Parvati Kalisindh Chambal Link Project: पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक प्रोजेक्ट का पीएम ने किया शुभारंभ, जलशक्ति मंत्री ने मोदी को बताया भागीरथ

Parvati Kalisindh Chambal Link Project: पार्वती-कालीसिंध-चंबल यानी पीकेसी को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट ईआरसीपी का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया।
parvati kalisindh chambal link project  पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक प्रोजेक्ट का पीएम ने किया शुभारंभ  जलशक्ति मंत्री ने मोदी को बताया भागीरथ

Parvati Kalisindh Chambal Link Project: भोपाल। आज मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए काफी अहम दिन रहा। एमपी से निकलने वाली पार्वती-कालीसिंध-चंबल यानी पीकेसी को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट ईआरसीपी का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जयपुर में एमपी, राजस्थान और केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के बीच त्रिस्तरीय एग्रीमेंट हुआ।

इस प्रोग्राम में सीएम मोहन यादव और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट मौजूद रहे। पीएम ने इस परियोजना में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया। पीएम ने कहा कि कांग्रेस समस्याओं को सुलझाने की बजाय राज्यों के बीच जल विवाद को बढ़ावा देती रही।

पीएम ने विपक्ष को लिया आढ़े हाथ

पीएम मोदी ने कहा कि इस परियोजना के समझौते पर साइन वाली एमपी और राजस्थान के सीएम की फोटो कोई साधारण नहीं है। आने वाले वर्षों में देशभर के नेता यह फोटो दिखाकर पूछेंगे कि आप पानी पर पॉलिटिक्स करते रहे और वह समुद्र में बहकर चला गया, लेकिन एक कागज पर साइन नहीं कर पाए। सीएम मोहन यादव ने कहा कि पानी का यह मामला 20 साल पुराना था।

यह सौगात दोनों राज्यों को पीएम मोदी की वजह से मिल पाई। वहीं, सीएम भजनलाल बोले कि इस परियोजना में राजस्थान के 21 जिलों को पानी का लाभ मिलेगा। साथ ही 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई भी हो सकेगी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने केंद्र और राज्य की 46 हजार करोड़ से अधिक की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने कहा कि राजस्थान के घरों में 100 प्रतिशत पानी पहुंचेगा।

पीएम मोदी हैं देश के भागीरथ!

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि जल जीवन मिशन से पीएम मोदी ने 15 करोड़ घरों तक पानी पहुंचाया है। वो देश के भागीरथ हैं। केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि आज राजस्थान की सबसे बड़ी पानी की समस्या खत्म हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से उन्होंने जल संचय के लिए गंभीरता से काम किया। आज उनके प्रयासों का नतीजा है कि राजस्थान पानी की समस्या से निजात पा रहा है।

 

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जानिए पीकेसी-ईआरसीपी योजना के बारे में...

बता दें कि राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में साल 2017 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का एक ड्राफ्ट तैयार किया गया था। तब से यह परियोजना सिर्फ कागजों तक ही सीमित रही लेकिन अब पीएम मोदी ने उसे दोनों राज्यों के सहयोग से धरातल पर उतारने का काम किया। इस परियोजना के अंतर्गत पार्वती, चंबल और कालीसिंध नदी को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई थी। राजस्थान के जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, गंगापुर, भरतपुर, करौली, टोंक, धौलपुर, अजमेर, दौसा, केकड़ी, अलवर, कोटपूतली-बहरोड़, ब्यावर, डीग, सिटी, दूदू, जयपुर ग्रामीण खैरतल-तिजारा को पानी की परेशानी से निजात मिलेगा।

Parvati Kalisindh Chambal Link Project

एमपी के इतने जिलों को मिलेगा फायदा

बता दें कि इस नदी जोड़ो अभियान से राजगढ़ जिले सहित पश्चिमी एमपी के 13 जिलों के तीन हजार से अधिक गांवों को सिंचाई और पीने के पानी की सुविधा मिलेगी। सीएम मोहन यादव ने कहा " यह परियोजना राजगढ़ सहित मालवा और चंबल क्षेत्र में जल संकट को समाप्त करेगी। इस परियोजना के तहत 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई और 40 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह 72 हजार करोड़ रूपए की परियोजना पीएम मोदी के नेतृत्व में न केवल पानी की परेशानी को दूर करेगी बल्कि ग्रामीण विकास में नई ऊर्जा भरेगी।"

21 बांधों का होगा निर्माण और इन जिलों को मिलेगा लाभ

बता दें कि इस प्रोजेक्ट के तहत 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। इनसे कुल 1908.83 मिलियन घन मीटर जल संरक्षित होगा। इसमें से 172 मिलियन घन मीटर जल पीने के लिए और उद्योगों के लिए आरक्षित रहेगा। प्रदेश के राजगढ़ जिले के अलावा शाजापुर, उज्जैन,आगर, धार, सीहोर, अशोकनगर, शिवपुरी, इंदौर, गुना, श्योपुर, भिंड और मुरैना जिलों को फायदा मिलेगा। इससे सिंचाई के लिए पानी तो मिलेगा ही साथ ही औद्योगिक और पेयजल की भी पानी दिया जाएगा। इसके अलावा सीएम मोहन यादव ने कहा कि करीब 60 साल पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर और वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

ऐसा है खर्चे का हिसाब-किताब

सीएम मोहन यादव ने कहा कि एमपी-राजस्थान के इस समझौते को अरसे बाद अमलीजामा पहनाया गया। समझौते के अनुसार, परियोजना की लागत का 90 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार, और 10 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकारें वहन करेंगी। एमपी इस परियोजना में 35 हजार करोड़ रूपए और राजस्थान 37 हजार करोड़ रूपए व्यय करेंगे।

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