Raisen Darwaja: विदिशा की प्राचीन धरोहर लड़ रही है अपने अस्तित्व की लड़ाई, प्रशासन कर रहा अनदेखी

Raisen Darwaja: मध्य प्रदेश के विदिशा (Vidisha) की पहचान कहे जाने वाला 'रायसेन दरवाजा' (Raisen Darwaja) वर्तमान में प्रशासनिक लापरवाही के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। न तो इस दरवाजे की कोई मरम्मत की गई है और...
raisen darwaja  विदिशा की प्राचीन धरोहर लड़ रही है अपने अस्तित्व की लड़ाई  प्रशासन कर रहा अनदेखी

Raisen Darwaja: मध्य प्रदेश के विदिशा (Vidisha) की पहचान कहे जाने वाला 'रायसेन दरवाजा' (Raisen Darwaja) वर्तमान में प्रशासनिक लापरवाही के चलते अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। न तो इस दरवाजे की कोई मरम्मत की गई है और न ही इसके कायाकल्प पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रशासन का अगर यही रवैया रहा तो वो दिन दूर नहीं जब यह दरवाजा इतिहास बनकर रहा जाएगा। आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।

400 साल पहले हुआ था दरवाजे का निर्माण

इतिहास के जानकार बताते हैं कि इस दरवाजे का निर्माण लगभग 400 साल पहले हुआ था। विदिशा किले का यह दरवाजा क्रूर मुगल तानाशाह औरंगजेब (Mughal dictator Aurangzeb) के आक्रमण की कहानी को याद दिलाता है। दरअसल, 1682 में औरंगजेब ने विदिशा (पूर्व नाम भेलसा) पर आक्रमण किया था। उसके बाद इस गेट का निर्माण किया गया था।  महल के चारों ओर इसके अलावा तीन और दरवाजों का निर्माण किया गया था। पहला दरवाजा वैश्य नगर, दूसरा दरवाजा बजरिया, तीसरा खिड़की दरवाजा तथा चौथा रायसेन दरवाजे के नाम से जाना जाता था।

चार दरवाजों में से तीन ढहे और चौथा ले रहा अंतिम सांस

तीन दरवाजे तो अपने अस्तित्व की गुहार लगाते हुए पहले ही ढह चुके हैं और अब प्राचीन धरोहर के रूप में बचा चौथा दरवाजा भी दम तोड़ने की कगार पर पहुंच गया है। रायसेन दरवाजे का आधे से अधिक हिस्सा टूटकर गिर चुका है। अब अगर समय रहते इसकी देखरेख नहीं की गई तो यह चौथा दरवाजा भी इतिहास बनकर रह जाएगा।

प्रशासन से मदद की लगातार गुहार

यह दरवाजा रिहायशी इलाके में आता है। इसके एक तरफ नाग मंदिर है और दूसरी तरफ एक छोटी सी मस्जिद है। ले देकर विदिशा शहर की इस ऐतिहासिक धरोहर का यही एक प्रमाण है जिसे बचाना जरूरी है। लगभग 2 वर्ष पूर्व स्थानीय लोगों ने कलेक्टर को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराकर इसके रखरखाव की मांग की थी। लगातार अनदेखी के चलते आज इस दरवाजे का एक बड़ा हिस्सा गिरकर धराशाई हो चुका है।

क्या कहते हैं इतिहास के जानकार?

इतिहास के जानकार गोविन्द देवलिया बताते है कि मान्यता है कि 1682 में औरंगजेब ने जब विदिशा पर हमला किया उसी दौरान विदिशा के बीज मंडल में काफी तोड़फोड़ की थी। तब औरंगजेब ने यहां अपना सूबेदार नियुक्त किया था। उसी कालखंड में रायसेन दरवाजे का निर्माण किया गया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज विदिशा की धरोहर कहे जाने वाला रायसेन दरवाजा यादों में सिमटने पर मजबूर है।

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