015 में व्यापम घोटाले मामले में FIR दर्ज हुई थी। IPC की विभिन्न धाराओं में पुलिस ने केस दर्ज किया और प्रकरण कोर्ट में पहुंचा। व्यापम घोटाले (Vyapam case in Jabalpur High Court) के इस केस में आरोपियों में से एक आरोपी छिंदवाड़ा निवासी सत्य प्रकाश ने जबलपुर हाईकोर्ट में STF ,पुलिस और CBI द्वारा व्यापम घोटाले के में FIR दर्ज की गई। इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए याचिका जबलपुर हाई कोर्ट में दायर की गई।

व्यापम घोटाले की सुनवाई से इनकार

हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की डबल बेंच में सुनवाई के दौरान सामने आया कि मामला व्यापम घोटाले से जुड़ा है। व्यापम घोटाले के इस मामले में जस्टिस विवेक अग्रवाल ने डिप्टी एडवोकेट जनरल रहते हुए सरकारी वकील के तौर पर इस मामले में सरकार की तरफ से पैरवी की थी। जस्टिस विवेक अग्रवाल मामले में पहले सरकार की ओर से पर भी कर चुके थे और अब यह मामला उन्हीं की कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंचा था। इसलिए न्याय के सिद्धांतों के अनुसार जस्टिस विवेक अग्रवाल व्यापम घोटाले से जुड़े इस केस की सुनवाई नहीं की। इस केस की सुनवाई करने से इनकार करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने प्रकरण को किसी अन्य जस्टिस की बेंच में ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया।

विधि विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी कोर्ट में जब भी ऐसा कोई मामला सामने आता है, जिसमें विधिक सलाह देने वाले व्यक्ति उसे मामले की सुनवाई और फैसला देने वाले होते हैं तो वह केस में निष्पक्ष न्याय के लिए उस प्रकरण की सुनवाई नहीं करते हैं। क्योंकि पूर्व में वह उसे कैसे से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं। कानून के जानकारों का मानना है कि न्यायाधीश का यह दायित्व होता है कि उनके द्वारा दिए गए फैसले किसी भी तरह से एक पक्षीय या पूर्वाग्रह से प्रभावित नजर नहीं आना चाहिए।

ऐसे मामले को दूसरी बेंच में किया जाता है ट्रांसफर

ऐसे केस जिसमें किसी जज की अदालत (Vyapam case in Jabalpur High Court) में ऐसे व्यक्ति का मामला आता है जिसे वह पहले से जानते हैं या फिर उस मामले की पैरवी की है, तो ऐसे मामलों में जज के द्वारा स्वविवेक से उस केस की सुनवाई नहीं की जाती है। ऐसे में सुनवाई के लिए कोर्ट में पहुंचे ऐसे मामले को निष्पक्ष जजमेंट के लिए दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

किस श्रेणी में व्यापम से जुड़ा मामला?

लिहाजा व्यापम घोटाले से जुड़ा यह केस भी इसी श्रेणी में आता है। इसलिए जस्टिस विवेक अग्रवाल की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई ना करते हुए किसी और बेंच में इस मामले को स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया।

पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हालांकि है पहला मामला नहीं है, जब किसी जस्टिस ने स्वयं की बेंच में आए किसी केस की सुनवाई करने से इनकार किया हो। इसके पहले भी जस्टिस जी.एस. अहलूवालिया सहित अन्य जस्टिस की बेंच में ऐसे कई मामले आ चुके हैं, जिसे दूसरी बेंच में केवल इसलिए ट्रांसफर किए गए। क्योंकि वह याचिकाकर्ता को पहले से जानते थे या वकील रहते हुए उस केस की पूर्व में पैरवी कर चुके थे। यही वजह है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर प्रिंसिपल पीठ में जस्टिस विवेक अग्रवाल की कोर्ट में जब व्यापम घोटाले से जुड़ा यह मामला पहुंचा तो उन्होंने कानून का पालन करते हुए इस केस की सुनवाई स्वयं न करते हुए दूसरी बेंच में इसे ट्रांसफर करने का आदेश जारी कर दिया।

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