New Education Policy: संघ नेताओं की लिखी किताबें पढ़ेंगे बच्चे, जानेंगे देश का नया इतिहास

New Education Policy: भोपाल। देश में नई शिक्षा नीति को लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल मध्य प्रदेश सरकार संघ नेताओं द्वारा लिखी गई किताबों को सिलेबस में शामिल कर रही है। सरकार का कहना है...
new education policy  संघ नेताओं की लिखी किताबें पढ़ेंगे बच्चे  जानेंगे देश का नया इतिहास

New Education Policy: भोपाल। देश में नई शिक्षा नीति को लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल मध्य प्रदेश सरकार संघ नेताओं द्वारा लिखी गई किताबों को सिलेबस में शामिल कर रही है। सरकार का कहना है कि अभी तक वामपंथियों ने देश का गलत इतिहास (New Education Policy) लिखा है, जिसे फिर से लिखा जाना चाहिए ताकि देश की जनता भारत के गौरव को जान सके।

बताई देश का नया इतिहास लिखने की जरूरत

इस पूरे मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए शिक्षा मंत्री ने तर्क दिया है कि कि स्वयंसेवक लेखक भी हैं, अच्छे वक्ता और अच्छे विश्लेषक भी हैं। यदि उनकी किताबें कॉलेजों में रखी जा रही हैं तो इस पर विपक्ष को क्या एतराज होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अभी तक वामपंथियों ने देश के इतिहास को गलत पेश किया है, गुलामी के रूप में इतिहास को लिखा गया, नई शिक्षा नीति में भारत के गौरव को जानने का मौका मिलेगा।

कहा, कोलंबस से पहले भारतीयों ने ढूंढा था अमरीका का

शिक्षा मंत्री यही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि कोलंबस ने अमेरिका को डिस्कवर नहीं किया बल्कि 11वीं शताब्दी में हमारे व्यापारी अमेरिका में अपना व्यापार करते थे। कोलंबस इटालियन था और ये इतिहास ही गलत पेश किया गया है।

अणु-परमाणु की थ्योरी भी भारत के वेदों से ली है

राज्य सरकार के मंत्री ने कहा कि पूरा विश्व अणु और परमाणु की खोज को अंग्रेजों की देन मानता है लेकिन कण क्या है, ये थ्योरी हमारे वेदों में ऋषि कणाद पहले ही दे चुके थे। परन्तु वो इतिहास में कभी नहीं बताया गया। हमारे यहां पैदा हुए बोधायन ने पाइथोगोरस थ्योरम को बहुत पहले ही हल कर दिया था, बाद में ये चुरा लिया गया और पाइथोगोरस थ्योरम के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

संघ नेता की पुस्तक से निकाल कर दिए उदाहरण

उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने संघ के नेता सुरेश सोनी की किताब दिखाते हुए उसमें से कुछ उदाहरण भी बताए। मंत्री ने कहा कि इन्होंने वो किताब लिखी है जिसमें बताया गया है कि भारत से विदेशियों ने क्या-क्या चुराया है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में विज्ञान की उज्जवल परंपरा रही है, भारतीय विज्ञान बहुत पहले से ही विकसित था। जो खोजें बाद में हुई है, वे सभी भारतीय ऋषि-मुनियों ने पहले ही कर ली थी। ये सभी चीज भारत के प्राचीन ग्रंथों में उल्लेखित की गई है परन्तु बाद में अंग्रेजों ने इन सबको अपने नाम कॉपी करवा लिया और भारत विज्ञान के क्षेत्र में पीछे हो गया।

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